Utpreksha Alankar ka Udaharan – परिभाषा, भेद और उदाहरण

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आभूषण’ या ‘गहना’। जैसे शरीर की सुंदरता बढ़ाने के लिए आभूषणों का प्रयोग होता है, वैसे ही काव्य में शब्दों और भावों की सुंदरता बढ़ाने के लिए अलंकारों का उपयोग किया जाता है। अलंकार से काव्य में सौंदर्य, आकर्षण और प्रभाव पैदा होता है।

अलंकार कई प्रकार के होते हैं, और इनमें से कुछ मुख्य अलंकार प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं। ये हैं उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, मानवीकरण, अनुप्रास, यमक और श्लेष। इनमें से एक महत्वपूर्ण अलंकार है उत्प्रेक्षा अलंकार। उत्प्रेक्षा अलंकार तब होता है जब किसी वस्तु या घटना में किसी अन्य वस्तु की संभावना या कल्पना की जाती है। इसका प्रयोग अक्सर “मनो”, “मानो”, “जैसे”, “इव” जैसे शब्दों के साथ होता है। 

उदाहरण के तौर पर: “मनो सूर्य धरती को छूने के लिए झुक रहा हो।”

उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा

उत्प्रेक्षा अलंकार हिंदी काव्यशास्त्र में एक महत्वपूर्ण अलंकार है, जिसे संस्कृत काव्यशास्त्र में भी मान्यता प्राप्त है। इस अलंकार की विशेषता यह है कि इसमें उपमेय (जिसकी तुलना की जाती है) में उपमान (जिसके साथ तुलना की जाती है) की संभावना या कल्पना प्रकट की जाती है। यह अलंकार उस स्थिति को दर्शाता है जहां लेखक उपमेय और उपमान के बीच की समानता या मेल को गहराई से प्रस्तुत करता है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी कविता में “चाँद मानो सोने की थाली” कहकर चाँद की चमक को सोने की थाली से तुलना की जाए, तो यह उत्प्रेक्षा अलंकार कहलाएगा।

उत्प्रेक्षा अलंकार में प्रायः शब्द जैसे ‘जनु’, ‘मनु’, ‘इव’, ‘मानो’, ‘मनो’, ‘मनहुँ’ आदि का प्रयोग होता है। ये शब्द उपमेय और उपमान के बीच की संभावनाओं और कल्पनाओं को प्रकट करने में सहायक होते हैं।

संस्कृत आचार्य भामह को हिंदी काव्य में अलंकार संप्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने ‘काव्यलंकार’ नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें उन्होंने अलंकार के विभिन्न प्रकारों का विवेचन किया। इस ग्रंथ में कुल 6 परिच्छेद और 5 विषयों पर चर्चा की गई है, जिसमें उत्प्रेक्षा अलंकार भी शामिल है। भामह का यह ग्रंथ काव्यशास्त्र की मूल बातें समझने में सहायक है और हिंदी काव्यशास्त्र में अलंकारों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है।

उत्प्रेक्षा अलंकार के भेद

उत्प्रेक्षा अलंकार हिंदी काव्यशास्त्र में विभिन्न प्रकारों में विभाजित होता है। प्रत्येक भेद के अंतर्गत उपमेय और उपमान के बीच की समानता एक विशेष दृष्टिकोण से देखी जाती है। निम्नलिखित विवरण और उदाहरण के माध्यम से इसे समझा जा सकता है:

वस्तुप्रेक्षा अलंकार: वस्तुप्रेक्षा अलंकार में उपमेय और उपमान के बीच समानता वस्तु के गुणधर्म के आधार पर होती है।

उदाहरण:  “उसकी आंखें मोती की तरह चमक रही हैं।”

यहाँ पर ‘मोती’ और ‘आंखें’ के बीच तुलना की जा रही है क्योंकि मोती की चमक और आंखों की चमक के गुणधर्म समान हैं। यह वस्तुप्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आता है क्योंकि तुलना वस्तु के गुणधर्म पर आधारित है।

हेतुप्रेक्षा अलंकार: हेयुप्रेक्षा अलंकार में उपमेय और उपमान के बीच समानता उनके कारण (हेतु) के आधार पर होती है।

उदाहरण: “उसके हंसने की आवाज़ चिड़ियों के गीत की तरह सुरीली है।”

यहाँ पर ‘चिड़ियों के गीत’ और ‘उसके हंसने की आवाज़’ के बीच तुलना की जा रही है, क्योंकि दोनों की सुरीली ध्वनि का कारण समान है। यह हेयुप्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आता है क्योंकि समानता ध्वनि के कारण पर आधारित है।

फलोत्प्रेक्षा अलंकार: फलोत्प्रेक्षा अलंकार में उपमेय और उपमान के बीच समानता उनके फल (परिणाम) के आधार पर की जाती है।

उदाहरण: “उसकी मेहनत का फल सोने के जैसे चमक रहा है।”

यहाँ पर ‘सोना’ और ‘मेहनत का फल’ के बीच तुलना की जा रही है क्योंकि दोनों का परिणाम एक ही प्रकार का है—चमकदार। यह फलोत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आता है क्योंकि तुलना उनके फल की समानता पर आधारित है।

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण (Utpreksha Alankar ka Udaharan)

  • मानो मेघराज बादलों की सेना लेकर आ रहे हैं।
    • यहाँ बादलों की तुलना मेघराज की सेना से की गई है, जो बादल के घनेपन और गंभीरता को दर्शाता है
  • जैसे चाँदनी रात में झील मानो चाँदी की थाली हो।
    • झील की चमक को चाँदनी रात में चाँदी की थाली के समान बताया गया है, जो झील की शांति और चमक को दिखाता है।
  • मनो चंपा के फूलों से उसके दांतों की चमक तुलना कर रही हो।
    • दांतों की सफेदी और चमक की तुलना चंपा के फूलों से की गई है, जो सफेदी और सुंदरता को प्रकट करता है।
  • जैसे उसकी आवाज़ कोयल की कूक समान मधुर हो।
    • उसकी मधुर आवाज़ को कोयल की कूक से तुलना की गई है, जो उसकी आवाज़ की मिठास को व्यक्त करता है।
  • मानो हवा के झोंके उसके बालों से खेल रहे हों।
    • यहाँ हवा के झोंके की हल्कापन बालों के साथ खेलते हुए दिखाया गया है, जो नाजुकता और गति का प्रतीक है।
  • मनो नदी की लहरें सर्पिनियाँ बनकर दौड़ रही हों।
    • लहरों की गतिशीलता और घुमाव की तुलना सर्पिनियों से की गई है, जो लहरों की शक्ति और लचकता को दर्शाता है।
  • जैसे सूर्य की किरणें सोने के तीर सी चुभ रही हों।
    • सूर्य की तेज़ किरणों को सोने के तीर के समान बताया गया है, जो उनकी तीव्रता और चमक को दिखाता है।

  • मानो उसकी आँखों में सितारे चमक रहे हों।
    • उसकी आँखों की चमक की तुलना सितारों से की गई है, जो उसकी आँखों की सुंदरता और चमक को दर्शाता है।
  • मनो फूलों की खुशबू ने वातावरण को महका दिया हो।
    • फूलों की खुशबू से वातावरण का महक जाना, प्राकृतिक सौंदर्य और सुगंध की भावना को उत्पन्न करता है।
  • जैसे उसकी हंसी की गूंज मंदिर की घंटियों सी हो।
    • उसकी हंसी की मधुर ध्वनि की तुलना मंदिर की घंटियों से की गई है, जो उसकी हंसी की पवित्रता और मिठास को व्यक्त करता है।
  • मानो समुद्र का पानी आकाश को छूने की कोशिश कर रहा हो।
    • समुद्र की लहरों की ऊँचाई की तुलना आकाश को छूने से की गई है, जो उसकी विशालता और अदम्यता को दर्शाता है।
  • मनो उसका चेहरा गुलाब का फूल हो।
    • उसके चेहरे की कोमलता और सुंदरता की तुलना गुलाब के फूल से की गई है, जो सौंदर्य का प्रतीक है।
  • जैसे बिजली की चमक तलवार की धार जैसी हो।
    • बिजली की तेज चमक की तुलना तलवार की धार से की गई है, जो उसकी तीव्रता और खतरे का बोध कराती है।
  • मानो पर्वत पर बादलों की चादर बिछी हो।
    • पर्वतों पर छाए बादलों की तुलना चादर से की गई है, जो दृश्य की शांत और सौम्यता को दर्शाता है।

  • मनो वसंत ऋतु का आगमन पुष्पों की बारात लेकर हो रहा हो।
    • वसंत ऋतु के आगमन की तुलना पुष्पों की बारात से की गई है, जो प्रसन्नता और जीवंतता को दिखाता है।
  • जैसे उसकी आंखों में चाँदनी का अक्स हो।
    • उसकी आंखों की चमक की तुलना चाँदनी से की गई है, जो उनकी कोमलता और शीतलता को दर्शाता है।
  • मानो धरती ने हरियाली की चुनरी ओढ़ ली हो।
    • धरती की हरियाली की तुलना चुनरी से की गई है, जो प्राकृतिक सौंदर्य और शांति को दर्शाता है। 
  • मनो बर्फ के टुकड़े मोती जैसे बिखर गए हों।
    • बर्फ के टुकड़ों की सफेदी और चमक की तुलना मोती से की गई है, जो दृश्य की सुंदरता को बढ़ाता है।
  • जैसे उसकी मुस्कान फूलों की तरह खिल उठी हो।
    • उसकी मुस्कान की ताजगी और सौम्यता की तुलना फूलों के खिलने से की गई है, जो उसकी प्रसन्नता को दर्शाता है।
  • मानो आकाश में इंद्रधनुष का सेहरा बंध गया हो।
    • इंद्रधनुष की सुंदरता को सेहरे से तुलना की गई है, जो प्राकृतिक शोभा और आनंद का प्रतीक है।
  • मनो नदी की कल-कल ध्वनि वीणा के तार छेड़ रही हो।
    • नदी की ध्वनि को वीणा के तारों से तुलना की गई है, जो उसकी मधुरता और गति को दिखाता है।

  • जैसे चाँद का मुखड़ा दर्पण सा चमक रहा हो।
    • चाँद की चमक को दर्पण के समान बताया गया है, जो उसकी स्पष्टता और शीतलता को दर्शाता है।
  • मानो झरने की धार मोतियों की माला बन गई हो।
    • झरने की गिरती धार की तुलना मोतियों की माला से की गई है, जो दृश्य की सुंदरता को बढ़ाती है।
  • मनो सागर की लहरें नागिनें बनकर नृत्य कर रही हों।
    • लहरों की गतिशीलता को नागिन के नृत्य से तुलना की गई है, जो उनकी लचकता और गतिशीलता को दर्शाता है।
  • जैसे उसकी चाल हिरणी जैसी हल्की हो।
    • उसकी चाल की नजाकत और गति की तुलना हिरणी से की गई है, जो उसकी कोमलता को दर्शाता है।
  • जैसे मोर के पंखों में इंद्रधनुष उतर आया हो।
    • मोर के पंखों की सुंदरता की तुलना इंद्रधनुष से की गई है, जो रंगों की विविधता को दिखाता है।
  • मानो फूलों की कली अब ही खिलने को तैयार हो।
    • कली की अवस्था की तुलना फूल के खिलने की तैयारी से की गई है, जो कोमलता और नाजुकता को दर्शाता है।
  • मनो बिजली आसमान को चीरती हुई नीचे गिर रही हो।
    • बिजली की तीव्रता और गति की तुलना आसमान को चीरने से की गई है, जो उसकी ताकत को प्रकट करता है।
  • जैसे सूरज की किरणें सोने के धागों सी बिखर गई हों।
    • सूरज की किरणों की चमक को सोने के धागों से तुलना की गई है, जो उनकी कोमलता और चमक को दर्शाता है।
  • मनो पर्वत अपनी ऊँचाई से आकाश छू रहा हो।
    • पर्वत की विशालता और ऊँचाई की तुलना आकाश छूने से की गई है, जो उसकी स्थिरता और महत्व को दिखाता है।
  • जैसे पानी की बूंदें मोतियों की लड़ियां बन गई हों।
    • पानी की बूंदों की चमक को मोतियों की लड़ियों से तुलना की गई है, जो दृश्य की कोमलता और सुंदरता को व्यक्त करता है।
  • मनो सूरज के डूबने से सागर में आग लग गई हो।
    • सूरज के डूबते समय सागर की लालिमा को आग लगने से तुलना की गई है, जो दृश्य की भव्यता को दिखाता है।
  • जैसे बर्फीली पहाड़ियों ने सफेद चादर ओढ़ ली हो।
    • बर्फ से ढकी पहाड़ियों की तुलना सफेद चादर से की गई है, जो शांति और सौम्यता को प्रकट करता है।
  • मानो हवा के झोंकों ने पेड़ों को झूला बना दिया हो।
    • हवा के झोंकों की हल्की गति को पेड़ों के झूलने से तुलना की गई है, जो दृश्य की प्राकृतिकता को दर्शाता है।
  • मनो बारिश की बूंदों ने धरती पर मोती बिछा दिए हों।
    • बारिश की बूंदों की सुंदरता की तुलना धरती पर बिछे मोतियों से की गई है, जो दृश्य की भव्यता को दिखाता है।
  • जैसे उसकी आँखें हिरण की आँखों सी मासूम हो।
    • उसकी आँखों की मासूमियत की तुलना हिरण की आँखों से की गई है, जो निर्दोषता को प्रकट करता है।
  • मानो उसकी जुल्फों में रात की कालिमा घुल गई हो।
    • उसकी काली जुल्फों की तुलना रात की कालिमा से की गई है, जो उसकी सुंदरता को दर्शाता है।
  • मनो तालाब का पानी दर्पण सा साफ हो गया हो।
    • तालाब के पानी की शांति और स्पष्टता की तुलना दर्पण से की गई है, जो उसकी निर्मलता को दिखाता है।
  • जैसे चाँदनी ने समुंदर को चाँदी की परत से ढक दिया हो।
    • चाँदनी रात में समुद्र की चमक को चाँदी की परत से तुलना की गई है, जो दृश्य की सुंदरता को बढ़ाता है।
  • मानो तारों का झुरमुट आकाश में मोतियों की माला बन गया हो।
    • तारों की चमक को मोतियों की माला से तुलना की गई है, जो आकाश की शोभा को दर्शाता है।
  • जैसे सूरज का उगना सोने की थाली के चमकने जैसा हो।
    • सूरज के उगने की तुलना सोने की थाली से की गई है, जो उसकी चमक और शक्ति को प्रकट करता है।
  • मनो झरने की आवाज़ वीणा के तारों सी बज रही हो।
    • झरने की मधुर ध्वनि की तुलना वीणा के तारों से की गई है, जो उसकी ध्वनि की मधुरता को दर्शाता है।
  • जैसे गुलाब की पंखुड़ियां रेशम की चादर बन गई हों।
    • गुलाब की नाजुक पंखुड़ियों की तुलना रेशम की चादर से की गई है, जो उनकी कोमलता को दर्शाता है।
  • मानो आकाश में बादलों का किला बना हो।
    • बादलों की घनी बनावट की तुलना किले से की गई है, जो दृश्य की भव्यता और मजबूती को दर्शाता है।
  • मनो शीतल हवा के झोंकों ने पेड़ों को गले लगा लिया हो।
    • शीतल हवा की कोमलता को पेड़ों के गले लगने से तुलना की गई है, जो वातावरण की शांति को दर्शाता है।
  • जैसे उसके चेहरे पर सुबह की ताजगी उतर आई हो।
    • उसके चेहरे की ताजगी की तुलना सुबह की ठंडक और शांति से की गई है, जो सौंदर्य और ऊर्जा को दर्शाता है।
  • मानो बारिश की बूंदों ने धूल को सोने सा चमका दिया हो।
    • बारिश की बूंदों के कारण धूल की चमक की तुलना सोने से की गई है, जो दृश्य की सुंदरता को बढ़ाता है।
  • मनो बांसुरी की धुन हवाओं में घुल गई हो।
    • बांसुरी की मधुर ध्वनि की तुलना हवाओं में घुलने से की गई है, जो संगीत की शांति और माधुर्य को प्रकट करता है।
  • जैसे चाँद के इर्द-गिर्द बादलों की चुनरी लहरा रही हो।
    • चाँद के आसपास बादलों की हलचल की तुलना चुनरी से की गई है, जो दृश्य की कोमलता और सुंदरता को दर्शाता है।
  • मानो उसकी आँखों में समुंदर की गहराई समा गई हो।
    • उसकी आँखों की गहराई की तुलना समुंदर की गहराई से की गई है, जो उसकी भावनाओं की गहराई और व्यापकता को दर्शाता है।

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FAQs

उत्प्रेक्षा अलंकार क्या होता है?

उत्प्रेक्षा अलंकार वह अलंकार होता है जिसमें उपमेय (जिसकी तुलना की जा रही हो) में उपमान (जिससे तुलना की जा रही हो) की संभावना या कल्पना की जाती है। इसमें “जैसे”, “मनो”, “जनु”, “मानो” आदि शब्दों का प्रयोग होता है।

उत्प्रेक्षा अलंकार का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?

इसका उद्देश्य काव्य में भावनाओं और दृश्यों को अधिक प्रभावी और सुंदर तरीके से प्रस्तुत करना होता है, जिससे पाठक कल्पना के माध्यम से दृश्य को और अधिक जीवंत रूप में अनुभव कर सके।

उत्प्रेक्षा अलंकार के कितने भेद होते हैं?

उत्प्रेक्षा अलंकार के तीन मुख्य भेद होते हैं: वस्तुप्रेक्षा, हेतुप्रेक्षा, और फलोत्प्रेक्षा।

वस्तुप्रेक्षा अलंकार क्या है?

जब किसी वस्तु की तुलना किसी दूसरी वस्तु से इस प्रकार की जाती है कि वह वस्तु वैसी हो सकती है, इसे वस्तुप्रेक्षा कहते हैं।

हेतुप्रेक्षा अलंकार को कैसे परिभाषित किया जा सकता है?

हेतुप्रेक्षा अलंकार तब होता है जब किसी वस्तु या क्रिया की संभावना किसी कारण विशेष की वजह से व्यक्त की जाती है।

फलोत्प्रेक्षा अलंकार का क्या अर्थ है?

फलोत्प्रेक्षा वह अलंकार है जिसमें किसी क्रिया या घटना के परिणाम की कल्पना की जाती है।

उत्प्रेक्षा अलंकार के कौन से शब्द संकेत देते हैं कि यह अलंकार प्रयोग हुआ है?

“मनो”, “जैसे”, “मानो”, “जनु”, “इव” आदि शब्द उत्प्रेक्षा अलंकार का संकेत देते हैं।

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण क्या हैं?

उदाहरण: “मनो चंद्रमा धरती को छूने के लिए झुक गया हो।” इसमें चंद्रमा की क्रिया की संभावना को व्यक्त किया गया है।

उत्प्रेक्षा अलंकार और उपमा अलंकार में क्या अंतर है?

उपमा अलंकार में केवल तुलना की जाती है, जबकि उत्प्रेक्षा अलंकार में तुलना के साथ कल्पना या संभावना प्रकट की जाती है।

उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग किस प्रकार के काव्य में अधिक होता है?

उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग विशेष रूप से उन काव्यों में किया जाता है जहाँ कल्पनाशीलता और भावनात्मक अभिव्यक्ति की अधिक आवश्यकता होती है, जैसे शृंगार और प्रकृति-चित्रण।

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