Upsarg aur Pratyay – जानिए कैसे शब्दों की रचना में आते हैं बदलाव

स्कूली परीक्षाओं और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी व्याकरण से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, जिनमें उपसर्ग और प्रत्यय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। उपसर्ग (Upsarg) वे शब्दांश होते हैं जो किसी मूल शब्द के आगे जुड़कर उसके अर्थ को परिवर्तित करते हैं। उदाहरण के लिए, ‘सत्य’ में ‘अ’ उपसर्ग जोड़ने पर ‘असत्य’ बनता है, जिसका अर्थ होता है झूठ। इसी प्रकार, ‘प्रकाश’ में ‘अति’ जोड़ने पर ‘अतिप्रकाश’ बनता है, जो अत्यधिक प्रकाश को दर्शाता है।

वहीं, प्रत्यय (Pratyay) वे शब्दांश होते हैं जो किसी मूल शब्द के अंत में जुड़कर उसके रूप को बदलते हैं। ये शब्दों की संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के नए रूप बनाने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, ‘खुश’ में ‘-ता’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘खुशी’ बनता है, जो खुश रहने की स्थिति को दर्शाता है। इसी तरह, ‘शिक्षा’ में ‘-क’ जोड़ने पर ‘शिक्षक’ बनता है, जिसका अर्थ है शिक्षा देने वाला व्यक्ति। उपसर्ग और प्रत्यय का सही ज्ञान छात्रों को भाषा की विविधता और व्याकरण के सिद्धांतों को समझने में मदद करता है, जिससे उनकी परीक्षा तैयारी बेहतर होती है।

उपसर्ग किसे कहते हैं?

उपसर्ग वे प्रत्यय होते हैं जो किसी शब्द के प्रारंभ में जोड़े जाते हैं और उनका अर्थ बदल देते हैं। हिंदी और संस्कृत में उपसर्ग का प्रयोग शब्दों की संरचना और अर्थ को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। जैसे कि हिंदी में “अति-” (अत्यधिक), “अप्रति-” (असामान्य) और “सम-” (समान) उपसर्ग हैं। उपसर्ग शब्दों के अर्थ को विस्तारित या सीमित कर सकते हैं, और वे किसी भी मूल शब्द के अर्थ में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकते हैं।

उपसर्ग के भेद

उपसर्गों के भेद निम्नलिखित हैं:

  • प्रातिपदिक उपसर्ग: ये उपसर्ग संज्ञा या विशेषण के प्रारंभ में जुड़कर शब्द का विशेषण निर्माण करते हैं। जैसे, ‘प्राचीन’, ‘पुराना’, ‘नया’।
  • क्रियाविशेषण उपसर्ग: ये उपसर्ग क्रियाओं के साथ जुड़कर उन्हें परिभाषित या विशिष्ट बनाते हैं। जैसे, ‘विद्या’, ‘बुद्धि’, ‘दुर्दिन’।
  • समानार्थक उपसर्ग: ये उपसर्ग दूसरे शब्दों के समानार्थक होते हैं और उनके अर्थ या विशेषता को बदलते हैं। जैसे, ‘अविमान’, ‘अपात्र’, ‘असुविधा’।

प्रत्यय किसे कहते है?

प्रत्यय वे प्रत्यय होते हैं जो किसी शब्द के अंत में जोड़े जाते हैं और उसके अर्थ या व्याकरणिक रूप को बदल देते हैं। हिंदी और संस्कृत में प्रत्यय शब्दों की संरचना और उनका उपयोग निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए:

  • “-ता” (जैसे “सत्यता” – सत्य का गुण)
  • “-त्व” (जैसे “संपन्नत्व” – सम्पन्नता का गुण)
  • “-क” (जैसे “पढ़ाकू” – पढ़ने वाला)

उपसर्ग और प्रत्यय (Upsarg Pratyay) में अंतर

यहाँ उपसर्ग और प्रत्यय के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए एक तालिका दी गई है:

विशेषताउपसर्ग (Prefix)प्रत्यय (Suffix)
स्थानशब्द के प्रारंभ में जोड़ा जाता हैशब्द के अंत में जोड़ा जाता है
उद्देश्यशब्द के अर्थ को बदलने, विस्तार करने, या विशेषण करने के लिएशब्द की व्याकरणिक श्रेणी बदलने, गुण या अवस्था को व्यक्त करने के लिए
उदाहरण“अति-” (अत्यधिक) – “अति सुंदर”“-ता” (गुण) – “सत्यता” (सत्य का गुण)
अर्थ परिवर्तनमूल शब्द के अर्थ को बदल देता हैशब्द के रूप या श्रेणी को बदलता है
प्रकारविशेषण, क्रिया आदि के अर्थ में बदलाव लाता हैसंज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के रूप को बदलता है

उपसर्ग और प्रत्यय का उपयोग

उपसर्ग (Upsarg) और प्रत्यय (Pratyay) भाषा को व्यापक बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। ये शब्दांश शब्दों को विस्तृत करने और उन्हें अधिक परिवर्तनशील बनाने में मदद करते हैं। उपसर्ग और प्रत्यय वाक्यों को सुंदरता और विस्तार प्रदान करते हैं और भाषा के प्रभाव को बढ़ाते हैं।

उपसर्ग (Upsarg) का उपयोग:

  • अर्थ में परिवर्तन: उपसर्ग शब्द के अर्थ को बदलते हैं, जो मूल शब्द के अर्थ को पूरी तरह बदल देते हैं। उदाहरण: ‘सच्चा’ + ‘अस’ (उपसर्ग) = ‘असच्चा’ (नकारात्मक अर्थ)
  • नए शब्दों का निर्माण: उपसर्ग नए शब्दों का निर्माण करते हैं जिनका अर्थ बिल्कुल नया होता है। इससे भाषा में विस्तार होता है। उदाहरण: ‘शक्ति’ + ‘अति’ (उपसर्ग) = ‘अतिशक्ति’ (अत्यधिक शक्ति)
  • विशेषता जोड़ना: उपसर्ग किसी शब्द की विशेषता को जोड़ते हैं और उसे अधिक विशेष बनाते हैं। उदाहरण: ‘सुंदर’ + ‘अति’ (उपसर्ग) = ‘अति सुंदर’ (बहुत सुंदर)
  • विपरीत अर्थ देना: उपसर्ग विपरीत अर्थ प्रदान कर सकते हैं जो शब्द के अर्थ को उलट देते हैं। उदाहरण: ‘संगठित’ + ‘अ’ (उपसर्ग) = ‘असंघटित’ (नगठित के विपरीत)

प्रत्यय (Pratyay) का उपयोग:

  • विभक्ति और वचन की परिवर्तन: प्रत्यय शब्द के विभक्ति (क्रिया का प्रकार) और वचन (क्रिया के व्यक्ति) को बदलते हैं। उदाहरण: ‘खुश’ + ‘-ता’ (प्रत्यय) = ‘खुशी’ (खुश का संज्ञा रूप)
  • संज्ञा, विशेषण आदि के निर्माण: प्रत्यय द्वारा संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के नए रूप बनाए जाते हैं जो वाक्य को अधिक संवादात्मक बनाते हैं। उदाहरण: ‘शिक्षा’ + ‘-क’ (प्रत्यय) = ‘शिक्षक’ (शिक्षा देने वाला व्यक्ति)
  • काल और क्रिया के प्रकार: प्रत्यय काल (भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यकाल) और क्रिया के प्रकार (कर्तरी, भावरी, सेतु) को व्यक्त करते हैं। उदाहरण: ‘लिख’ + ‘-ता’ (प्रत्यय) = ‘लिखता है’ (वर्तमान काल)
  • पर्यायवाची शब्दों का निर्माण: प्रत्यय पर्यायवाची शब्दों का निर्माण करते हैं जो एक ही अर्थ के विभिन्न रूप प्रदान करते हैं। उदाहरण: ‘सुंदर’ + ‘-ता’ (प्रत्यय) = ‘सुंदरता’ (सुंदर का गुण)
  • संबंधवाचक शब्दों का निर्माण: प्रत्यय से संबंधवाचक शब्दों का निर्माण होता है जो वाक्य में विविध धाराएँ प्रकट करते हैं। उदाहरण: ‘शहर’ + ‘-वासी’ (प्रत्यय) = ‘शहरवासी’ (शहर में रहने वाला व्यक्ति)

संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम)

संस्कृत में उपसर्ग (तत्सम) वे प्रत्यय होते हैं जो मूल शब्दों के प्रारंभ में जोड़े जाते हैं और उनके अर्थ या उपयोग को बदलते हैं। संस्कृत के उपसर्ग आमतौर पर संज्ञा, विशेषण, और क्रिया के अर्थ को विशिष्ट बनाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख संस्कृत उपसर्ग (तत्सम) के उदाहरण दिए गए हैं:

उपसर्गअर्थउदाहरण
अनु-अनुसरण, पीछाअनुकरण (नकल करना), अनुशासन
अप-दूर, असामान्यअनुपस्थित (गायब), अपार
अधि-ऊपर, अतिरिक्तअधिकार (अधिकार), अधिवेशन
अति-अत्यधिकअतिवृष्टि (अत्यधिक वर्षा)
अति+सु-बहुत अच्छाअतिसुंदर (बहुत सुंदर)
उप-समीप, अधीनउपनिषद (समीप बैठना), उपन्यास
प्र-प्रकट, पूर्वप्रचार (प्रसार), प्रबंधन
प्रति-विपरीत, हरप्रति दिन (हर दिन), प्रतिकूल
परा-अत्यधिक, परपरम (उच्चतम), पार (पार करना)
अणु-सूक्ष्मअणु (सूक्ष्म कण), अणु पदार्थ
सम-समान, पूरी तरह सेसमर्पण (अर्पण करना), समाज (समानता)
अभि-लक्ष्य, पहले सेअभिमन्यु (लक्ष्य), अभिवादन
अनु-अनुसरण, पीछाअनुकरण (नकल करना), अनुशासन
निर-बिना, कमीनिराधार (बिना आधार), निरविवाद
सु-अच्छा, सुंदरसुखद (अच्छा), सुभट (सुंदर)
उप-समीप, अधीनउपवासी (भोजन नहीं करने वाला)
अंश-भाग, हिस्साअंशदारी (हिस्सा लेना), अंश
प्र+सह-सहेजना, सहन करनाप्रक्षिप्त (सहेजना), प्रबंधन
अ-नकारात्मक, नहींअकथ (अनकहा), अनपढ़ (अशिक्षित)
निरुप-निवारण, असमर्थनिरुपण (निराकरण), निरोध
महा-बहुत, महानमहापुरुष (महान व्यक्ति), महात्मा
शु-शुभ, अच्छाशुभकामनाएँ (अच्छी कामनाएँ)
प्र+वि-अलग, विशेषप्रवीण (विशेषज्ञ), प्रकल्प
उप-अधीन, पासउपदेश (सिखाना), उपकर्ण (सामान)
सं-एकत्र, संगसंगी (साथी), संचार (संचार)
नि-नीचे, बाहरनिर्वाण (मुक्ति), निःशुल्क (फ्री)
अ+प्रति-असमान, नहींअप्रतिम (असामान्य), अप्रसन्न
महा+सु-बहुत सुंदरमहासुंदर (बहुत सुंदर)
प्र+अनु-अनुसरण, पूर्वप्राण (जीवित), प्रपंच (प्रपंच)
कृ+अधि-क्रिया, विशेषकृदर्श (विशेष ध्यान), कृपण (दया)
रा-दूर, विदारात्रि (रात), रास (नृत्य)
अप+सु-दूर, परेअपसारण (संचार), अपस्मार (गिरना)

हिन्दी के उपसर्ग (तद्भव)

उपसर्गअर्थउदाहरण
अति-अत्यधिकअतिसुंदर (बहुत सुंदर), अतिवृष्टि (अत्यधिक वर्षा)
उप-समीप, अधीनउपन्यास (भोजन नहीं करना), उपवास (भोजन नहीं करना)
प्रति-विपरीत, हरप्रति दिन (हर दिन), प्रतिकूल (विपरीत)
अधि-ऊपर, अधिकअधिकार (अधिकार), अधिवेशन (बैठक)
अनु-अनुसरण, पीछाअनुकरण (नकल करना), अनुशासन (विवेक के अनुसार)
सु-अच्छा, सुंदरसुखद (अच्छा), सुंदर (सुंदर)
साम-समान, पूरी तरह सेसामर्थ्य (समान शक्ति), सामुदायिक (समान समुदाय)
नीति-मार्गदर्शन, नियमनीति (मार्गदर्शन), नीतिगत (नियमित)
द्वि-दोद्वार (दो स्थान), द्वितीय (दूसरा)
अव-कम, अस्थायीअविकसित (कम विकसित), अवकाश (छुट्टी)
अल-असामान्यअल्प (कम), अलौकिक (असामान्य)
प्र-प्रकट, पूर्वप्रचार (प्रसार), प्रबंधन (प्रबंधन)
निर-बिनानिराधार (बिना आधार), निराशा (उम्मीद की कमी)
सुप-उत्तमसुप्रभात (अच्छा दिन), सुपात्र (उत्तम पात्र)
सां-मिलकर, एकत्रसांस्कृतिक (संस्कृति से संबंधित), सांत्वना (आत्मसंतोष)
पुन-फिर सेपुनः (फिर से), पुनर्निर्माण (फिर से निर्माण)
आदि-प्रारंभिकआदि काल (प्रारंभिक काल), आदर्श (मूल मानक)
धन-समृद्धिधनुष (समृद्धि का प्रतीक), धन्य (समृद्ध)
भद्र-अच्छा, सजगभद्रजन (सज्जन व्यक्ति), भद्रता (शिष्टता)
सर्व-सभीसर्वसमावेशी (सभी को शामिल करने वाला), सर्वव्यापी (सर्वत्र मौजूद)
साध-सामान्यसाधारण (सामान्य), साधना (आत्मप्रयास)
विधि-तरीका, प्रक्रियाविधि (तरीका), विधायिका (संसद)
रूप-स्वरूपरूपांतरण (स्वरूप बदलना), रूपरेखा (स्वरूप की योजना)
मुख्य-प्रधानमुख्यालय (प्रधान कार्यालय), मुख्य मुद्दा (प्रधान विषय)
श्री-सम्मानश्रीमान (सम्मानित व्यक्ति), श्रीमति (सम्मानित महिला)
अन्य-अन्यअन्यथा (अन्य रूप), अन्याय (असामान्य)

उर्दू के उपसर्ग

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
लाबिनालावारिस, लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता
बदबुराबदसूरत, बदनाम, बददिमाग, बदबू, बदकिस्मत
बेबिनाबेकाम, बेअसर, बेरहम, बेईमान, बेरहम
कमथोड़ाकमबख्त, कमज़ोर, कमदिमाग, कमअक्ल, कमउम्र
ग़ैरके बिनागैरकानूनी, गैरजरूरी, ग़ैरहाज़िर, गैरसरकारी
नाअभावनाराज, नालायक, नामुमकिन, नादान, नापसन्द
खुशश्रेष्ठताखुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशबू, खुशदिल
हमबराबरहमउम्र, हमदर्दी, हमराज, हमपेशा
ऐनठीकऐनवक्त, ऐनजगह, ऐनमौके
सरमुख्यसरताज, सरदार, सरपंच, सरकार
बेशअत्यधिकबेशकीमती, बेशुमार, बेशक्ल, बेशऊर
बासहितबाकायदा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा
अलनिश्चितअलबत्ता, अलविदा, अलसुबह, अलगरज
सीनसंबंधितसीनियर (वरिष्ठ), सीनापन (वृद्धावस्था)
जौथोड़ाजौहर (विशेषता), जौक (थोड़ी सी)
बेतबहुतबेतहाशा (अधिक), बेताब (तड़पता)
नयेनयानये-नये (नये), नये जोश (नया उत्साह)
ग़ज़बअद्भुतग़ज़ब (अत्यधिक), ग़ज़ब का (असाधारण)
खड़ास्थितखड़ा (संबंधित), खड़ी (स्थित)
ज़बरजोरदारज़बरदस्त (जबरदस्त), ज़बरदस्ती (जबरदस्ती)
सबसभीसबक (सभी), सब कुछ (सर्वे)
मज़बूतमजबूतमज़बूती (मजबूती), मज़बूती से (मजबूती के साथ)
हज़ारबहुतहज़ारों (अधिक), हज़ार रुपये (हज़ार)
ग़रीबगरीबग़रीबी (गरीबी), ग़रीब (गरीब)
फ़ौलादीस्टीलफ़ौलादी (स्टील), फ़ौलादी डिब्बा (स्टील का डिब्बा)
एकएकएकता (एकता), एकदम (सही)
झूठाझूठझूठा (झूठ), झूठ बोलना (झूठ बोलना)
फुलपूर्णफुल (पूर्ण), फुल शक्ति (पूर्ण शक्ति)
ईमानविश्वासईमानदारी (ईमानदारी), ईमानदार (ईमानदार)
नमनमकीननमक (नमक), नमकीन (नमकीन)
अंधादृष्टिहीनअंधा (अंधा), अंधेरा (अंधेरा)
उधारउधारउधार (उधार), उधार लेना (उधार लेना)
बमधमाकाबम (बम), बमबारी (बमबारी)
हमदर्दसहानुभूतिहमदर्द (सहानुभूति), हमदर्दी (सहानुभूति)
हज़ारहजारहज़ार (हजार), हज़ारों (हजारों)
रईसअमीररईस (अमीर), रईसों (अमीर लोग)

अंग्रेजी के उपसर्ग

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
सबअधीनसब-रजिस्ट्रार, सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर
हाफआधाहाफकमीज, हाफटिकट, हाफपेन्ट, हाफशर्ट
कोसहितको-आपरेटिव, को-आपरेशन, को-एजूकेशन
हैडमुख्यहैडमास्टर, हैडऑफिस, हैडक्लर्क, हैडबाॅय
वाइससहायकवाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-प्रेसीडेंट
उपनीचे, निम्नउप-मंत्री, उप-प्रधान, उप-निदेशक, उपाध्यक्ष
सहसाथसहायक, सह-लेखक, सहकर्मी, सहप्रबंधक
परिचारों ओरपरिदृश्य, परिसीमा, परिभाषा, परिप्रेक्ष्य
प्रिपूर्वप्रेफर, प्रिंसिपल, प्रीफेक, प्रिंट
उपरऊपरउपर्युक्त, उपराष्ट्रपति, उपरी, उपरिगामी
सहिसहीसहायक, सहकारी, सहमति, सहनशीलता
अधिअधिकअधिनियम, अधिग्रहण, अधिसूचना, अधिकार
अतिअत्यधिकअत्यंत, अत्यधिक, अति-संवेदनशील, अति-उत्तेजित
उपननीचे, स्थानउपनिषद, उपनगरी, उपनिवेश, उपनिवेशी
रिफिर सेरिप्रिंट, रिसेट, रिसर्च, रिविजन
डिहटानाडिकोड, डिस्क, डिफ़ॉल्ट, डिसेबल
टेलीदूरसंचारटेलीफोन, टेलीविजन, टेलीग्राम, टेलीमेडिसिन
ट्रांसपारगमनट्रांसफर, ट्रांसलेट, ट्रांसपोर्ट, ट्रांसकрип्ट
आंतरबीच मेंआंतरराष्ट्रीय, आंतरक्रीया, आंतरविवाह, आंतरिक्ष
उपरिऊपरउपरिगामी, उपराष्ट्रपति, उपराष्ट्र, उपर्युक्त
अर्धआधाअर्धसैनिक, अर्धवृत्त, अर्धवार्षिक, अर्धविक्षण
उपसर्गप्रादुर्भावउपसर्ग, उपसर्गी, उपसर्गीय, उपसर्गिता
सुपरअत्यधिकसुपरवाइजर, सुपरफास्ट, सुपरपावर, सुपरमार्केट
प्रोटोप्राथमिकप्रोटोटाइप, प्रोटोन, प्रोटोकॉल, प्रोटोटाइपिंग
एक्सपूर्व, बाहरएक्सपोर्ट, एक्सीडेंट, एक्सप्रेस, एक्सपेंशन
मिनीछोटामिनीबस, मिनीट्रक, मिनीपैक, मिनी कंप्यूटर
साइडओरसाइड-इफेक्ट, साइडलाइन, साइडबोर्ड, साइडवॉक
काउंटरविरोधीकाउंटर, काउंटरप्रोसेस, काउंटरपार्ट, काउंटरमेज़
डिस्कचकडिस्क, डिस्कड्राइव, डिस्को, डिस्क्रिप्शन
माइक्रोछोटे, सूक्ष्ममाइक्रोफोन, माइक्रोस्कोप, माइक्रोचिप, माइक्रोवेव
पैरासमानांतरपैराललल, पैरामेडिकल, पैराफ्रेंड, पैराडाइम
सेंट्रीसौ, केन्द्रसेंट्रीफ्यूगल, सेंट्री, सेंट्रल, सेंट्रीक
इंटेलबुद्धिइंटेलिजेंस, इंटेलिजेंट, इंटेलेक्ट, इंटेल
सीनदृश्यसीन, सीनरी, सीनियर, सीन-सेट

कृत् प्रत्यय

कृत् प्रत्यय (Derivational Suffix) वे प्रत्यय होते हैं जो किसी मूल शब्द से नए शब्द बनाने के लिए जोड़े जाते हैं और जिससे नए शब्द की अर्थवत्ता बदलती है। ये प्रत्यय मुख्य रूप से संज्ञा, क्रिया, विशेषण, या अन्य शब्दों के निर्माण के लिए उपयोग में आते हैं। कृत् प्रत्यय शब्द के अंत में जोड़े जाते हैं और उनके अर्थ में परिवर्तन करते हैं।

उदाहरण: 

प्रत्ययअर्थउदाहरण शब्द
-तागुण, स्थितिसच्चा → सच्चाई, अमीर → अमीरी
-आयअवस्था, संबंधसाधू → साधूआय, आश्रम → आश्रमाय
-ईलिंग, विशेषणकर्म → कर्मी, शिक्षक → शिक्षिका
-कसंबंध, विशेषणरसोई → रसोईक, कला → कलाक
-इकविशेषण निर्माणशुद्ध → शुद्धिक, ऊँचा → ऊँचिक
-नक्रिया, प्रक्रियाचल → चलन, गुनगुनाना → गुनगुनाना
-नाक्रिया निर्माणसिख → सिखाना, खेल → खेलना
-यसंबंध, गुणसार → सारय, व्यापार → व्यापारी
-तस्थिति, गुणनम्र → नम्रता, पवित्र → पवित्रता
-सस्थानिक या गुणात्मकस्थान → स्थानस, सुंदर → सुंदरस
-वालास्थिति, कार्यकर्ताकाम → कामवाला, पुस्तक → पुस्तकवाला
-अनाक्रिया निर्माणखा → खाना, पढ़ → पढ़ना
-वृत्तप्रक्रिया, क्रियाघुम → घुमाव, तैर → तैराव
-णक्रिया से संज्ञाचल → चलन, बोल → बोलन
-तवगुणसूचक संज्ञाशील → शीलत्व, पूरक → पूरकत्व
-पदस्थिति, पदकार्यालय → कार्यालयपद, शिक्षक → शिक्षकपद
-गउत्पत्ति, प्रकारसंगी → संगग, वर्ग → वर्गग
-नतागुणसूचक संज्ञाशील → शीलता, शक्ति → शक्ति
-अकगुण, विशेषणसुंदर → सुंदरक, तेज → तेजक
-हितउपयोग, लाभहित → हितकारी, लाभ → लाभकारी

तद्धित प्रत्यय

तद्धित प्रत्यय (Taddhita Suffix) वे प्रत्यय होते हैं जो किसी संज्ञा या विशेषण के साथ जोड़े जाते हैं और उसके अर्थ को बदलने या उसे विशिष्ट रूप देने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। ये प्रत्यय विशेषण, संज्ञा, वचन, लिंग, और अन्य विशेषताओं को व्यक्त करते हैं। तद्धित प्रत्यय मुख्य रूप से संस्कृत व्याकरण में उपयोग किए जाते हैं।

प्रत्ययअर्थउदाहरण शब्द
-त्वागुण, स्थितिराजा → राजत्वा
-वत्संबंधित, गुणसूचकगृह → गृहवत्
-ईयसंबंधित, विशिष्टदेश → देशीय
-ससंबंधितधर्म → धर्मस
-शसंबंधितकर्म → कर्मश
-आयसंबंधित, स्थितिधर्म → धर्माय
-कारकार्यकर्ता, संबंधितशिक्षा → शिक्षाकार
-यसंबंधितशक्ति → शक्तिय
-विन्संबंधितधर्म → धर्मविन्
-वतीसंबंधितनगर → नगरवती

उपसर्ग के 30 उदाहरण

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
अधि-अधिक, ऊपरअधिपति, अधीन, अधिप्राप्त
अति-अत्यधिक, अत्यंतअति सुंदर, अति आवश्यक, अति महत्वपूर्ण
अप्र-नकारात्मकअप्रत्यक्ष, अप्रसिद्ध, अप्रभावित
अन-न, बिनाअनदेखा, अनिश्चित, अनजान
अव-नीचे, विरोधीअव्यस्त, अवलोकन, अवनति
अस-नकारात्मकअसामान्य, असहनीय, असंगत
अधि-अधिक, ऊपरअधिपति, अधीन, अधिकार
उप-पास, सहायकउपस्थिति, उपाधि, उपनिषद
प्रति-प्रति, विरोधीप्रति दिन, प्रति उत्तर, प्रतिकूल
सुपर-अत्यधिक, उच्चसुपरवाइज़र, सुपरमॉडल, सुपरहीरो
विव-विस्तृत, विविधविवेचन, विवेक, विवाहित
पर-पार, ऊपरपरदेश, परिदृश्य, परिणाम
सम-साथ, मिलकरसमर्पण, समान, संपन्न
नीति-दिशा, नियमनीतिशास्त्र, नीति, नीतिगत
अत-अत्यधिक, अपूर्वअतुलनीय, अतृप्त, अत्यंत
प्र-पहले, पूर्वप्रारंभ, प्रतिज्ञा, प्रबंधन
अधि-ऊपर, अधिकअधिवेशन, अधीक्षण, अधीकृत
आदि-प्रारंभ, प्रारंभिकआदिकाल, आदत, आदिवासी
विष-विशेषविषाक्त, विषम, विषाणु
निर-बिना, ननिराकार, निरंतर, निरुपाय
सुन-पूरी तरह से, केवलसुनहरा, सुनियोजित, सुनवाइ
अह-प्रमुख, उच्चअहंकार, अहंभाव, अहर्निश
वीर-बलशाली, मजबूतवीरता, वीरता, वीरव्रत
अति-अत्यधिक, अधिकअति सुंदर, अति आवश्यक, अति महत्व
उप-पास, सहायकउपनिषद, उपवर्ग, उपदेश
अंत-अंत, समाप्तअंतर्ज्ञान, अंतर्कलन, अंतर्गत
उप-पास, अतिरिक्तउपविज्ञान, उपन्यास, उपस्थिति
प्रति-प्रतिवाद, प्रतिकूलप्रति उत्तर, प्रतिदिन, प्रतिकूल
अन-न, बिनाअनवांछनीय, अनिश्चित, अनगिनत
अच्छ-अच्छा, उपयुक्तअच्छूत, अच्छूत, अच्छूत
सह-साथ, मिलकरसहायक, सहयोग, सहनशील
सम्-साथ, समानसंगीनी, संयोग, संपूर्ण

100 उपसर्ग के उदाहरण

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
अधि-अधिक, ऊपरअधिपति, अधीन, अधिकार, अधिवेशन
अति-अत्यधिक, अत्यंतअति सुंदर, अति आवश्यक, अति महत्वपूर्ण
अप्र-नकारात्मकअप्रत्यक्ष, अप्रसिद्ध, अप्रभावित
अन-न, बिनाअनदेखा, अनिश्चित, अनजान
अव-नीचे, विरोधीअव्यस्त, अवलोकन, अवनति
अस-नकारात्मकअसामान्य, असहनीय, असंगत
उप-पास, सहायकउपस्थिति, उपाधि, उपनिषद
प्रति-प्रति, विरोधीप्रति दिन, प्रति उत्तर, प्रतिकूल
सुपर-अत्यधिक, उच्चसुपरवाइज़र, सुपरमॉडल, सुपरहीरो
विव-विस्तृत, विविधविवेचन, विवेक, विवाहित
पर-पार, ऊपरपरदेश, परिदृश्य, परिणाम
सम-साथ, मिलकरसमर्पण, समान, संपन्न
नीति-दिशा, नियमनीतिशास्त्र, नीति, नीतिगत
अत-अत्यधिक, अपूर्वअतुलनीय, अतृप्त, अत्यंत
प्र-पहले, पूर्वप्रारंभ, प्रतिज्ञा, प्रबंधन
आदि-प्रारंभ, प्रारंभिकआदिकाल, आदत, आदिवासी
विष-विशेषविषाक्त, विषम, विषाणु
निर-बिना, ननिराकार, निरंतर, निरुपाय
सुन-पूरी तरह से, केवलसुनहरा, सुनियोजित, सुनवाई
अह-प्रमुख, उच्चअहंकार, अहंभाव, अहर्निश
वीर-बलशाली, मजबूतवीरता, वीरव्रत, वीरता
उप-पास, अतिरिक्तउपविज्ञान, उपन्यास, उपस्थिति
अंत-अंत, समाप्तअंतर्ज्ञान, अंतर्कलन, अंतर्गत
अच्छ-अच्छा, उपयुक्तअच्छूत, अच्छा, अच्छूत
सह-साथ, मिलकरसहायक, सहयोग, सहनशील
सम्-साथ, समानसंगीनी, संयोग, संपूर्ण
अप्रि-बिना, नअप्रभावित, अप्रतिष्ठित, अप्रकाशित
अंतर-बीच, अंतरअंतरराष्ट्रीय, अंतरिक्ष, अंतराल
उद-ऊपर, बाहरउद्यम, उदास, उदर
प्रति-विरोधी, प्रतिप्रतिशोध, प्रतिकूल, प्रतिवाद
विक-परिवर्तनविकृत, विकलांग, विकास
अव-निषेध, घटकअवगुण, अवनति, अवश्य
न-अर्थ-बिना अर्थनिरर्थक, अनर्थक, नाश
असं-असम्बद्ध, भिन्नअसमान, असंयम, असम्बद्ध
अश-दुखदअशांति, अशक्त, अशुद्ध
उपरि-ऊपर, अधिकउपरी, उपरिचालक, उपरीकृत
उभय-दोनों, द्विउभयचर, उभयलिंगी, उभयलाभ
सं-एकत्र, साथसंयोग, संप्रेषण, संप्रदाय
विस-विसर्जन, विघटनविसर्जन, विस्मरण, विस्फोट
धन-संपत्ति, धनधनवान, धनलाभ, धन्य
अभी-वर्तमानअभीष्ट, अभी, अभीष्ट
अर्थ-महत्व, अर्थअर्थशास्त्र, अर्थपूर्ण, अर्थशास्त्र
सद-अच्छा, सहीसदगुण, सद्वृत्ति, सदाचार
सर्व-सभी, पूर्णसर्वज्ञ, सर्वकालिक, सर्वशक्तिमान
अवश-बचाव, संरक्षणअवशेष, अवशान, अवशिष्ट
महा-बड़ा, महानमहात्मा, महाविद्यालय, महापरिवार
संख-संख्या, गणनासंख्याशास्त्र, संख्यात्मक, संख्यावादी
विश-विशेषविशेषण, विशेषता, विशेषग्यता
अध्य-अध्याय, भागअध्यापक, अध्याय, अध्येतर
प्रति-प्रतिकूल, प्रतिक्रियाप्रतिक्षा, प्रतिकार, प्रतिलिपि
उपरि-ऊपर, अतिरिक्तउपरि, उपरित, उपरिज्ञान
सुर-सुर, सुरक्षासुरक्षाकर्मी, सुरमई, सुरम्य
वर्ण-वर्ण, रंगवर्णन, वर्णित, वर्णमाला
असिद्ध-असमाप्त, अधूराअसिद्धि, असिद्धांत, असिद्ध

प्रत्यय के 30 उदाहरण

प्रत्ययअर्थउदाहरण शब्द
-तागुण, स्थितिसुंदरता, उच्चता, सरलता, स्वास्थ्य
-इयसंबंधित, विशेषभारतीय, स्थानीय, प्रादेशिक
-कगुण, संबंधभक्त, शिक्षक, लेखक, कलाकार
-नविशेषणशासक, समाज, मनोबल
-ष्ठस्थिति, विशेषताशास्त्र, लेखक, राज्य, काव्य
-वृत्तकार्य, गतिविधिव्यापारवृत्त, लेखावृत्त
-ईयसंबंधित, गुणविशेषीय, नागरिक, धार्मिक
-जनव्यक्तिनागरिक, कर्मजन, पाठक
-कर्मक्रिया, कार्यशिक्षाकर्म, प्रशासनिकर्म
-शास्त्रज्ञान, अध्ययनगणितशास्त्र, इतिहासशास्त्र
-कृतिनिर्माण, रचनासाहित्यकृति, चित्रकृति
-भूतअस्तित्वपूर्वभूत, दैवभूत
-त्वगुण, स्थितिकार्यत्व, गुणत्व, नैतिकत्व
-गतिगति, चलनपुनरगति, संवेगति
-तागुण, स्थितिअभ्यस्तता, असंयमिता
-रूपस्वरूप, आकारस्वरूप, प्रकार, रूपक
-सारसार, मुख्यअर्थसार, अध्ययनसार
-नविश्लेषणसंकेत, वचन, शब्दन
-धारधारणा, धारणविचारधार, धर्मधार
-लापलापता, अनुपस्थितिलापता, खोया
-कृतिनिर्माण, रचनाचित्रकृति, काव्यकृति
-योगयोग, संयोगभागयोग, योग्यता
-कथाकथा, कहानीपुराणकथा, उपन्यासकथा
-वारसमय, अवधिकामासवार, वार्षिक
-पूर्णपूर्ण, सम्पूर्णपूर्णता, संपूर्णता
-अधिकअतिरिक्त, बढ़ावअधिकृत, अतिरिक्त
-नायकनेता, मुख्य व्यक्तिदेशनायक, फिल्मनायक
-विधिविधि, तरीकाविधिक, प्रक्रियाविधि
-क्षेत्रक्षेत्र, क्षेत्रीयविज्ञानक्षेत्र, व्यापारक्षेत्र
-ज्ञज्ञान, समझविज्ञानज्ञ, धार्मिकज्ञ
-मुखमुख, प्रधानमुख्यमंत्री, मुखपृष्ठ
-साधनसाधन, उपकरणशिक्षासाधन, कृतसाधन

100 प्रत्यय के उदारहण

प्रत्ययअर्थउदाहरण शब्द
-तागुण, स्थितिसुंदरता, शक्ति, सफलता, ईमानदारी
-त्वगुण, स्थितिविश्वासत्व, मित्रत्व, पवित्रत्व
-ष्ठस्थिति, विशेषताधार्मिक, शास्त्र, लेखक, राजा
-कगुण, संबंधभक्त, लेखक, शिक्षक, कलाकार
-नविशेषणभयानक, मानक, विशाल
-पनास्थिति, गुणआदमीपना, सादगीपना, दीनपना
-तंत्रप्रणाली, ढांचाप्रौद्योगिकी, प्रशासनिक तंत्र
-कर्मकार्य, क्रियाशिक्षाकर्म, प्रशासनिकर्म, समाजकर्म
-वृत्तगतिविधि, कार्यव्यापारवृत्त, लेखावृत्त
-शास्त्रज्ञान, अध्ययनगणितशास्त्र, इतिहासशास्त्र, योगशास्त्र
-कृतिनिर्माण, रचनाचित्रकृति, साहित्यकृति, मूर्तिकृति
-रूपस्वरूप, आकारस्वरूप, रूपक, प्रकटरूप
-सारसार, मुख्यअर्थसार, अध्ययनसार, समाजसार
-जनव्यक्तिनागरिक, कर्मजन, पाठक
-भूतअस्तित्वपूर्वभूत, दैवभूत
-लापअनुपस्थिति, लापतालापता, खोया
-योगयोग, संयोगभागयोग, योग्यता
-कथाकथा, कहानीपुराणकथा, उपन्यासकथा
-अधिकअतिरिक्त, बढ़ावअधिकृत, अतिरिक्त
-मुखप्रधान, मुख्यमुख्यमंत्री, मुखपृष्ठ
-साधनसाधन, उपकरणशिक्षासाधन, कृतसाधन
-विधिविधि, तरीकाविधिक, प्रक्रियाविधि
-क्षेत्रक्षेत्र, क्षेत्रीयविज्ञानक्षेत्र, व्यापारक्षेत्र
-ज्ञज्ञान, समझविज्ञानज्ञ, धार्मिकज्ञ
-साधकसाधना करने वालासाधक, योगसाधक
-युक्तयुक्त, संबंधितबुद्धयुक्त, प्रबंधनयुक्त
-संगसाथ, संबंधसंगठक, संगत, संगदर्शक
-अधिकारअधिकार, स्वामित्वनागरिकअधिकार, लेखाअधिकार
-कुलकुल, संपूर्णकुलपति, कुलीन
-संपर्कसंपर्क, सम्बंधसंपर्ककर्ता, संपर्कित
-पुत्रपुत्र, संतानशिष्यपुत्र, छात्रपुत्र
-ज्ञापकजानने वाला, ज्ञानदाताविज्ञानज्ञापक, अध्यापक
-शोधनशोधन, परिष्कारसंशोधन, वर्तनशोधन
-अधिवक्तावकालत करने वालाअधिवक्ता, वकील
-संबंधीसंबंधित, रिश्तेदारपरिवारसंबंधी, कार्यालयसंबंधी
-प्रेरकप्रेरणा देने वालाप्रेरक, प्रोत्साहक
-उपाधिउपाधि, पदनामउपाधि, डिग्री
-रक्षकरक्षा करने वालाजीवनरक्षक, पर्यावरणरक्षक
-प्रस्तावप्रस्ताव, सुझावप्रस्तावना, सुझाव
-संगीतसंगीत, ध्वनिसंगीतज्ञ, संगीतकार
-मंचमंच, जगहकार्यक्रममंच, मंचन
-विवरणविवरण, जानकारीविस्तृतविवरण, व्याख्यात्मक विवरण
-धारकधारक, मालिककागज़धारक, संपत्तिधारक
-प्रकारप्रकार, किस्मविभिन्नप्रकार, वस्तुपरक
-लक्षणलक्षण, विशेषतालक्षणविवरण, गुणलक्षण
-अधिकारअधिकार, नियंत्रणप्राधिकार, संवैधानिकअधिकार
-गुणगुण, विशेषतागुणकारी, गुणगुण
-मुखीप्रधान, प्रमुखमुख्य, प्रधानमंत्री
-शीलगुण, चरित्रसजगशील, निष्ठाशील
-ज्ञानज्ञान, सूचनाज्ञानवर्धन, ज्ञानवर्धक
-पुस्तकपुस्तक, ग्रंथपाठपुस्तक, पाठ्यपुस्तक
-शालाविद्यालय, स्थानविद्यालयशाला, खेलशाला
-संख्यासंख्या, गणनासंख्याशास्त्र, संख्यानुसार
-अधिनियमअधिनियम, कानूनविधेयक, अधिनियम
-मिश्रणमिश्रण, संयोजनरंगमिश्रण, मिश्रणकर्ता
-लंबालंबा, व्यापकलंबाई, लंबवत
-प्रयोगप्रयोग, उपयोगप्रयोगशाला, प्रयोगात्मक
-शक्तिशक्ति, ताकतमानसिकशक्ति, शारीरिकशक्ति
-प्रेरणाप्रेरणा, उत्तेजनाआत्मप्रेरणा, प्रेरणादायक
-नियंत्रणनियंत्रण, प्रबंधनप्रशासननियंत्रण, संकटनियंत्रण

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FAQs

उपसर्ग और प्रत्यय क्या हैं?

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्द के भाग होते हैं जो उसके अर्थ को बदलने या उसकी विशेषता बढ़ाने का काम करते हैं। उपसर्ग शब्द के प्रारंभ में जोड़ा जाता है और प्रत्यय शब्द के अंत में जोड़ा जाता है।

उपसर्ग और प्रत्यय में क्या अंतर है?

उपसर्ग शब्द के प्रारंभ में जोड़ा जाता है और इसके द्वारा शब्द का अर्थ बदल जाता है। प्रत्यय शब्द के अंत में जोड़ा जाता है और इसके द्वारा शब्द के प्रकार या गुण में परिवर्तन होता है।

उपसर्ग के कुछ सामान्य उदाहरण क्या हैं?

कुछ सामान्य उपसर्गों के उदाहरण हैं: ‘अस’, ‘अव’, ‘प्रति’, ‘अति’, ‘अधि’, ‘अनु’, ‘सुप’, ‘प्रति’।

प्रत्यय के कुछ सामान्य उदाहरण क्या हैं?

कुछ सामान्य प्रत्ययों के उदाहरण हैं: ‘-ता’, ‘-त्व’, ‘-क’, ‘-जन’, ‘-न’, ‘-वृत्त’, ‘-विधि’, ‘-रूप’।

उपसर्ग और प्रत्यय का उपयोग कैसे किया जाता है?

उपसर्ग और प्रत्यय का उपयोग शब्दों को विशेष अर्थ देने, उनके प्रकार को बदलने और नए शब्द बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, ‘अस’ उपसर्ग जोड़ने से ‘सच्चा’ शब्द ‘असच्चा’ हो जाता है, और ‘-ता’ प्रत्यय जोड़ने से ‘सुंदर’ शब्द ‘सुंदरता’ बन जाता है।

उपसर्ग और प्रत्यय का उपयोग हिंदी वाक्यों में कैसे होता है?

उपसर्ग और प्रत्यय का उपयोग हिंदी वाक्यों में शब्दों की विशेषताओं को बढ़ाने और उनके अर्थ को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, ‘अति’ उपसर्ग जोड़ने से ‘अति सुंदर’ का अर्थ ‘बहुत सुंदर’ हो जाता है।

उपसर्ग और प्रत्यय के बीच संबंध क्या है?

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों शब्द के अर्थ को बदलने के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन उपसर्ग शब्द के शुरुआत में जुड़ता है और प्रत्यय शब्द के अंत में। दोनों मिलकर नए शब्द और अर्थ उत्पन्न करते हैं।

उपसर्ग और प्रत्यय के कितने प्रकार होते हैं?

उपसर्ग और प्रत्यय के कई प्रकार होते हैं। उपसर्ग के मुख्य प्रकार हैं: प्रातिपदिक, क्रियाविशेषण, और समानार्थक शब्द। प्रत्यय के मुख्य प्रकार हैं: कृत् प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय, और विभक्तिपद्यय।

उपसर्ग और प्रत्यय के प्रयोग से शब्दों में क्या बदलाव आता है?

उपसर्ग और प्रत्यय जोड़ने से शब्दों के अर्थ में बदलाव आता है, नए शब्द बनते हैं, और शब्दों की विशेषताएँ और गुण बदले जाते हैं। उदाहरण के लिए, ‘अस’ उपसर्ग जोड़ने से ‘सच्चा’ शब्द ‘असच्चा’ हो जाता है।

उपसर्ग और प्रत्यय का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

उपसर्ग और प्रत्यय का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भाषा के शब्द संरचना को समझने में मदद करता है। इससे हमें नए शब्दों का निर्माण और उनके अर्थ को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलती है।

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