हिंदी व्याकरण में समास एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक स्वतंत्र अर्थ रखने वाले शब्द मिलकर एक नया अर्थपूर्ण शब्द बनाते हैं। समास का यह स्वरूप हिंदी भाषा की विशेषता को दर्शाता है और भाषा के अर्थ को संक्षेप में व्यक्त करने की क्षमता प्रदान करता है। समास के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे द्वंद्व समास, अव्ययीभाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, बहुव्रीहि समास, और द्विगु समास। प्रत्येक प्रकार की अपनी विशिष्ट विशेषताएं होती हैं और उनका उपयोग भिन्न-भिन्न संदर्भों में किया जाता है।
समास की परिभाषा और समास विग्रह (समास का विभाजन) की समझ हिंदी भाषा की परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर महत्वपूर्ण होती है। इन परीक्षाओं में समास से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जो उम्मीदवारों की भाषा पर पकड़ और समझ को परखते हैं। इस ब्लॉग में, “Samas in Hindi” के माध्यम से हम समास की परिभाषा, प्रकार, और विग्रह के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिससे आपको हिंदी व्याकरण के इस महत्वपूर्ण पहलू को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
समास की परिभाषा क्या है? (Samas Kya Hota Hai)
समास-प्रक्रिया में दो या दो से अधिक शब्दों या पदों के मिलकर एक नया और अर्थपूर्ण शब्द या पद बनता है। इस प्रक्रिया में पहले शब्द को ‘पूर्वपद’ और दूसरे शब्द को ‘उत्तरपद’ कहा जाता है। इन दोनों के मिलकर जो नया शब्द बनता है, उसे ‘समस्तपद’ कहते हैं। समास-प्रक्रिया का उद्देश्य शब्दों को संक्षिप्त रूप में व्यक्त करना है ताकि भाषा की अर्थवत्ता को अधिक प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया जा सके।
पूर्वपद | उत्तरपद | समस्तपद |
सूर्य | पुत्र | सूर्यपुत्र |
पुस्तक | आलय | पुस्तकालय |
रात | दिन | रातदिन |
नाग | पुरी | नागपुरी |
बाल | वीर | बालवीर |
राजा | बेटा | राजपुत्र |
जल | वायु | जलवायु |
हिम | ालय | हिमालय |
गुरु | शिष्य | गुरुशिष्य |
देव | स्थान | देवस्थान |
लम्बा | तारा | लम्बोतरा |
धरती | माता | धरतीमाता |
द्रव्य | स्थल | द्रव्यस्थल |
मनुष्य | जाति | मनुष्यजाति |
गांव | प्रधान | गांवप्रधान |
चमक | सितारा | चमकसितारा |
सागर | दीप | सागरदीप |
सेतु | पुल | सेतुपुल |
अम्बा | भूमि | अम्बभूमि |
आदम | कद | आदमकद |
पृथ्वी | शासक | पृथ्वीशासक |
कुमुद | बॉट | कुमुदबॉट |
पुस्तक | चीर | पुस्तकचीर |
विद्युत | पंखा | विद्युतपंखा |
विद्यालय | छात्र | विद्यालयछात्र |
आकाश | गंगा | आकाशगंगा |
झील | किनारा | झीलकिनारा |
रक्त | दान | रक्तदान |
पंखा | आस्तीन | पंखा आस्तीन |
दीपक | जल | दीपकजल |
समास की विशेषताएं क्या हैं?
समास की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- संक्षिप्तता: समास शब्दों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे भाषा की अभिव्यक्ति संक्षेप और प्रभावी हो जाती है।
- नई अर्थवत्ता: समास में जुड़े हुए शब्दों का संयुक्त अर्थ एक नया और विशिष्ट अर्थ उत्पन्न करता है, जो दोनों शब्दों के अर्थ से अलग होता है।
- विवरणात्मकता: समास का उपयोग वाक्यांशों या शब्दों के संयोजन से एक विशिष्ट और विवरणात्मक अर्थ प्रदान करने के लिए किया जाता है।
- व्याकरणिक सादगी: समास से वाक्यों की व्याकरणिक संरचना सरल होती है, क्योंकि यह संक्षिप्त रूप में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
- भाषा की संजीवनी: समास भाषा की संजीवनी शक्ति को दर्शाता है, जिससे शब्दों के संयोजन से नए शब्द उत्पन्न होते हैं, जो भाषाई समृद्धि का हिस्सा होते हैं।
- संबंध प्रकट करना: समास विभिन्न शब्दों के बीच संबंध को प्रकट करता है। जैसे, ‘पुस्तकालय’ में ‘पुस्तक’ और ‘आलय’ के संयोजन से यह दर्शाता है कि यह पुस्तकों को रखने की जगह है।
- सामान्य और विशिष्टता: समास का उपयोग सामान्य शब्दों को विशिष्टता देने के लिए भी किया जाता है, जैसे ‘सूर्यपुत्र’ (सूर्य का पुत्र) से यह स्पष्ट होता है कि यह एक विशेष व्यक्ति है।
- शब्दों की अर्थवत्ता का आदान-प्रदान: समास प्रक्रिया में एक शब्द की अर्थवत्ता दूसरे शब्द के साथ मिलकर एक नया अर्थ उत्पन्न करती है, जो भाषा को अधिक समृद्ध बनाता है।
- विभिन्न प्रकार: समास विभिन्न प्रकारों में विभाजित होता है जैसे कर्मधारय, द्वंद्व, अधिकरण, और बहुव्रीहि, प्रत्येक प्रकार का उपयोग विशेष अर्थ और संदर्भ को व्यक्त करने के लिए होता है।
समास-विग्रह (Samas Vigrah) क्या है?
समास-विग्रह (Samas Vigrah) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें समास के एकत्रित शब्दों को उनके मूल रूप में विभाजित किया जाता है, ताकि उनके संयुक्त अर्थ को स्पष्ट रूप से समझा जा सके। यह प्रक्रिया समास के तत्वों का विश्लेषण करने में मदद करती है और यह दिखाती है कि समास में जुड़े शब्दों का वास्तविक अर्थ क्या है।
समास-विग्रह में समास के प्रत्येक घटक को उसके मूल शब्दों में तोड़कर उसके अर्थ को स्पष्ट किया जाता है।
पूर्वपद | उत्तरपद | विग्रह | अर्थ | त्रू |
पुस्तकालय | पुस्तक | आलय | पुस्तक + आलय | पुस्तकों रखने की जगह |
सूर्यपुत्र | सूर्य | पुत्र | सूर्य + पुत्र | सूर्य का पुत्र |
रातदिन | रात | दिन | रात + दिन | रात और दिन |
गृहिणी | गृह | ईणि | गृह + ईणि | घर की मालिक |
देवस्थान | देव | स्थान | देव + स्थान | देवताओं का स्थान |
नागपुरी | नाग | पुरी | नाग + पुरी | नागों का शहर |
विद्युतपंखा | विद्युत | पंखा | विद्युत + पंखा | बिजली से चलने वाला पंखा |
बालवीर | बाल | वीर | बाल + वीर | वीर बालक |
हिमालय | हिम | आलय | हिम + आलय | हिम की जगह |
जलवायु | जल | वायु | जल + वायु | जल की हवा |
राजपुत्र | राजा | पुत्र | राजा + पुत्र | राजा का पुत्र |
अम्बभूमि | अम्बा | भूमि | अम्बा + भूमि | अम्बा की भूमि |
सेतुपुल | सेतु | पुल | सेतु + पुल | पुल जो सेतु से जुड़ा हो |
आदमकद | आदम | कद | आदम + कद | आदम का कद |
कुमुदबॉट | कुमुद | बॉट | कुमुद + बॉट | कुमुद का बॉट |
लम्बोतरा | लम्बा | तारा | लम्बा + तारा | लम्बा और चमकदार तारा |
गुरुशिष्य | गुरु | शिष्य | गुरु + शिष्य | गुरु का शिष्य |
मनुष्यजाति | मनुष्य | जाति | मनुष्य + जाति | मनुष्यों की जाति |
द्रव्यस्थल | द्रव्य | स्थल | द्रव्य + स्थल | द्रव्य रखने का स्थल |
गांवप्रधान | गांव | प्रधान | गांव + प्रधान | गांव का प्रधान |
चमकसितारा | चमक | सितारा | चमक + सितारा | चमकदार सितारा |
पृथ्वीशासक | पृथ्वी | शासक | पृथ्वी + शासक | पृथ्वी का शासक |
झीलकिनारा | झील | किनारा | झील + किनारा | झील का किनारा |
रक्तदान | रक्त | दान | रक्त + दान | रक्त देने की प्रक्रिया |
विद्यालयछात्र | विद्यालय | छात्र | विद्यालय + छात्र | विद्यालय में पढ़ने वाला छात्र |
आकाशगंगा | आकाश | गंगा | आकाश + गंगा | आकाश की गंगा |
विद्युतगति | विद्युत | गति | विद्युत + गति | विद्युत की गति |
पुस्तकचीर | पुस्तक | चीर | पुस्तक + चीर | पुस्तक का चीर |
विद्याशास्त्र | विद्या | शास्त्र | विद्या + शास्त्र | विद्या का शास्त्र |
नगरपालिका | नगर | पालिका | नगर + पालिका | नगर की पालिका |
संधि तथा समास में अंतर क्या है?
संधि और समास दोनों ही भाषाओं में शब्दों के संयोजन से नए रूप और अर्थ उत्पन्न करने की प्रक्रियाएं हैं, लेकिन ये विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाएं हैं। संधि एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो शब्दों या धातुओं के मेल से ध्वन्यात्मक परिवर्तन होते हैं, और शब्दों का एक भाग बदल जाता है। संधि के मुख्य प्रकार स्वर संधि, व्यंजन संधि, और स्वर-व्यंजन संधि होते हैं, जो शब्दों के ध्वनि मिलान पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए, “रात्रि” और “उषा” के मेल से “रात्र्योषा” बनता है, जहां स्वर मिलते हैं और ध्वनि का परिवर्तन होता है।
वहीं, समास वह प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द या पद बनता है, जिसमें शब्दों का अर्थ नए रूप में प्रकट होता है। समास में शब्दों का संयोजन अर्थपूर्ण होता है और नए अर्थ को उत्पन्न करता है। समास के विभिन्न प्रकार जैसे कर्मधारय समास, द्वंद्व समास, अधिकरण समास, और बहुव्रीहि समास होते हैं, जो विभिन्न प्रकार की अर्थवत्ता को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के तौर पर, “पुस्तकालय” (पुस्तक + आलय) और “सूर्यपुत्र” (सूर्य + पुत्र) में शब्दों का संयोजन एक नया अर्थ उत्पन्न करता है और समास का संरचनात्मक रूप स्थिर रहता है। इस प्रकार, संधि और समास दोनों शब्दों के संयोजन से नए रूप और अर्थ उत्पन्न करते हैं, लेकिन संधि में ध्वन्यात्मक परिवर्तन होता है जबकि समास में शब्दों का अर्थपूर्ण संयोजन होता है।
समास (Samas in Hindi) के भेद क्या हैं?
समास (Samas in Hindi) के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं:
- द्वंद्व समास
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- बहुव्रीहि समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
द्वंद्व समास क्या है?
द्वंद्व समास (Dvandva Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें दो शब्दों का संयोजन होता है, जिनमें दोनों शब्द समान महत्व रखते हैं और स्वतंत्र रूप से समझे जाते हैं। इस समास में दोनों शब्दों के बीच कोई विशेष संबंध नहीं होता; बल्कि, दोनों शब्द एक साथ मिलकर एक संयुक्त अर्थ प्रकट करते हैं।
समास | पूर्वपद | उत्तरपद | विग्रह | अर्थ |
रातदिन | रात | दिन | रात + दिन | रात और दिन |
पिता-माता | पिता | माता | पिता + माता | पिता और माता |
गगन-चाँद | गगन | चाँद | गगन + चाँद | गगन और चाँद |
घर-बार | घर | बार | घर + बार | घर और बार |
सूर्य-चाँद | सूर्य | चाँद | सूर्य + चाँद | सूर्य और चाँद |
द्रव्य-धन | द्रव्य | धन | द्रव्य + धन | द्रव्य और धन |
काम-धाम | काम | धाम | काम + धाम | काम और धाम |
दिन-रात | दिन | रात | दिन + रात | दिन और रात |
अम्बा-पिता | अम्बा | पिता | अम्बा + पिता | अम्बा और पिता |
मन-प्राण | मन | प्राण | मन + प्राण | मन और प्राण |
माता-पिता | माता | पिता | माता + पिता | माता और पिता |
फूल-फल | फूल | फल | फूल + फल | फूल और फल |
सर्दी-गर्मी | सर्दी | गर्मी | सर्दी + गर्मी | सर्दी और गर्मी |
मित्र-शत्रु | मित्र | शत्रु | मित्र + शत्रु | मित्र और शत्रु |
सिंह-गज | सिंह | गज | सिंह + गज | सिंह और गज |
ब्रह्मा-विष्णु | ब्रह्मा | विष्णु | ब्रह्मा + विष्णु | ब्रह्मा और विष्णु |
नदी-पर्वत | नदी | पर्वत | नदी + पर्वत | नदी और पर्वत |
आकाश-धरती | आकाश | धरती | आकाश + धरती | आकाश और धरती |
राज-रानी | राज | रानी | राज + रानी | राज और रानी |
रंग-रूप | रंग | रूप | रंग + रूप | रंग और रूप |
नमक-मिर्च | नमक | मिर्च | नमक + मिर्च | नमक और मिर्च |
राजा-रानी | राजा | रानी | राजा + रानी | राजा और रानी |
रात्रि-सवेरा | रात्रि | सवेरा | रात्रि + सवेरा | रात्रि और सवेरा |
पर्वत-नदी | पर्वत | नदी | पर्वत + नदी | पर्वत और नदी |
बूँद-घट | बूँद | घट | बूँद + घट | बूँद और घट |
सरोवर-तालाब | सरोवर | तालाब | सरोवर + तालाब | सरोवर और तालाब |
बादल-बारिश | बादल | बारिश | बादल + बारिश | बादल और बारिश |
धूप-छाँव | धूप | छाँव | धूप + छाँव | धूप और छाँव |
फूल-पत्ता | फूल | पत्ता | फूल + पत्ता | फूल और पत्ता |
भालू-सिंह | भालू | सिंह | भालू + सिंह | भालू और सिंह |
पंख-नकली | पंख | नकली | पंख + नकली | पंख और नकली |
चाँद-सितारे | चाँद | सितारे | चाँद + सितारे | चाँद और सितारे |
घर-आँगन | घर | आँगन | घर + आँगन | घर और आँगन |
आओ-जाओ | आओ | जाओ | आओ + जाओ | आओ और जाओ |
चाय-नाश्ता | चाय | नाश्ता | चाय + नाश्ता | चाय और नाश्ता |
कथा-उपदेश | कथा | उपदेश | कथा + उपदेश | कथा और उपदेश |
वाणी-शब्द | वाणी | शब्द | वाणी + शब्द | वाणी और शब्द |
रंग-बिरंगे | रंग | बिरंगे | रंग + बिरंगे | रंग और बिरंगे |
वायु-प्रदूषण | वायु | प्रदूषण | वायु + प्रदूषण | वायु और प्रदूषण |
पानी-भूख | पानी | भूख | पानी + भूख | पानी और भूख |
खाता-पीता | खाता | पीता | खाता + पीता | खाता और पीता |
घर-स्वदेश | घर | स्वदेश | घर + स्वदेश | घर और स्वदेश |
दीपक-तिल | दीपक | तिल | दीपक + तिल | दीपक और तिल |
दिल-आत्मा | दिल | आत्मा | दिल + आत्मा | दिल और आत्मा |
सिख-शिष्य | सिख | शिष्य | सिख + शिष्य | सिख और शिष्य |
रोटी-भात | रोटी | भात | रोटी + भात | रोटी और भात |
नगर-गाँव | नगर | गाँव | नगर + गाँव | नगर और गाँव |
समय-काल | समय | काल | समय + काल | समय और काल |
समुद्र-गंगा | समुद्र | गंगा | समुद्र + गंगा | समुद्र और गंगा |
रत्न-मणि | रत्न | मणि | रत्न + मणि | रत्न और मणि |
अव्ययीभाव समास क्या है?
अव्ययीभाव समास (Avyayi-Bhava Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें एक शब्द (पूर्वपद) किसी अन्य शब्द (उत्तरपद) की विशेषता, गुण, या स्थिति को प्रकट करता है। इसमें पहले शब्द का अव्यय (जैसे: ‘से’, ‘के’, ‘तक’, ‘ही’, आदि) का प्रयोग होता है और यह विशेषण या विशेष स्थिति को व्यक्त करता है।
समास | पूर्वपद | उत्तरपद | विग्रह | अर्थ |
सार्वभौमिक | सार्व | भौमिक | सार्व + भौमिक | सभी भूमि से संबंधित |
आत्मनिर्भर | आत्म | निर्भर | आत्म + निर्भर | स्वयं पर निर्भर |
सुसंस्कृत | सु | संस्कृत | सु + संस्कृत | अच्छे संस्कारों वाला |
अगणित | अ | गणित | अ + गणित | अनगिनत |
अनंतकालिक | अनंत | कालिक | अनंत + कालिक | अनंत काल तक |
निरंतर | निरंतर | भौतिक | निरंतर + भौतिक | लगातार भौतिक |
परिपक्व | परि | पक्व | परि + पक्व | पूर्ण रूप से पका हुआ |
सर्वशक्तिमान | सर्व | शक्तिमान | सर्व + शक्तिमान | सभी शक्तियों वाला |
अत्यधिक | अत | अधिक | अत + अधिक | अत्यधिक मात्रा में |
निर्विवाद | निर | विवाद | निर + विवाद | विवाद रहित |
अचूक | अचूक | नकल | अचूक + नकल | गलती रहित |
विद्यमान | विद्यमान | स्थिति | विद्यमान + स्थिति | वर्तमान स्थिति |
पूर्णकालिक | पूर्ण | कालिक | पूर्ण + कालिक | पूरा समय कार्यरत |
असीमित | असीम | सीमा | असीम + सीमा | सीमाहीन |
अपरिहार्य | अ | पर्याय | अ + पर्याय | अपरिहार्य |
निरंतर | निरंतर | प्रयास | निरंतर + प्रयास | लगातार प्रयास |
अज्ञेय | अ | ज्ञेय | अ + ज्ञेय | जो ज्ञेय नहीं हो |
अनिश्चित | अनिश्चित | समय | अनिश्चित + समय | अनिश्चित समय |
अनन्य | अनन्य | प्रेम | अनन्य + प्रेम | विशेष प्रेम |
अद्वितीय | अद्वितीय | अस्तित्व | अद्वितीय + अस्तित्व | अद्वितीय अस्तित्व |
अभूतपूर्व | अभूत | पूर्व | अभूत + पूर्व | अभूतपूर्व |
अनिवार्य | अनिवार्य | कर्तव्य | अनिवार्य + कर्तव्य | अनिवार्य कर्तव्य |
अव्यक्त | अव्यक्त | रूप | अव्यक्त + रूप | अव्यक्त रूप |
अनुपस्थित | अनुपस्थित | वस्तु | अनुपस्थित + वस्तु | अनुपस्थित वस्तु |
अविश्वसनीय | अविश्वसनीय | प्रमाण | अविश्वसनीय + प्रमाण | अविश्वसनीय प्रमाण |
अनर्गल | अनर्गल | बातें | अनर्गल + बातें | बेसमझ बातें |
असाधारण | असाधारण | गुण | असाधारण + गुण | असाधारण गुण |
अज्ञात | अज्ञात | व्यक्ति | अज्ञात + व्यक्ति | अज्ञात व्यक्ति |
असमर्थ | असमर्थ | प्रबंधन | असमर्थ + प्रबंधन | असमर्थ प्रबंधन |
अनुवादित | अनुवादित | पाठ | अनुवादित + पाठ | अनुवादित पाठ |
अवसादित | अवसादित | मनोबल | अवसादित + मनोबल | अवसादित मनोबल |
अदृश्य | अदृश्य | वस्तु | अदृश्य + वस्तु | अदृश्य वस्तु |
अस्थायी | अस्थायी | समाधान | अस्थायी + समाधान | अस्थायी समाधान |
अपार | अपार | सुख | अपार + सुख | अपार सुख |
असीम | असीम | आकाश | असीम + आकाश | असीम आकाश |
असामान्य | असामान्य | व्यक्ति | असामान्य + व्यक्ति | असामान्य व्यक्ति |
अविस्मरणीय | अविस्मरणीय | घटना | अविस्मरणीय + घटना | अविस्मरणीय घटना |
अनाधिकार | अनाधिकार | उपयोग | अनाधिकार + उपयोग | अनाधिकार उपयोग |
अनामिका | अनामिका | जानकारी | अनामिका + जानकारी | अनामिका जानकारी |
अमूल्य | अमूल्य | वस्तु | अमूल्य + वस्तु | अमूल्य वस्तु |
असंतोषजनक | असंतोषजनक | स्थिति | असंतोषजनक + स्थिति | असंतोषजनक स्थिति |
अनुष्ठान | अनुष्ठान | प्रक्रिया | अनुष्ठान + प्रक्रिया | अनुष्ठान प्रक्रिया |
अमानवीय | अमानवीय | व्यवहार | अमानवीय + व्यवहार | अमानवीय व्यवहार |
अवलोकित | अवलोकित | व्यक्ति | अवलोकित + व्यक्ति | अवलोकित व्यक्ति |
अपरिपक्व | अपरिपक्व | निर्णय | अपरिपक्व + निर्णय | अपरिपक्व निर्णय |
असंवैधानिक | असंवैधानिक | प्रस्ताव | असंवैधानिक + प्रस्ताव | असंवैधानिक प्रस्ताव |
अनुपम | अनुपम | सौंदर्य | अनुपम + सौंदर्य | अनुपम सौंदर्य |
असमर्थ | असमर्थ | व्यक्ति | असमर्थ + व्यक्ति | असमर्थ व्यक्ति |
अमिट | अमिट | छाप | अमिट + छाप | अमिट छाप |
अज्ञेय | अज्ञेय | अनुभव | अज्ञेय + अनुभव | अज्ञेय अनुभव |
कर्मधारय समास क्या है?
कर्मधारय समास (Karmadharay Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें दो शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, और इसमें पहला शब्द (पूर्वपद) विशेषण के रूप में कार्य करता है जबकि दूसरा शब्द (उत्तरपद) विशेषण की स्थिति या गुण को प्रकट करता है। इस समास में पहला शब्द किसी विशेषता, गुण, या स्थिति को दर्शाता है, और दूसरा शब्द उस विशेषता का मुख्य गुण होता है।
समास | पूर्वपद | उत्तरपद | विग्रह | अर्थ |
सत्यवादी | सत्य | वादी | सत्य + वादी | सत्य बोलने वाला |
चतुरमुख | चतुर | मुख | चतुर + मुख | चार मुख वाला |
दूरदर्शी | दूर | दृष्टि | दूर + दृष्टि | दूर देखने वाला |
मध्यमवर्गीय | मध्यम | वर्गीय | मध्यम + वर्गीय | मध्य वर्ग का |
सुमधुर | सु | मधुर | सु + मधुर | अच्छा स्वर वाला |
उपयुक्त | उप | युक्त | उप + युक्त | उचित, अनुकूल |
कृपाणधारी | कृपाण | धारी | कृपाण + धारी | कृपाण धारण करने वाला |
व्यस्त | व्यस्त | व्यक्ति | व्यस्त + व्यक्ति | व्यस्त व्यक्ति |
रमणीय | रमणीय | स्थान | रमणीय + स्थान | सुंदर स्थान |
शीतल | शीतल | जल | शीतल + जल | ठंडा जल |
अशांत | अशांत | मन | अशांत + मन | अशांत मन |
अद्भुत | अद्भुत | दृश्य | अद्भुत + दृश्य | अद्भुत दृश्य |
मर्मज्ञ | मर्म | ज्ञानी | मर्म + ज्ञानी | गहराई को जानने वाला |
बुद्धिमान | बुद्धि | मान | बुद्धि + मान | बुद्धि वाला |
अत्यंत | अत्यंत | सुंदर | अत्यंत + सुंदर | अत्यंत सुंदर |
दीनदयालु | दीन | दयालु | दीन + दयालु | गरीबों पर दया रखने वाला |
विद्वान | विद्वान | व्यक्ति | विद्वान + व्यक्ति | ज्ञानी व्यक्ति |
बहुमूल्य | बहु | मूल्य | बहु + मूल्य | बहुत मूल्यवान |
उपहारस्वरूप | उपहार | स्वरूप | उपहार + स्वरूप | उपहार के रूप में |
अज्ञेय | अज्ञेय | तथ्य | अज्ञेय + तथ्य | जो ज्ञेय नहीं हो |
निर्भीक | निर्भीक | व्यक्ति | निर्भीक + व्यक्ति | निर्भीक व्यक्ति |
साहसी | साहस | व्यक्ति | साहस + व्यक्ति | साहसिक व्यक्ति |
सौम्य | सौम्य | स्वभाव | सौम्य + स्वभाव | सौम्य स्वभाव वाला |
पुण्यात्मा | पुण्य | आत्मा | पुण्य + आत्मा | पुण्यात्मा |
सुभट | सु | भट | सु + भट | सु भट (सु) |
महान | महा | मानव | महा + मानव | महान व्यक्ति |
प्रवीण | प्रवीण | व्यक्ति | प्रवीण + व्यक्ति | प्रवीण व्यक्ति |
उन्नत | उन्नत | स्तर | उन्नत + स्तर | उन्नत स्तर |
शरणागत | शरण | गत | शरण + गत | शरण में गया |
प्रिय | प्रिय | वस्तु | प्रिय + वस्तु | प्रिय वस्तु |
व्यस्त | व्यस्त | समय | व्यस्त + समय | व्यस्त समय |
गम्भीर | गम्भीर | व्यक्ति | गम्भीर + व्यक्ति | गम्भीर व्यक्ति |
असामान्य | असामान्य | घटना | असामान्य + घटना | असामान्य घटना |
स्थायी | स्थायी | समाधान | स्थायी + समाधान | स्थायी समाधान |
सजग | सजग | व्यक्ति | सजग + व्यक्ति | सजग व्यक्ति |
उत्कृष्ट | उत्कृष्ट | कार्य | उत्कृष्ट + कार्य | उत्कृष्ट कार्य |
विश्वसनीय | विश्वसनीय | वस्तु | विश्वसनीय + वस्तु | विश्वसनीय वस्तु |
संजीवनी | संजीवनी | औषधि | संजीवनी + औषधि | जीवन देने वाली औषधि |
अनमोल | अनमोल | रत्न | अनमोल + रत्न | अनमोल रत्न |
सशक्त | सशक्त | व्यक्तित्व | सशक्त + व्यक्तित्व | सशक्त व्यक्तित्व |
अमूल्य | अमूल्य | वस्तु | अमूल्य + वस्तु | अमूल्य वस्तु |
अविश्वसनीय | अविश्वसनीय | साक्ष्य | अविश्वसनीय + साक्ष्य | अविश्वसनीय साक्ष्य |
ऐतिहासिक | ऐतिहासिक | स्थल | ऐतिहासिक + स्थल | ऐतिहासिक स्थल |
चरम | चरम | सुख | चरम + सुख | चरम सुख |
सामर्थ्यशाली | सामर्थ्य | व्यक्ति | सामर्थ्य + व्यक्ति | सामर्थ्यशाली व्यक्ति |
निर्बाध | निर्बाध | प्रवाह | निर्बाध + प्रवाह | निर्बाध प्रवाह |
अनूठा | अनूठा | ढंग | अनूठा + ढंग | अनूठा ढंग |
अंतर्ज्ञानी | अंतर्ज्ञानी | ज्ञान | अंतर्ज्ञानी + ज्ञान | अंतर्ज्ञानी ज्ञान |
विश्वसनीय | विश्वसनीय | प्रमाण | विश्वसनीय + प्रमाण | विश्वसनीय प्रमाण |
विशेष | विशेष | अवसर | विशेष + अवसर | विशेष अवसर |
द्विगु समास क्या है?
द्विगु समास (Dvigu Samas) एक प्रकार का समास होता है जिसमें दो या दो से अधिक समान प्रकार के संज्ञा या विशेषणों का प्रयोग किया जाता है। इस समास में सभी पूर्वपद (पहला पद) समान रूप से कार्य करता है और उत्तरपद (दूसरा पद) उनके गुण, संख्या, या अन्य विशेषताओं को व्यक्त करता है।
समास | पूर्वपद | उत्तरपद | विग्रह | अर्थ |
द्विगुण | द्वि | गुण | द्वि + गुण | दो गुणों वाला |
त्रिकाल | त्रि | काल | त्रि + काल | तीन काल |
सप्तद्वीप | सप्त | द्वीप | सप्त + द्वीप | सात द्वीप |
दशविधि | दश | विधि | दश + विधि | दस विधियाँ |
त्रैतीय | त्रि | तीय | त्रि + तीय | तीन प्रकार का |
पंचबाहु | पंच | बाहु | पंच + बाहु | पांच बाहु वाला |
सप्तधातु | सप्त | धातु | सप्त + धातु | सात धातुएँ |
द्वादश | द्वादश | मास | द्वादश + मास | बारह मास |
पंचमूर्ति | पंच | मूर्ति | पंच + मूर्ति | पांच रूपों वाला |
त्रिवर्ण | त्रि | वर्ण | त्रि + वर्ण | तीन रंग |
सप्तशृंग | सप्त | शृंग | सप्त + शृंग | सात शृंग |
द्विग्राही | द्वि | ग्राही | द्वि + ग्राही | दो ग्राही |
त्रिरत्न | त्रि | रत्न | त्रि + रत्न | तीन रत्न |
पंचांग | पंच | अंग | पंच + अंग | पांच अंग |
सप्तसागर | सप्त | सागर | सप्त + सागर | सात सागर |
द्विसप्तक | द्वि | सप्तक | द्वि + सप्तक | दो सप्तक |
त्रिविध | त्रि | विध | त्रि + विध | तीन विधियाँ |
पंचानन | पंच | आनन | पंच + आनन | पांच मुख वाला |
सप्तस्वर | सप्त | स्वर | सप्त + स्वर | सात स्वर |
द्विलोक | द्वि | लोक | द्वि + लोक | दो लोक |
त्रैसप्तक | त्रि | सप्तक | त्रि + सप्तक | तीन सप्तक |
पंचप्राण | पंच | प्राण | पंच + प्राण | पांच प्राण |
सप्तचक्र | सप्त | चक्र | सप्त + चक्र | सात चक्र |
द्विगति | द्वि | गति | द्वि + गति | दो गति |
त्रिवेणी | त्रि | वेणी | त्रि + वेणी | तीन नदियाँ मिलने वाली जगह |
पंचमुख | पंच | मुख | पंच + मुख | पांच मुख वाला |
सप्तक | सप्त | क | सप्त + क | सात क |
द्विकर्म | द्वि | कर्म | द्वि + कर्म | दो कर्म |
त्रिकूट | त्रि | कूट | त्रि + कूट | तीन कूट |
पंचरात्र | पंच | रात्री | पंच + रात्री | पांच रात्री |
सप्तधर | सप्त | धर | सप्त + धर | सात धारण करने वाला |
द्विसुत्र | द्वि | सूत्र | द्वि + सूत्र | दो सूत्र |
त्रिविध | त्रि | विध | त्रि + विध | तीन प्रकार |
पंचपद | पंच | पद | पंच + पद | पांच पद |
सप्तचरण | सप्त | चरण | सप्त + चरण | सात चरण |
द्विस्थान | द्वि | स्थान | द्वि + स्थान | दो स्थान |
त्रिवेणी | त्रि | वेणी | त्रि + वेणी | तीन वेणियाँ |
पंचरश्मि | पंच | रश्मि | पंच + रश्मि | पांच किरणें |
सप्तसंग | सप्त | संग | सप्त + संग | सात संग |
द्विकाल | द्वि | काल | द्वि + काल | दो काल |
त्रिपद | त्रि | पद | त्रि + पद | तीन पद |
पंचवृक्ष | पंच | वृक्ष | पंच + वृक्ष | पांच वृक्ष |
सप्तसार | सप्त | सार | सप्त + सार | सात सार |
द्विद्वीप | द्वि | द्वीप | द्वि + द्वीप | दो द्वीप |
त्रिगुण | त्रि | गुण | त्रि + गुण | तीन गुण |
पंचविधि | पंच | विधि | पंच + विधि | पांच विधियाँ |
सप्तपुत्र | सप्त | पुत्र | सप्त + पुत्र | सात पुत्र |
द्विस्वभाव | द्वि | स्वभाव | द्वि + स्वभाव | दो स्वभाव |
त्रिवेण | त्रि | वेण | त्रि + वेण | तीन वेणियाँ |
पंचमसंग | पंच | संग | पंच + संग | पांच संग |
बहुव्रीहि समास क्या है?
बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें एक नया शब्द (समस्तपद) बनाने के लिए पूर्वपद और उत्तरपद के योग से एक विशेष गुण, विशेषता, या पहचान का संकेत मिलता है। इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों मिलकर एक विशेष प्रकार के व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करते हैं, और समस्तपद का अर्थ उन दोनों से भिन्न होता है।
समास | पूर्वपद | उत्तरपद | विग्रह | अर्थ |
नीलकंठ | नीला | कंठ | नीला + कंठ | नील रंग का गला वाला |
गौतम बुद्ध | गौतम | बुद्ध | गौतम + बुद्ध | गौतम नामक बुद्धिमान व्यक्ति |
सप्तर्षि | सप्त | ऋषि | सप्त + ऋषि | सात ऋषियों का समूह |
लम्बकाय | लम्ब | काय | लम्ब + काय | लम्बा शरीर वाला |
पंचमुख | पंच | मुख | पंच + मुख | पांच मुख वाला |
द्वादश | द्वादश | मास | द्वादश + मास | बारह महीने |
सप्तधातु | सप्त | धातु | सप्त + धातु | सात धातुएँ |
त्रिकाल | त्रि | काल | त्रि + काल | तीन काल |
श्वेतपद | श्वेत | पद | श्वेत + पद | सफेद रंग का पद |
त्रिवेणी | त्रि | वेणी | त्रि + वेणी | तीन नदियाँ मिलने वाला स्थान |
पञ्चांग | पंच | अंग | पंच + अंग | पांच अंग |
द्विपद | द्वि | पद | द्वि + पद | दो पद |
धृतराष्ट्र | धृत | राष्ट्र | धृत + राष्ट्र | धारण करने वाला राष्ट्र |
त्रिवेणी | त्रि | वेणी | त्रि + वेणी | तीन वेणियाँ |
चतुर्भुज | चतुर्गुण | भुज | चतुर्भुज | चार भुजाओं वाला |
पंचविधि | पंच | विधि | पंच + विधि | पांच विधियाँ |
द्विसप्तक | द्वि | सप्तक | द्वि + सप्तक | दो सप्तक |
चतुर्मुख | चतुर्गुण | मुख | चतुर्मुख | चार मुखों वाला |
द्विगुण | द्वि | गुण | द्वि + गुण | दो गुणों वाला |
त्रिशूल | त्रि | शूल | त्रि + शूल | तीन शूल वाला |
सप्तसप्तक | सप्त | सप्तक | सप्त + सप्तक | सात सप्तक |
चतुर्वेदी | चतुर्गुण | वेदी | चतुर्वेदी | चार वेदों वाला |
त्रैसप्तक | त्रि | सप्तक | त्रि + सप्तक | तीन सप्तक |
द्विचक्र | द्वि | चक्र | द्वि + चक्र | दो चक्र |
पंचवर्ण | पंच | वर्ण | पंच + वर्ण | पांच रंगों वाला |
त्रिरत्न | त्रि | रत्न | त्रि + रत्न | तीन रत्न |
द्विकाय | द्वि | काय | द्वि + काय | दो शरीर वाला |
चतुर्थ | चतुर्गुण | आथ | चतुर्थ | चौथा |
पञ्चमुख | पंच | मुख | पञ्च + मुख | पांच मुख |
द्विरूप | द्वि | रूप | द्वि + रूप | दो रूप |
त्रिसप्तक | त्रि | सप्तक | त्रि + सप्तक | तीन सप्तक |
सप्तद्वीप | सप्त | द्वीप | सप्त + द्वीप | सात द्वीप |
चतुर्विधि | चतुर्गुण | विधि | चतुर्विधि | चार विधियाँ |
द्विविध | द्वि | विधि | द्वि + विधि | दो प्रकार की विधियाँ |
पञ्चकर्म | पंच | कर्म | पंच + कर्म | पांच कर्म |
द्विज | द्वि | ज | द्वि + ज | दो जन्मों वाला |
त्रिभुज | त्रि | भुज | त्रि + भुज | तीन भुजाओं वाला |
पञ्चशाखा | पंच | शाखा | पंच + शाखा | पांच शाखाएँ |
चतुर्द्वार | चतुर्गुण | द्वार | चतुर्द्वार | चार द्वार |
द्विधा | द्वि | धा | द्वि + धा | दो प्रकार से |
त्रिकर्म | त्रि | कर्म | त्रि + कर्म | तीन कर्म |
सप्तधातु | सप्त | धातु | सप्त + धातु | सात धातुएँ |
चतुर्मास | चतुर्गुण | मास | चतुर्मास | चार महीने |
द्विसंख्या | द्वि | संख्या | द्वि + संख्या | दो संख्याएँ |
त्रिसुत्र | त्रि | सूत्र | त्रि + सूत्र | तीन सूत्र |
पञ्चपुष्प | पंच | पुष्प | पंच + पुष्प | पांच पुष्प |
चतुर्वर्ण | चतुर्गुण | वर्ण | चतुर्वर्ण | चार वर्ण |
द्विधा | द्वि | धा | द्वि + धा | दो प्रकार का |
त्रिमूर्ति | त्रि | मूर्ति | त्रि + मूर्ति | तीन मूर्तियाँ |
पञ्चकुमारी | पंच | कुमारी | पंच + कुमारी | पांच कुमारी |
द्विस्रोत | द्वि | स्रोत | द्वि + स्रोत | दो स्रोत |
चतुर्भुज | चतुर्गुण | भुज | चतुर्भुज | चार भुजाएँ |
सप्तक | सप्त | क | सप्त + क | सात क |
तत्पुरुष समास क्या है?
तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें एक पद (समस्तपद) का अर्थ उस पद के बाद आए दूसरे पद (उत्तरपद) के गुण, विशेषता या संबंध से निर्धारित होता है। इस समास में पहले पद (पूर्वपद) का अर्थ अपने आप में पूर्ण होता है, और वह उत्तरपद के साथ मिलकर एक नया अर्थ प्रकट करता है।
समास | पूर्वपद | उत्तरपद | विग्रह | अर्थ |
राजपुत्र | राजा | पुत्र | राजा + पुत्र | राजा का पुत्र |
गायत्री मंत्र | गायत्री | मंत्र | गायत्री + मंत्र | गायत्री से संबंधित मंत्र |
पितृभाषा | पिता | भाषा | पिता + भाषा | पिता की भाषा |
सूर्यकांत | सूर्य | कांत | सूर्य + कांत | सूर्य के समान आकर्षक |
जलपात्र | जल | पात्र | जल + पात्र | जल रखने वाला पात्र |
रात्रीवास | रात्री | वास | रात्री + वास | रात्री में निवास |
विद्युतविचार | विद्युत | विचार | विद्युत + विचार | विद्युत संबंधी विचार |
धरतीपुत्र | धरती | पुत्र | धरती + पुत्र | धरती का पुत्र |
विचारधारा | विचार | धारा | विचार + धारा | विचारों की धारा |
सेवा कार्य | सेवा | कार्य | सेवा + कार्य | सेवा से संबंधित कार्य |
पारिवारिक | परिवार | इकाई | परिवार + इकाई | परिवार से संबंधित |
श्रीकांत | श्री | कांत | श्री + कांत | श्री के समान आकर्षक |
स्वास्थ्यवर्धक | स्वास्थ्य | वर्धक | स्वास्थ्य + वर्धक | स्वास्थ्य को बढ़ाने वाला |
संसारपिता | संसार | पिता | संसार + पिता | संसार का पिता |
संगीतज्ञ | संगीत | ज्ञाता | संगीत + ज्ञाता | संगीत का जानकार |
रोजमर्रा | रोज | मर्रा | रोज + मर्रा | रोज के काम |
अधिकारिणी | अधिकार | इणी | अधिकार + इणी | अधिकार से संबंधित महिला |
शिक्षण विधि | शिक्षण | विधि | शिक्षण + विधि | शिक्षा की विधि |
संग्रहालय | संग्रह | ालय | संग्रह +ालय | संग्रह का स्थान |
समाजवादी | समाज | वादी | समाज + वादी | समाज के समर्थक |
नौसिखिया | नौ | सिखिया | नौ + सिखिया | नौसिखिया |
परिवारिक | परिवार | इकाई | परिवार + इकाई | परिवार से संबंधित |
धर्मस्थल | धर्म | स्थल | धर्म + स्थल | धर्म का स्थान |
स्वतंत्रता संग्राम | स्वतंत्रता | संग्राम | स्वतंत्रता + संग्राम | स्वतंत्रता के लिए संग्राम |
सत्यवादी | सत्य | वादी | सत्य + वादी | सत्य का समर्थक |
दृष्टान्त | दृष्ट | ान्त | दृष्ट + अान्त | दृष्ट का उदाहरण |
समर्पण | समर्पित | ण | समर्पित + ण | समर्पित का क्रिया |
संबंधित | संबंध | इति | संबंध + इति | संबंध से संबंधित |
अधिकारी | अधिकार | ई | अधिकार + ई | अधिकार का व्यक्ति |
सच्चाई | सच | आई | सच + आई | सच्ची बातें |
जागरूकता | जागरूक | ता | जागरूक + ता | जागरूकता की स्थिति |
किसान | किस | आन | किस + आन | कृषि से संबंधित व्यक्ति |
विज्ञापन | विज्ञा | पन | विज्ञा + पन | विज्ञापन |
मातृत्व | माता | त्त्व | माता + त्त्व | मातृत्व की स्थिति |
विवाहिता | विवाह | इता | विवाह + इता | विवाहिता महिला |
अकादमिक | अकादमी | इक | अकादमी + इक | अकादमी से संबंधित |
प्रशासनिक | प्रशासन | इक | प्रशासन + इक | प्रशासनिक व्यक्ति |
दर्शनशास्त्र | दर्शन | शास्त्र | दर्शन + शास्त्र | दर्शन के अध्ययन का शास्त्र |
विवरणात्मक | विवरण | आत्मक | विवरण + आत्मक | विवरण से संबंधित |
समान्य | सम | अन्य | सम + अन्य | सामान्य |
साहित्यिक | साहित्य | इक | साहित्य + इक | साहित्य से संबंधित |
तत्पुरुष समास की रचना
तत्पुरुष समास की रचना हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह समास तब बनता है जब दो शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, जिसमें पहला शब्द (पूर्वपद) दूसरे शब्द (उत्तरपद) के किसी विशेष संबंध को दर्शाता है। तत्पुरुष समास की रचना निम्नलिखित प्रकार से होती है:
तत्पुरुष समास की रचना के प्रकार:
संज्ञा + संज्ञा:
उदाहरण:
- राजपुत्र (राजा का पुत्र) – यहाँ ‘राजा’ और ‘पुत्र’ के मेल से ‘राजपुत्र’ बना है।
- उद्योगपति (उद्योग का पति) – यहाँ ‘उद्योग’ और ‘पति’ के मेल से ‘उद्योगपति’ बना है।
संज्ञा + विशेषण:
उदाहरण:
- धर्मभ्रष्ट (धर्म से भ्रष्ट) – यहाँ ‘धर्म’ और ‘भ्रष्ट’ के मेल से ‘धर्मभ्रष्ट’ बना है।
- भयमुक्त (भय से मुक्त) – यहाँ ‘भय’ और ‘मुक्त’ के मेल से ‘भयमुक्त’ बना है।
संज्ञा + कृदंत:
उदाहरण:
- रेखांकित (रेखा से अंकित) – यहाँ ‘रेखा’ और ‘अंकित’ के मेल से ‘रेखांकित’ बना है।
- स्वरचित (स्व द्वारा रचित) – यहाँ ‘स्व’ और ‘रचित’ के मेल से ‘स्वरचित’ बना है।
तत्पुरुष समास के भेद
तत्पुरुष समास के विभिन्न भेद होते हैं, जो उसकी संरचना और अर्थ को निर्धारित करते हैं। तत्पुरुष समास में पूर्वपद (पहला पद) और उत्तरपद (दूसरा पद) के बीच विभिन्न प्रकार के संबंध होते हैं। यहां तत्पुरुष समास के प्रमुख भेद दिए गए हैं:
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- संप्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- संबंध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष (चिह्न-‘को’)
कर्म तत्पुरुष समास (चिह्न-‘को’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के क्रिया या कार्य का लाभार्थी होता है। यह समास अक्सर कर्म की दिशा या संबंध को स्पष्ट करता है और इसमें विशेष रूप से ‘को’ कारकीय चिह्न का उपयोग होता है।
समस्तपद | विग्रह |
राजपुत्र | राजा को पुत्र |
धर्मपथ | धर्म को पथ |
विद्यार्थी | शिक्षक को विद्यार्थी |
गृहिणी | गृह को पत्नी |
स्वामीभक्त | स्वामी को भक्त |
सेवक | स्वामी को सेवक |
विद्यापति | विद्या को पति |
कृषक | भूमि को कृषक |
साधक | साधना को साधक |
तत्त्वज्ञ | तत्त्व को ज्ञानी |
शिष्य | गुरु को शिष्य |
पुस्तकालय | पुस्तक कोालय |
संगीतज्ञ | संगीत को ज्ञानी |
कर्मचारी | काम को कर्मचारी |
भक्त | भगवान को भक्त |
नगरपालिका | नगर को पालिका |
शोधक | शोध को शोधक |
उपभोक्ता | वस्तु को उपभोक्ता |
विद्वान् | विद्या को विद्वान् |
करण तत्पुरुष (चिह्न-‘से’/के द्वारा’)
करण तत्पुरुष समास (चिह्न-‘से’ या ‘के द्वारा’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के क्रिया का करण (उपकरण या साधन) होता है। यह समास अक्सर यह दर्शाता है कि किसी कार्य को करने के लिए कौन सा साधन या उपाय प्रयोग किया गया है।
समस्तपद | विग्रह |
लेखनी | लेखन के द्वारा |
संगीतज्ञ | संगीत के द्वारा ज्ञानी |
वाक्यकार | वाक्य के द्वारा रचनाकार |
विचारक | विचार के द्वारा विचारशील |
दृष्टांत | दृष्टि के द्वारा उदाहरण |
यंत्रज्ञ | यंत्र के द्वारा ज्ञानी |
चित्रकार | चित्र के द्वारा कारक |
संगीतकार | संगीत के द्वारा संगीतज्ञ |
कवि | कविता के द्वारा कवि |
लेखक | लेखन के द्वारा लेखक |
कर्मचारी | कर्म के द्वारा कार्यकर्ता |
कलाकार | कला के द्वारा कलाकार |
निर्माता | निर्माण के द्वारा बनानेवाला |
विज्ञानी | विज्ञान के द्वारा ज्ञानी |
संस्कृतज्ञ | संस्कृत के द्वारा ज्ञानी |
साहित्यकार | साहित्य के द्वारा लेखक |
विज्ञापन | विज्ञापन के द्वारा प्रचार |
संशोधक | संशोधन के द्वारा शोधकर्ता |
निर्देशक | निर्देशन के द्वारा निर्देशक |
संप्रदान तत्पुरुष (चिह्न- के लिए)
संप्रदान तत्पुरुष समास (चिह्न-‘के लिए’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के क्रिया का प्राप्तकर्ता या लाभार्थी होता है। यह समास यह दर्शाता है कि किसी कार्य का लाभ या प्राप्तकर्ता कौन है।
समस्तपद | विग्रह |
राजपाठ | राजा के लिए पथ |
पुस्तकालय | पुस्तक के लिए स्थान |
स्वतंत्रता | स्वतंत्रता के लिए |
अनुग्रह | कृपा के लिए अनुग्रह |
दानपात्र | दान के लिए पात्र |
आशीर्वाद | आशीर्वाद के लिए |
उपहार | उपहार के लिए |
विधायक | विधान के लिए व्यक्ति |
स्मारक | स्मरण के लिए चिह्न |
अभिभावक | बच्चों के लिए अभिभावक |
सिखावन | शिक्षा के लिए शिक्षण |
शिक्षक | विद्यार्थियों के लिए शिक्षक |
विज्ञापन | प्रचार के लिए विज्ञापन |
आविष्कारक | आविष्कार के लिए निर्माता |
सेवक | स्वामी के लिए सेवक |
कवि | कविता के लिए कवि |
साहित्यकार | साहित्य के लिए लेखक |
समाचार | जानकारी के लिए समाचार |
निर्देशक | निर्देशन के लिए निर्देशक |
संगठक | संगठन के लिए आयोजक |
अपादान तत्पुरुष ( चिन्ह-‘से’ अलग होने के अर्थ में)
अपादान तत्पुरुष समास (चिह्न-‘से’ अलग होने के अर्थ में) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) से अलग होने या उसके विपरीत स्थिति का संकेत करता है। इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद के बीच ऐसा संबंध होता है जिससे यह स्पष्ट होता है कि पूर्वपद उत्तरपद से अलग या असंबद्ध है।
समस्तपद | विग्रह |
असत्य | सत्य से |
अविवाहित | विवाह से |
अभ्यस्त | अभ्यास से |
अपराधी | अपराध से |
अधूरा | पूरा से |
अज्ञानी | ज्ञान से |
असाधारण | साधारण से |
अनपढ़ | पढ़ाई से |
अस्वस्थ | स्वास्थ्य से |
अस्थायी | स्थायी से |
अपराध | अपराध से |
अकल्पनीय | कल्पना से |
अप्रतिस्पर्धी | प्रतिस्पर्धा से |
अधिकारहीन | अधिकार से |
अमूल्य | मूल्य से |
अभ्यस्त | अभ्यास से |
अशुद्ध | शुद्ध से |
अधीन | स्वतंत्रता से |
असमर्थ | समर्थ से |
संबंध तत्पुरुष (चिह्न-‘का, के, की’)
संबंध तत्पुरुष समास (चिह्न-‘का, के, की’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के साथ संबंध या स्वामित्व को दर्शाता है। यह समास दर्शाता है कि पूर्वपद उत्तरपद का स्वामी है या किसी प्रकार का संबंध है।
समस्तपद | विग्रह |
राजमहल | राजा का महल |
पुस्तकालय | पुस्तक का स्थान |
गृहस्थ | गृह का निवासी |
कवि | कविता का रचनाकार |
विद्यालय | विद्या का स्थान |
शिक्षक | शिक्षा का दाता |
दवा | रोग का इलाज |
विधायक | विधान का प्रतिनिधि |
कृषक | कृषि का कार्यकर्ता |
मंत्री | मंत्रालय का सदस्य |
उपदेशक | उपदेश का देने वाला |
शिष्य | गुरु का छात्र |
संवाददाता | संवाद का देने वाला |
साहित्यकार | साहित्य का लेखक |
पैथोलॉजिस्ट | पैथोलॉजी का विशेषज्ञ |
आविष्कारक | आविष्कार का निर्माता |
अधिकार | अधिकार का स्वामी |
व्याख्याता | व्याख्यान का देने वाला |
रचनाकार | रचना का निर्माता |
अधिकरण तत्पुरुष (चिह्न-‘में, ‘पर’)
अधिकरण तत्पुरुष समास (चिह्न-‘में’, ‘पर’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के स्थान, समय, या स्थिति का निर्धारण करता है। यह समास यह दर्शाता है कि पूर्वपद उत्तरपद के स्थान, समय, या स्थिति में है या उससे संबंधित है।
समस्तपद | विग्रह |
विद्यालय | स्कूल में स्थान |
पुस्तकालय | पुस्तक के स्थान |
संगीतकार | संगीत में दक्ष |
आवास | घर में स्थान |
संगीत | संगीत पर आधारित |
पार्क | पार्क में |
समाचार | समाचार पर आधारित |
केंद्र | केंद्र में |
कोर्स | कोर्स में |
सप्ताह | सप्ताह में |
कार्यशाला | कार्यशाला पर |
सदस्य | समूह में सदस्य |
मंच | मंच पर |
फुटपाथ | सड़क पर फुटपाथ |
आयोजन | आयोजन पर |
परिवर्तन | परिवर्तन पर |
रिसर्च | रिसर्च में |
समय | समय पर आधारित |
नाटक | नाटक पर आधारित |
कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास
कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास (अर्थात्, अव्ययीभाव समास) में कोई विशेष चिह्न या विभक्तियों का उपयोग नहीं होता है। इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद मिलकर एक नया अर्थ उत्पन्न करते हैं, जिसमें पूर्वपद का उपयोग उत्तरपद के गुण, विशेषता या संबंध को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
समस्तपद | विग्रह |
असत्य | न सत्य |
राजपुत्र | राजा का पुत्र |
धर्मभ्रष्ट | धर्म से भ्रष्ट |
भयमुक्त | भय से मुक्त |
तुलसीकृत | तुलसी द्वारा कृत |
स्वलिखित | स्वयं द्वारा लिखित |
अदृश्य | न दृष्ट |
बालक | नयनों का बालक |
चन्द्रमा | चन्द्र का मह |
धनवान | धन वाला |
विभिन्न समासों में अंतर
विभिन्न समासों में अंतर को स्पष्ट करने के लिए, हम निम्नलिखित समासों की तुलना करेंगे: द्वन्द्व समास, कर्मधारय समास, बहुव्रीहि समास, और द्विगु समास।
कर्मधारय तथा द्विगु समास में अंतर
विषय | कर्मधारय समास | द्विगु समास |
परिभाषा | ऐसे समास जिसमें पहला पद (पूर्वपद) दूसरा पद (उत्तरपद) के गुण, विशेषता या संबंध को दर्शाता है। | ऐसा समास जिसमें दो संख्याओं या विशेषणों का मेल होता है और एक नया शब्द बनता है। |
रचना | संज्ञा + विशेषण (जैसे: वृद्धगति), संज्ञा + संज्ञा (जैसे: गौपालक) | संज्ञा + संज्ञा (जैसे: द्वादशानन), संज्ञा + विशेषण (जैसे: पञ्चबन्धु) |
उदाहरण | वृद्धगति (वृद्ध की गति), गौपालक (गाय पालने वाला) | द्वादशानन (द्वादश + अनन), पञ्चबन्धु (पञ्च + बन्धु) |
विशेषता | कर्मधारय समास में पूर्वपद का अर्थ उत्तरपद की विशेषता को दर्शाता है और यह अक्सर गुणसूचक होता है। | द्विगु समास में संख्याओं या विशेषणों का संयोजन करके एक नया अर्थ उत्पन्न होता है। |
उपयोग | गुणसूचकता, संबंध, या विशेषता को व्यक्त करने के लिए | गणना, संख्या, या गुणसूचकता को व्यक्त करने के लिए |
उत्पन्न अर्थ | पूर्वपद और उत्तरपद के गुण या विशेषता के योग से एक नया अर्थ प्राप्त होता है। | दो संख्याओं या गुणसूचक विशेषणों के मेल से नया अर्थ उत्पन्न होता है। |
द्विगु तथा बहुव्रीहि समास में अंतर
विषय | द्विगु समास | बहुव्रीहि समास |
परिभाषा | दो संख्याओं या विशेषणों के मेल से एक नया शब्द बनता है। | ऐसा समास जिसमें पूर्वपद से नए शब्द का अर्थ प्रकट होता है, लेकिन पूर्वपद का विशेषता उत्तरपद में नहीं होती। |
रचना | संज्ञा + संज्ञा का मेल या संज्ञा + विशेषण का मेल | संज्ञा + विशेषण का मेल या संज्ञा + क्रिया का मेल |
उदाहरण | द्विगु समास: द्वादशानन (द्वादश + अनन), पञ्चबन्धु (पञ्च + बन्धु) | बहुव्रीहि समास: अदृश्यपुरुष (जिसका पुरुष अदृश्य है), सुपरिचित (जो सु परिचित है) |
विशेषता | शब्दों की संख्या और गुणसूचकता को जोड़ने से नए अर्थ की प्राप्ति होती है। | पूर्वपद से विशेष गुण या पहचान का स्पष्ट दर्शक होता है, परंतु उत्तरपद की विशेषता नहीं दर्शायी जाती। |
उपयोग | संख्या या गुण सूचक संज्ञा के लिए उपयोगी, जैसे – द्विगुण (द्वि + गुण) | विशेषता या गुण को व्यक्त करने के लिए, जैसे – पृथ्वीपुत्र (जो पृथ्वी का पुत्र है) |
प्रकार | संज्ञा + संज्ञा (द्विगु), संज्ञा + विशेषण (द्विगु) | संज्ञा + विशेषण (बहुव्रीहि), संज्ञा + क्रिया (बहुव्रीहि) |
उत्पन्न अर्थ | गणना या गुणसूचकता का नया अर्थ | विशेषता या गुण का निर्धारण करने के लिए नए अर्थ का निर्माण |
समास Worksheet
MCQs
तत्पुरुष समास किस प्रकार के समास में आता है?
A) कर्मधारय
B) द्विगु
C) तत्पुरुष
D) बहुव्रीहि
“राजपुत्र” शब्द में कौन सा समास है?
A) द्विगु
B) तत्पुरुष
C) अव्ययीभाव
D) कर्मधारय
“धर्मभ्रष्ट” शब्द का विग्रह क्या होगा?
A) धर्म + भ्रष्ट
B) धर्म + भर्ष्ट
C) भृष्ट + धर्म
D) धर्म + भ्रष्ट
“स्वरचित” शब्द किस प्रकार के तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा
“भयमुक्त” शब्द किस प्रकार का समास है?
A) द्वंद्व
B) अव्ययीभाव
C) तत्पुरुष
D) कर्मधारय
“रेखांकित” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + कृदंत
“विद्यापति” शब्द का विग्रह क्या होगा?
A) विद्या + पति
B) विद्या + पति
C) विद्या + पत
D) विद्या + पट
“गृहिणी” शब्द किस प्रकार के तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा
“उद्योगपति” शब्द का विग्रह क्या होगा?
A) उद्योग + पति
B) उद्योग + पति
C) उद्योग + पत
D) उद्योग + पट
“शोधकृत” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + कृदंत
“धर्मवीर” शब्द का विग्रह क्या होगा?
A) धर्म + वीर
B) धर्म + वीर
C) धर्म + वीर
D) धर्म + वीर
“स्वामीभक्त” शब्द किस प्रकार का समास है?
A) द्वंद्व
B) अव्ययीभाव
C) तत्पुरुष
D) कर्मधारय
“साधक” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा
“पुस्तकालय” शब्द का विग्रह क्या होगा?
A) पुस्तक + अली
B) पुस्तक + आलय
C) पुस्तक +ालय
D) पुस्तक + आलय
“शिष्य” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा
“तत्त्वज्ञ” शब्द का विग्रह क्या होगा?
A) तत्त्व + ज्ञानी
B) तत्त्व + ज्ञेय
C) तत्त्व + ज्ञात
D) तत्त्व + ज्ञाय
“विद्वान्” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा
“कृषक” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा
“नगरपालिका” शब्द का विग्रह क्या होगा?
A) नगर + पालिका
B) नगर + पालिक
C) नगर + पलिका
D) नगर + पालिक
“संगीतज्ञ” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?
A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा
समास पर 50 महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
प्रश्न | उत्तर |
समास क्या है? | समास शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें पूर्वपद और उत्तरपद मिलकर एक नया अर्थ देते हैं। |
समास के कितने प्रकार होते हैं? | समास के छह प्रमुख प्रकार होते हैं: द्वंद्व समास, अव्ययीभाव समास, तत्पुरुष समास, बहुव्रीहि समास, कर्मधारय समास, और द्विगु समास। |
“राजपुत्र” किस प्रकार का समास है? | “राजपुत्र” द्वंद्व समास है। |
“धर्मभ्रष्ट” का विग्रह क्या होगा? | धर्म + भ्रष्ट |
“स्वरचित” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है? | संज्ञा + कृदंत |
“भयमुक्त” किस प्रकार का समास है? | अव्ययीभाव समास |
“रेखांकित” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है? | संज्ञा + कृदंत |
“विद्यापति” शब्द का विग्रह क्या होगा? | विद्या + पति |
“गृहिणी” किस प्रकार का तत्पुरुष समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“उद्योगपति” का विग्रह क्या होगा? | उद्योग + पति |
“शोधकृत” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है? | संज्ञा + कृदंत |
“धर्मवीर” शब्द का विग्रह क्या होगा? | धर्म + वीर |
“स्वामीभक्त” किस प्रकार का समास है? | तत्पुरुष समास |
“साधक” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है? | संज्ञा + संज्ञा |
“पुस्तकालय” शब्द का विग्रह क्या होगा? | पुस्तक + आलय |
“शिष्य” किस प्रकार का तत्पुरुष समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“तत्त्वज्ञ” शब्द का विग्रह क्या होगा? | तत्त्व + ज्ञानी |
“विद्वान्” किस प्रकार का तत्पुरुष समास है? | संज्ञा + विशेषण |
“कृषक” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है? | संज्ञा + संज्ञा |
“नगरपालिका” शब्द का विग्रह क्या होगा? | नगर + पालिका |
“संगीतज्ञ” किस प्रकार का समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“राजगृह” किस प्रकार का समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“तुलसीकृत” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है? | संज्ञा + कृदंत |
“संगठन” किस प्रकार का समास है? | कर्मधारय समास |
“पुस्तकालय” का विग्रह क्या होगा? | पुस्तक + आलय |
“नागरपालिका” किस प्रकार का समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“स्वतंत्रता” किस प्रकार का समास है? | अव्ययीभाव समास |
“उपभोक्ता” का विग्रह क्या होगा? | वस्तु + उपभोक्ता |
“कर्मधारय” समास में कौन सा पद विशेषण का कार्य करता है? | पहला पद (पूर्वपद) |
“गृहस्थ” शब्द किस प्रकार का समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“साधक” का विग्रह क्या होगा? | साधना + क |
“उदाहरण” किस प्रकार का समास है? | अव्ययीभाव समास |
“संगीतज्ञ” का विग्रह क्या होगा? | संगीत + ज्ञानी |
“अध्यापक” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है? | संज्ञा + विशेषण |
“विभाजन” किस प्रकार का समास है? | कर्मधारय समास |
“अधिकार” शब्द किस प्रकार का समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“पुस्तकालय” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है? | संज्ञा + संज्ञा |
“पंथ” का विग्रह क्या होगा? | धर्म + पंथ |
“राज्य” शब्द किस प्रकार का समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“धर्मपालक” का विग्रह क्या होगा? | धर्म + पालक |
“मूल्यांकन” शब्द का विग्रह क्या होगा? | मूल्य + आंकन |
“उपकरण” किस प्रकार का समास है? | कर्मधारय समास |
“धर्मविरोधी” किस प्रकार का समास है? | अव्ययीभाव समास |
“मुख्य” शब्द का विग्रह क्या होगा? | मुख + य |
“विशेषज्ञ” शब्द किस प्रकार का समास है? | संज्ञा + संज्ञा |
“सृजनात्मक” शब्द का विग्रह क्या होगा? | सृजन + आत्मक |
“योजना” किस प्रकार का समास है? | कर्मधारय समास |
“समर्पण” शब्द किस प्रकार का समास है? | अव्ययीभाव समास |
“स्वीकृति” का विग्रह क्या होगा? | स्वीकृत + इति |
“गृहस्थ” का विग्रह क्या होगा? | गृह + स्थ |
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