Samas in Hindi – परिभाषा और उसके भेद सरल तरीके से समझें

हिंदी व्याकरण में समास एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक स्वतंत्र अर्थ रखने वाले शब्द मिलकर एक नया अर्थपूर्ण शब्द बनाते हैं। समास का यह स्वरूप हिंदी भाषा की विशेषता को दर्शाता है और भाषा के अर्थ को संक्षेप में व्यक्त करने की क्षमता प्रदान करता है। समास के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे द्वंद्व समास, अव्ययीभाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, बहुव्रीहि समास, और द्विगु समास। प्रत्येक प्रकार की अपनी विशिष्ट विशेषताएं होती हैं और उनका उपयोग भिन्न-भिन्न संदर्भों में किया जाता है।

समास की परिभाषा और समास विग्रह (समास का विभाजन) की समझ हिंदी भाषा की परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर महत्वपूर्ण होती है। इन परीक्षाओं में समास से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जो उम्मीदवारों की भाषा पर पकड़ और समझ को परखते हैं। इस ब्लॉग में, “Samas in Hindi” के माध्यम से हम समास की परिभाषा, प्रकार, और विग्रह के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिससे आपको हिंदी व्याकरण के इस महत्वपूर्ण पहलू को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

समास की परिभाषा क्या है? (Samas Kya Hota Hai)

समास-प्रक्रिया में दो या दो से अधिक शब्दों या पदों के मिलकर एक नया और अर्थपूर्ण शब्द या पद बनता है। इस प्रक्रिया में पहले शब्द को ‘पूर्वपद’ और दूसरे शब्द को ‘उत्तरपद’ कहा जाता है। इन दोनों के मिलकर जो नया शब्द बनता है, उसे ‘समस्तपद’ कहते हैं। समास-प्रक्रिया का उद्देश्य शब्दों को संक्षिप्त रूप में व्यक्त करना है ताकि भाषा की अर्थवत्ता को अधिक प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया जा सके।

पूर्वपदउत्तरपदसमस्तपद
सूर्यपुत्रसूर्यपुत्र
पुस्तकआलयपुस्तकालय
रातदिनरातदिन
नागपुरीनागपुरी
बालवीरबालवीर
राजाबेटाराजपुत्र
जलवायुजलवायु
हिमालयहिमालय
गुरुशिष्यगुरुशिष्य
देवस्थानदेवस्थान
लम्बातारालम्बोतरा
धरतीमाताधरतीमाता
द्रव्यस्थलद्रव्यस्थल
मनुष्यजातिमनुष्यजाति
गांवप्रधानगांवप्रधान
चमकसिताराचमकसितारा
सागरदीपसागरदीप
सेतुपुलसेतुपुल
अम्बाभूमिअम्बभूमि
आदमकदआदमकद
पृथ्वीशासकपृथ्वीशासक
कुमुदबॉटकुमुदबॉट
पुस्तकचीरपुस्तकचीर
विद्युतपंखाविद्युतपंखा
विद्यालयछात्रविद्यालयछात्र
आकाशगंगाआकाशगंगा
झीलकिनाराझीलकिनारा
रक्तदानरक्तदान
पंखाआस्तीनपंखा आस्तीन
दीपकजलदीपकजल

समास की विशेषताएं क्या हैं?

समास की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • संक्षिप्तता: समास शब्दों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे भाषा की अभिव्यक्ति संक्षेप और प्रभावी हो जाती है।
  • नई अर्थवत्ता: समास में जुड़े हुए शब्दों का संयुक्त अर्थ एक नया और विशिष्ट अर्थ उत्पन्न करता है, जो दोनों शब्दों के अर्थ से अलग होता है।
  • विवरणात्मकता: समास का उपयोग वाक्यांशों या शब्दों के संयोजन से एक विशिष्ट और विवरणात्मक अर्थ प्रदान करने के लिए किया जाता है।
  • व्याकरणिक सादगी: समास से वाक्यों की व्याकरणिक संरचना सरल होती है, क्योंकि यह संक्षिप्त रूप में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
  • भाषा की संजीवनी: समास भाषा की संजीवनी शक्ति को दर्शाता है, जिससे शब्दों के संयोजन से नए शब्द उत्पन्न होते हैं, जो भाषाई समृद्धि का हिस्सा होते हैं।
  • संबंध प्रकट करना: समास विभिन्न शब्दों के बीच संबंध को प्रकट करता है। जैसे, ‘पुस्तकालय’ में ‘पुस्तक’ और ‘आलय’ के संयोजन से यह दर्शाता है कि यह पुस्तकों को रखने की जगह है।
  • सामान्य और विशिष्टता: समास का उपयोग सामान्य शब्दों को विशिष्टता देने के लिए भी किया जाता है, जैसे ‘सूर्यपुत्र’ (सूर्य का पुत्र) से यह स्पष्ट होता है कि यह एक विशेष व्यक्ति है।
  • शब्दों की अर्थवत्ता का आदान-प्रदान: समास प्रक्रिया में एक शब्द की अर्थवत्ता दूसरे शब्द के साथ मिलकर एक नया अर्थ उत्पन्न करती है, जो भाषा को अधिक समृद्ध बनाता है।
  • विभिन्न प्रकार: समास विभिन्न प्रकारों में विभाजित होता है जैसे कर्मधारय, द्वंद्व, अधिकरण, और बहुव्रीहि, प्रत्येक प्रकार का उपयोग विशेष अर्थ और संदर्भ को व्यक्त करने के लिए होता है।

समास-विग्रह (Samas Vigrah) क्या है?

समास-विग्रह (Samas Vigrah) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें समास के एकत्रित शब्दों को उनके मूल रूप में विभाजित किया जाता है, ताकि उनके संयुक्त अर्थ को स्पष्ट रूप से समझा जा सके। यह प्रक्रिया समास के तत्वों का विश्लेषण करने में मदद करती है और यह दिखाती है कि समास में जुड़े शब्दों का वास्तविक अर्थ क्या है।

समास-विग्रह में समास के प्रत्येक घटक को उसके मूल शब्दों में तोड़कर उसके अर्थ को स्पष्ट किया जाता है।

पूर्वपदउत्तरपदविग्रहअर्थत्रू
पुस्तकालयपुस्तकआलयपुस्तक + आलयपुस्तकों रखने की जगह
सूर्यपुत्रसूर्यपुत्रसूर्य + पुत्रसूर्य का पुत्र
रातदिनरातदिनरात + दिनरात और दिन
गृहिणीगृहईणिगृह + ईणिघर की मालिक
देवस्थानदेवस्थानदेव + स्थानदेवताओं का स्थान
नागपुरीनागपुरीनाग + पुरीनागों का शहर
विद्युतपंखाविद्युतपंखाविद्युत + पंखाबिजली से चलने वाला पंखा
बालवीरबालवीरबाल + वीरवीर बालक
हिमालयहिमआलयहिम + आलयहिम की जगह
जलवायुजलवायुजल + वायुजल की हवा
राजपुत्रराजापुत्रराजा + पुत्रराजा का पुत्र
अम्बभूमिअम्बाभूमिअम्बा + भूमिअम्बा की भूमि
सेतुपुलसेतुपुलसेतु + पुलपुल जो सेतु से जुड़ा हो
आदमकदआदमकदआदम + कदआदम का कद
कुमुदबॉटकुमुदबॉटकुमुद + बॉटकुमुद का बॉट
लम्बोतरालम्बातारालम्बा + तारालम्बा और चमकदार तारा
गुरुशिष्यगुरुशिष्यगुरु + शिष्यगुरु का शिष्य
मनुष्यजातिमनुष्यजातिमनुष्य + जातिमनुष्यों की जाति
द्रव्यस्थलद्रव्यस्थलद्रव्य + स्थलद्रव्य रखने का स्थल
गांवप्रधानगांवप्रधानगांव + प्रधानगांव का प्रधान
चमकसिताराचमकसिताराचमक + सिताराचमकदार सितारा
पृथ्वीशासकपृथ्वीशासकपृथ्वी + शासकपृथ्वी का शासक
झीलकिनाराझीलकिनाराझील + किनाराझील का किनारा
रक्तदानरक्तदानरक्त + दानरक्त देने की प्रक्रिया
विद्यालयछात्रविद्यालयछात्रविद्यालय + छात्रविद्यालय में पढ़ने वाला छात्र
आकाशगंगाआकाशगंगाआकाश + गंगाआकाश की गंगा
विद्युतगतिविद्युतगतिविद्युत + गतिविद्युत की गति
पुस्तकचीरपुस्तकचीरपुस्तक + चीरपुस्तक का चीर
विद्याशास्त्रविद्याशास्त्रविद्या + शास्त्रविद्या का शास्त्र
नगरपालिकानगरपालिकानगर + पालिकानगर की पालिका

संधि तथा समास में अंतर क्या है?

संधि और समास दोनों ही भाषाओं में शब्दों के संयोजन से नए रूप और अर्थ उत्पन्न करने की प्रक्रियाएं हैं, लेकिन ये विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाएं हैं। संधि एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो शब्दों या धातुओं के मेल से ध्वन्यात्मक परिवर्तन होते हैं, और शब्दों का एक भाग बदल जाता है। संधि के मुख्य प्रकार स्वर संधि, व्यंजन संधि, और स्वर-व्यंजन संधि होते हैं, जो शब्दों के ध्वनि मिलान पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए, “रात्रि” और “उषा” के मेल से “रात्र्योषा” बनता है, जहां स्वर मिलते हैं और ध्वनि का परिवर्तन होता है।

वहीं, समास वह प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द या पद बनता है, जिसमें शब्दों का अर्थ नए रूप में प्रकट होता है। समास में शब्दों का संयोजन अर्थपूर्ण होता है और नए अर्थ को उत्पन्न करता है। समास के विभिन्न प्रकार जैसे कर्मधारय समास, द्वंद्व समास, अधिकरण समास, और बहुव्रीहि समास होते हैं, जो विभिन्न प्रकार की अर्थवत्ता को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के तौर पर, “पुस्तकालय” (पुस्तक + आलय) और “सूर्यपुत्र” (सूर्य + पुत्र) में शब्दों का संयोजन एक नया अर्थ उत्पन्न करता है और समास का संरचनात्मक रूप स्थिर रहता है। इस प्रकार, संधि और समास दोनों शब्दों के संयोजन से नए रूप और अर्थ उत्पन्न करते हैं, लेकिन संधि में ध्वन्यात्मक परिवर्तन होता है जबकि समास में शब्दों का अर्थपूर्ण संयोजन होता है।

समास (Samas in Hindi) के भेद क्या हैं?

समास (Samas in Hindi) के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं:

  • द्वंद्व समास
  • अव्ययीभाव समास
  • तत्पुरुष समास
  • बहुव्रीहि समास
  • कर्मधारय समास
  • द्विगु समास

द्वंद्व समास क्या है?

द्वंद्व समास (Dvandva Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें दो शब्दों का संयोजन होता है, जिनमें दोनों शब्द समान महत्व रखते हैं और स्वतंत्र रूप से समझे जाते हैं। इस समास में दोनों शब्दों के बीच कोई विशेष संबंध नहीं होता; बल्कि, दोनों शब्द एक साथ मिलकर एक संयुक्त अर्थ प्रकट करते हैं।

समासपूर्वपदउत्तरपदविग्रहअर्थ
रातदिनरातदिनरात + दिनरात और दिन
पिता-मातापितामातापिता + मातापिता और माता
गगन-चाँदगगनचाँदगगन + चाँदगगन और चाँद
घर-बारघरबारघर + बारघर और बार
सूर्य-चाँदसूर्यचाँदसूर्य + चाँदसूर्य और चाँद
द्रव्य-धनद्रव्यधनद्रव्य + धनद्रव्य और धन
काम-धामकामधामकाम + धामकाम और धाम
दिन-रातदिनरातदिन + रातदिन और रात
अम्बा-पिताअम्बापिताअम्बा + पिताअम्बा और पिता
मन-प्राणमनप्राणमन + प्राणमन और प्राण
माता-पितामातापितामाता + पितामाता और पिता
फूल-फलफूलफलफूल + फलफूल और फल
सर्दी-गर्मीसर्दीगर्मीसर्दी + गर्मीसर्दी और गर्मी
मित्र-शत्रुमित्रशत्रुमित्र + शत्रुमित्र और शत्रु
सिंह-गजसिंहगजसिंह + गजसिंह और गज
ब्रह्मा-विष्णुब्रह्माविष्णुब्रह्मा + विष्णुब्रह्मा और विष्णु
नदी-पर्वतनदीपर्वतनदी + पर्वतनदी और पर्वत
आकाश-धरतीआकाशधरतीआकाश + धरतीआकाश और धरती
राज-रानीराजरानीराज + रानीराज और रानी
रंग-रूपरंगरूपरंग + रूपरंग और रूप
नमक-मिर्चनमकमिर्चनमक + मिर्चनमक और मिर्च
राजा-रानीराजारानीराजा + रानीराजा और रानी
रात्रि-सवेरारात्रिसवेरारात्रि + सवेरारात्रि और सवेरा
पर्वत-नदीपर्वतनदीपर्वत + नदीपर्वत और नदी
बूँद-घटबूँदघटबूँद + घटबूँद और घट
सरोवर-तालाबसरोवरतालाबसरोवर + तालाबसरोवर और तालाब
बादल-बारिशबादलबारिशबादल + बारिशबादल और बारिश
धूप-छाँवधूपछाँवधूप + छाँवधूप और छाँव
फूल-पत्ताफूलपत्ताफूल + पत्ताफूल और पत्ता
भालू-सिंहभालूसिंहभालू + सिंहभालू और सिंह
पंख-नकलीपंखनकलीपंख + नकलीपंख और नकली
चाँद-सितारेचाँदसितारेचाँद + सितारेचाँद और सितारे
घर-आँगनघरआँगनघर + आँगनघर और आँगन
आओ-जाओआओजाओआओ + जाओआओ और जाओ
चाय-नाश्ताचायनाश्ताचाय + नाश्ताचाय और नाश्ता
कथा-उपदेशकथाउपदेशकथा + उपदेशकथा और उपदेश
वाणी-शब्दवाणीशब्दवाणी + शब्दवाणी और शब्द
रंग-बिरंगेरंगबिरंगेरंग + बिरंगेरंग और बिरंगे
वायु-प्रदूषणवायुप्रदूषणवायु + प्रदूषणवायु और प्रदूषण
पानी-भूखपानीभूखपानी + भूखपानी और भूख
खाता-पीताखातापीताखाता + पीताखाता और पीता
घर-स्वदेशघरस्वदेशघर + स्वदेशघर और स्वदेश
दीपक-तिलदीपकतिलदीपक + तिलदीपक और तिल
दिल-आत्मादिलआत्मादिल + आत्मादिल और आत्मा
सिख-शिष्यसिखशिष्यसिख + शिष्यसिख और शिष्य
रोटी-भातरोटीभातरोटी + भातरोटी और भात
नगर-गाँवनगरगाँवनगर + गाँवनगर और गाँव
समय-कालसमयकालसमय + कालसमय और काल
समुद्र-गंगासमुद्रगंगासमुद्र + गंगासमुद्र और गंगा
रत्न-मणिरत्नमणिरत्न + मणिरत्न और मणि

अव्ययीभाव समास क्या है?

अव्ययीभाव समास (Avyayi-Bhava Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें एक शब्द (पूर्वपद) किसी अन्य शब्द (उत्तरपद) की विशेषता, गुण, या स्थिति को प्रकट करता है। इसमें पहले शब्द का अव्यय (जैसे: ‘से’, ‘के’, ‘तक’, ‘ही’, आदि) का प्रयोग होता है और यह विशेषण या विशेष स्थिति को व्यक्त करता है।

समासपूर्वपदउत्तरपदविग्रहअर्थ
सार्वभौमिकसार्वभौमिकसार्व + भौमिकसभी भूमि से संबंधित
आत्मनिर्भरआत्मनिर्भरआत्म + निर्भरस्वयं पर निर्भर
सुसंस्कृतसुसंस्कृतसु + संस्कृतअच्छे संस्कारों वाला
अगणितगणितअ + गणितअनगिनत
अनंतकालिकअनंतकालिकअनंत + कालिकअनंत काल तक
निरंतरनिरंतरभौतिकनिरंतर + भौतिकलगातार भौतिक
परिपक्वपरिपक्वपरि + पक्वपूर्ण रूप से पका हुआ
सर्वशक्तिमानसर्वशक्तिमानसर्व + शक्तिमानसभी शक्तियों वाला
अत्यधिकअतअधिकअत + अधिकअत्यधिक मात्रा में
निर्विवादनिरविवादनिर + विवादविवाद रहित
अचूकअचूकनकलअचूक + नकलगलती रहित
विद्यमानविद्यमानस्थितिविद्यमान + स्थितिवर्तमान स्थिति
पूर्णकालिकपूर्णकालिकपूर्ण + कालिकपूरा समय कार्यरत
असीमितअसीमसीमाअसीम + सीमासीमाहीन
अपरिहार्यपर्यायअ + पर्यायअपरिहार्य
निरंतरनिरंतरप्रयासनिरंतर + प्रयासलगातार प्रयास
अज्ञेयज्ञेयअ + ज्ञेयजो ज्ञेय नहीं हो
अनिश्चितअनिश्चितसमयअनिश्चित + समयअनिश्चित समय
अनन्यअनन्यप्रेमअनन्य + प्रेमविशेष प्रेम
अद्वितीयअद्वितीयअस्तित्वअद्वितीय + अस्तित्वअद्वितीय अस्तित्व
अभूतपूर्वअभूतपूर्वअभूत + पूर्वअभूतपूर्व
अनिवार्यअनिवार्यकर्तव्यअनिवार्य + कर्तव्यअनिवार्य कर्तव्य
अव्यक्तअव्यक्तरूपअव्यक्त + रूपअव्यक्त रूप
अनुपस्थितअनुपस्थितवस्तुअनुपस्थित + वस्तुअनुपस्थित वस्तु
अविश्वसनीयअविश्वसनीयप्रमाणअविश्वसनीय + प्रमाणअविश्वसनीय प्रमाण
अनर्गलअनर्गलबातेंअनर्गल + बातेंबेसमझ बातें
असाधारणअसाधारणगुणअसाधारण + गुणअसाधारण गुण
अज्ञातअज्ञातव्यक्तिअज्ञात + व्यक्तिअज्ञात व्यक्ति
असमर्थअसमर्थप्रबंधनअसमर्थ + प्रबंधनअसमर्थ प्रबंधन
अनुवादितअनुवादितपाठअनुवादित + पाठअनुवादित पाठ
अवसादितअवसादितमनोबलअवसादित + मनोबलअवसादित मनोबल
अदृश्यअदृश्यवस्तुअदृश्य + वस्तुअदृश्य वस्तु
अस्थायीअस्थायीसमाधानअस्थायी + समाधानअस्थायी समाधान
अपारअपारसुखअपार + सुखअपार सुख
असीमअसीमआकाशअसीम + आकाशअसीम आकाश
असामान्यअसामान्यव्यक्तिअसामान्य + व्यक्तिअसामान्य व्यक्ति
अविस्मरणीयअविस्मरणीयघटनाअविस्मरणीय + घटनाअविस्मरणीय घटना
अनाधिकारअनाधिकारउपयोगअनाधिकार + उपयोगअनाधिकार उपयोग
अनामिकाअनामिकाजानकारीअनामिका + जानकारीअनामिका जानकारी
अमूल्यअमूल्यवस्तुअमूल्य + वस्तुअमूल्य वस्तु
असंतोषजनकअसंतोषजनकस्थितिअसंतोषजनक + स्थितिअसंतोषजनक स्थिति
अनुष्ठानअनुष्ठानप्रक्रियाअनुष्ठान + प्रक्रियाअनुष्ठान प्रक्रिया
अमानवीयअमानवीयव्यवहारअमानवीय + व्यवहारअमानवीय व्यवहार
अवलोकितअवलोकितव्यक्तिअवलोकित + व्यक्तिअवलोकित व्यक्ति
अपरिपक्वअपरिपक्वनिर्णयअपरिपक्व + निर्णयअपरिपक्व निर्णय
असंवैधानिकअसंवैधानिकप्रस्तावअसंवैधानिक + प्रस्तावअसंवैधानिक प्रस्ताव
अनुपमअनुपमसौंदर्यअनुपम + सौंदर्यअनुपम सौंदर्य
असमर्थअसमर्थव्यक्तिअसमर्थ + व्यक्तिअसमर्थ व्यक्ति
अमिटअमिटछापअमिट + छापअमिट छाप
अज्ञेयअज्ञेयअनुभवअज्ञेय + अनुभवअज्ञेय अनुभव

कर्मधारय समास क्या है?

कर्मधारय समास (Karmadharay Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें दो शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, और इसमें पहला शब्द (पूर्वपद) विशेषण के रूप में कार्य करता है जबकि दूसरा शब्द (उत्तरपद) विशेषण की स्थिति या गुण को प्रकट करता है। इस समास में पहला शब्द किसी विशेषता, गुण, या स्थिति को दर्शाता है, और दूसरा शब्द उस विशेषता का मुख्य गुण होता है।

समासपूर्वपदउत्तरपदविग्रहअर्थ
सत्यवादीसत्यवादीसत्य + वादीसत्य बोलने वाला
चतुरमुखचतुरमुखचतुर + मुखचार मुख वाला
दूरदर्शीदूरदृष्टिदूर + दृष्टिदूर देखने वाला
मध्यमवर्गीयमध्यमवर्गीयमध्यम + वर्गीयमध्य वर्ग का
सुमधुरसुमधुरसु + मधुरअच्छा स्वर वाला
उपयुक्तउपयुक्तउप + युक्तउचित, अनुकूल
कृपाणधारीकृपाणधारीकृपाण + धारीकृपाण धारण करने वाला
व्यस्तव्यस्तव्यक्तिव्यस्त + व्यक्तिव्यस्त व्यक्ति
रमणीयरमणीयस्थानरमणीय + स्थानसुंदर स्थान
शीतलशीतलजलशीतल + जलठंडा जल
अशांतअशांतमनअशांत + मनअशांत मन
अद्भुतअद्भुतदृश्यअद्भुत + दृश्यअद्भुत दृश्य
मर्मज्ञमर्मज्ञानीमर्म + ज्ञानीगहराई को जानने वाला
बुद्धिमानबुद्धिमानबुद्धि + मानबुद्धि वाला
अत्यंतअत्यंतसुंदरअत्यंत + सुंदरअत्यंत सुंदर
दीनदयालुदीनदयालुदीन + दयालुगरीबों पर दया रखने वाला
विद्वानविद्वानव्यक्तिविद्वान + व्यक्तिज्ञानी व्यक्ति
बहुमूल्यबहुमूल्यबहु + मूल्यबहुत मूल्यवान
उपहारस्वरूपउपहारस्वरूपउपहार + स्वरूपउपहार के रूप में
अज्ञेयअज्ञेयतथ्यअज्ञेय + तथ्यजो ज्ञेय नहीं हो
निर्भीकनिर्भीकव्यक्तिनिर्भीक + व्यक्तिनिर्भीक व्यक्ति
साहसीसाहसव्यक्तिसाहस + व्यक्तिसाहसिक व्यक्ति
सौम्यसौम्यस्वभावसौम्य + स्वभावसौम्य स्वभाव वाला
पुण्यात्मापुण्यआत्मापुण्य + आत्मापुण्यात्मा
सुभटसुभटसु + भटसु भट (सु)
महानमहामानवमहा + मानवमहान व्यक्ति
प्रवीणप्रवीणव्यक्तिप्रवीण + व्यक्तिप्रवीण व्यक्ति
उन्नतउन्नतस्तरउन्नत + स्तरउन्नत स्तर
शरणागतशरणगतशरण + गतशरण में गया
प्रियप्रियवस्तुप्रिय + वस्तुप्रिय वस्तु
व्यस्तव्यस्तसमयव्यस्त + समयव्यस्त समय
गम्भीरगम्भीरव्यक्तिगम्भीर + व्यक्तिगम्भीर व्यक्ति
असामान्यअसामान्यघटनाअसामान्य + घटनाअसामान्य घटना
स्थायीस्थायीसमाधानस्थायी + समाधानस्थायी समाधान
सजगसजगव्यक्तिसजग + व्यक्तिसजग व्यक्ति
उत्कृष्टउत्कृष्टकार्यउत्कृष्ट + कार्यउत्कृष्ट कार्य
विश्वसनीयविश्वसनीयवस्तुविश्वसनीय + वस्तुविश्वसनीय वस्तु
संजीवनीसंजीवनीऔषधिसंजीवनी + औषधिजीवन देने वाली औषधि
अनमोलअनमोलरत्नअनमोल + रत्नअनमोल रत्न
सशक्तसशक्तव्यक्तित्वसशक्त + व्यक्तित्वसशक्त व्यक्तित्व
अमूल्यअमूल्यवस्तुअमूल्य + वस्तुअमूल्य वस्तु
अविश्वसनीयअविश्वसनीयसाक्ष्यअविश्वसनीय + साक्ष्यअविश्वसनीय साक्ष्य
ऐतिहासिकऐतिहासिकस्थलऐतिहासिक + स्थलऐतिहासिक स्थल
चरमचरमसुखचरम + सुखचरम सुख
सामर्थ्यशालीसामर्थ्यव्यक्तिसामर्थ्य + व्यक्तिसामर्थ्यशाली व्यक्ति
निर्बाधनिर्बाधप्रवाहनिर्बाध + प्रवाहनिर्बाध प्रवाह
अनूठाअनूठाढंगअनूठा + ढंगअनूठा ढंग
अंतर्ज्ञानीअंतर्ज्ञानीज्ञानअंतर्ज्ञानी + ज्ञानअंतर्ज्ञानी ज्ञान
विश्वसनीयविश्वसनीयप्रमाणविश्वसनीय + प्रमाणविश्वसनीय प्रमाण
विशेषविशेषअवसरविशेष + अवसरविशेष अवसर

द्विगु समास क्या है?

द्विगु समास (Dvigu Samas) एक प्रकार का समास होता है जिसमें दो या दो से अधिक समान प्रकार के संज्ञा या विशेषणों का प्रयोग किया जाता है। इस समास में सभी पूर्वपद (पहला पद) समान रूप से कार्य करता है और उत्तरपद (दूसरा पद) उनके गुण, संख्या, या अन्य विशेषताओं को व्यक्त करता है।

समासपूर्वपदउत्तरपदविग्रहअर्थ
द्विगुणद्विगुणद्वि + गुणदो गुणों वाला
त्रिकालत्रिकालत्रि + कालतीन काल
सप्तद्वीपसप्तद्वीपसप्त + द्वीपसात द्वीप
दशविधिदशविधिदश + विधिदस विधियाँ
त्रैतीयत्रितीयत्रि + तीयतीन प्रकार का
पंचबाहुपंचबाहुपंच + बाहुपांच बाहु वाला
सप्तधातुसप्तधातुसप्त + धातुसात धातुएँ
द्वादशद्वादशमासद्वादश + मासबारह मास
पंचमूर्तिपंचमूर्तिपंच + मूर्तिपांच रूपों वाला
त्रिवर्णत्रिवर्णत्रि + वर्णतीन रंग
सप्तशृंगसप्तशृंगसप्त + शृंगसात शृंग
द्विग्राहीद्विग्राहीद्वि + ग्राहीदो ग्राही
त्रिरत्नत्रिरत्नत्रि + रत्नतीन रत्न
पंचांगपंचअंगपंच + अंगपांच अंग
सप्तसागरसप्तसागरसप्त + सागरसात सागर
द्विसप्तकद्विसप्तकद्वि + सप्तकदो सप्तक
त्रिविधत्रिविधत्रि + विधतीन विधियाँ
पंचाननपंचआननपंच + आननपांच मुख वाला
सप्तस्वरसप्तस्वरसप्त + स्वरसात स्वर
द्विलोकद्विलोकद्वि + लोकदो लोक
त्रैसप्तकत्रिसप्तकत्रि + सप्तकतीन सप्तक
पंचप्राणपंचप्राणपंच + प्राणपांच प्राण
सप्तचक्रसप्तचक्रसप्त + चक्रसात चक्र
द्विगतिद्विगतिद्वि + गतिदो गति
त्रिवेणीत्रिवेणीत्रि + वेणीतीन नदियाँ मिलने वाली जगह
पंचमुखपंचमुखपंच + मुखपांच मुख वाला
सप्तकसप्तसप्त + कसात क
द्विकर्मद्विकर्मद्वि + कर्मदो कर्म
त्रिकूटत्रिकूटत्रि + कूटतीन कूट
पंचरात्रपंचरात्रीपंच + रात्रीपांच रात्री
सप्तधरसप्तधरसप्त + धरसात धारण करने वाला
द्विसुत्रद्विसूत्रद्वि + सूत्रदो सूत्र
त्रिविधत्रिविधत्रि + विधतीन प्रकार
पंचपदपंचपदपंच + पदपांच पद
सप्तचरणसप्तचरणसप्त + चरणसात चरण
द्विस्थानद्विस्थानद्वि + स्थानदो स्थान
त्रिवेणीत्रिवेणीत्रि + वेणीतीन वेणियाँ
पंचरश्मिपंचरश्मिपंच + रश्मिपांच किरणें
सप्तसंगसप्तसंगसप्त + संगसात संग
द्विकालद्विकालद्वि + कालदो काल
त्रिपदत्रिपदत्रि + पदतीन पद
पंचवृक्षपंचवृक्षपंच + वृक्षपांच वृक्ष
सप्तसारसप्तसारसप्त + सारसात सार
द्विद्वीपद्विद्वीपद्वि + द्वीपदो द्वीप
त्रिगुणत्रिगुणत्रि + गुणतीन गुण
पंचविधिपंचविधिपंच + विधिपांच विधियाँ
सप्तपुत्रसप्तपुत्रसप्त + पुत्रसात पुत्र
द्विस्वभावद्विस्वभावद्वि + स्वभावदो स्वभाव
त्रिवेणत्रिवेणत्रि + वेणतीन वेणियाँ
पंचमसंगपंचसंगपंच + संगपांच संग

बहुव्रीहि समास क्या है?

बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें एक नया शब्द (समस्तपद) बनाने के लिए पूर्वपद और उत्तरपद के योग से एक विशेष गुण, विशेषता, या पहचान का संकेत मिलता है। इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों मिलकर एक विशेष प्रकार के व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करते हैं, और समस्तपद का अर्थ उन दोनों से भिन्न होता है।

समासपूर्वपदउत्तरपदविग्रहअर्थ
नीलकंठनीलाकंठनीला + कंठनील रंग का गला वाला
गौतम बुद्धगौतमबुद्धगौतम + बुद्धगौतम नामक बुद्धिमान व्यक्ति
सप्तर्षिसप्तऋषिसप्त + ऋषिसात ऋषियों का समूह
लम्बकायलम्बकायलम्ब + कायलम्बा शरीर वाला
पंचमुखपंचमुखपंच + मुखपांच मुख वाला
द्वादशद्वादशमासद्वादश + मासबारह महीने
सप्तधातुसप्तधातुसप्त + धातुसात धातुएँ
त्रिकालत्रिकालत्रि + कालतीन काल
श्वेतपदश्वेतपदश्वेत + पदसफेद रंग का पद
त्रिवेणीत्रिवेणीत्रि + वेणीतीन नदियाँ मिलने वाला स्थान
पञ्चांगपंचअंगपंच + अंगपांच अंग
द्विपदद्विपदद्वि + पददो पद
धृतराष्ट्रधृतराष्ट्रधृत + राष्ट्रधारण करने वाला राष्ट्र
त्रिवेणीत्रिवेणीत्रि + वेणीतीन वेणियाँ
चतुर्भुजचतुर्गुणभुजचतुर्भुजचार भुजाओं वाला
पंचविधिपंचविधिपंच + विधिपांच विधियाँ
द्विसप्तकद्विसप्तकद्वि + सप्तकदो सप्तक
चतुर्मुखचतुर्गुणमुखचतुर्मुखचार मुखों वाला
द्विगुणद्विगुणद्वि + गुणदो गुणों वाला
त्रिशूलत्रिशूलत्रि + शूलतीन शूल वाला
सप्तसप्तकसप्तसप्तकसप्त + सप्तकसात सप्तक
चतुर्वेदीचतुर्गुणवेदीचतुर्वेदीचार वेदों वाला
त्रैसप्तकत्रिसप्तकत्रि + सप्तकतीन सप्तक
द्विचक्रद्विचक्रद्वि + चक्रदो चक्र
पंचवर्णपंचवर्णपंच + वर्णपांच रंगों वाला
त्रिरत्नत्रिरत्नत्रि + रत्नतीन रत्न
द्विकायद्विकायद्वि + कायदो शरीर वाला
चतुर्थचतुर्गुणआथचतुर्थचौथा
पञ्चमुखपंचमुखपञ्च + मुखपांच मुख
द्विरूपद्विरूपद्वि + रूपदो रूप
त्रिसप्तकत्रिसप्तकत्रि + सप्तकतीन सप्तक
सप्तद्वीपसप्तद्वीपसप्त + द्वीपसात द्वीप
चतुर्विधिचतुर्गुणविधिचतुर्विधिचार विधियाँ
द्विविधद्विविधिद्वि + विधिदो प्रकार की विधियाँ
पञ्चकर्मपंचकर्मपंच + कर्मपांच कर्म
द्विजद्विद्वि + जदो जन्मों वाला
त्रिभुजत्रिभुजत्रि + भुजतीन भुजाओं वाला
पञ्चशाखापंचशाखापंच + शाखापांच शाखाएँ
चतुर्द्वारचतुर्गुणद्वारचतुर्द्वारचार द्वार
द्विधाद्विधाद्वि + धादो प्रकार से
त्रिकर्मत्रिकर्मत्रि + कर्मतीन कर्म
सप्तधातुसप्तधातुसप्त + धातुसात धातुएँ
चतुर्मासचतुर्गुणमासचतुर्मासचार महीने
द्विसंख्याद्विसंख्याद्वि + संख्यादो संख्याएँ
त्रिसुत्रत्रिसूत्रत्रि + सूत्रतीन सूत्र
पञ्चपुष्पपंचपुष्पपंच + पुष्पपांच पुष्प
चतुर्वर्णचतुर्गुणवर्णचतुर्वर्णचार वर्ण
द्विधाद्विधाद्वि + धादो प्रकार का
त्रिमूर्तित्रिमूर्तित्रि + मूर्तितीन मूर्तियाँ
पञ्चकुमारीपंचकुमारीपंच + कुमारीपांच कुमारी
द्विस्रोतद्विस्रोतद्वि + स्रोतदो स्रोत
चतुर्भुजचतुर्गुणभुजचतुर्भुजचार भुजाएँ
सप्तकसप्तसप्त + कसात क

तत्पुरुष समास क्या है?

तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas) एक प्रकार का समास है जिसमें एक पद (समस्तपद) का अर्थ उस पद के बाद आए दूसरे पद (उत्तरपद) के गुण, विशेषता या संबंध से निर्धारित होता है। इस समास में पहले पद (पूर्वपद) का अर्थ अपने आप में पूर्ण होता है, और वह उत्तरपद के साथ मिलकर एक नया अर्थ प्रकट करता है।

समासपूर्वपदउत्तरपदविग्रहअर्थ
राजपुत्रराजापुत्रराजा + पुत्रराजा का पुत्र
गायत्री मंत्रगायत्रीमंत्रगायत्री + मंत्रगायत्री से संबंधित मंत्र
पितृभाषापिताभाषापिता + भाषापिता की भाषा
सूर्यकांतसूर्यकांतसूर्य + कांतसूर्य के समान आकर्षक
जलपात्रजलपात्रजल + पात्रजल रखने वाला पात्र
रात्रीवासरात्रीवासरात्री + वासरात्री में निवास
विद्युतविचारविद्युतविचारविद्युत + विचारविद्युत संबंधी विचार
धरतीपुत्रधरतीपुत्रधरती + पुत्रधरती का पुत्र
विचारधाराविचारधाराविचार + धाराविचारों की धारा
सेवा कार्यसेवाकार्यसेवा + कार्यसेवा से संबंधित कार्य
पारिवारिकपरिवारइकाईपरिवार + इकाईपरिवार से संबंधित
श्रीकांतश्रीकांतश्री + कांतश्री के समान आकर्षक
स्वास्थ्यवर्धकस्वास्थ्यवर्धकस्वास्थ्य + वर्धकस्वास्थ्य को बढ़ाने वाला
संसारपितासंसारपितासंसार + पितासंसार का पिता
संगीतज्ञसंगीतज्ञातासंगीत + ज्ञातासंगीत का जानकार
रोजमर्रारोजमर्रारोज + मर्रारोज के काम
अधिकारिणीअधिकारइणीअधिकार + इणीअधिकार से संबंधित महिला
शिक्षण विधिशिक्षणविधिशिक्षण + विधिशिक्षा की विधि
संग्रहालयसंग्रहालयसंग्रह +ालयसंग्रह का स्थान
समाजवादीसमाजवादीसमाज + वादीसमाज के समर्थक
नौसिखियानौसिखियानौ + सिखियानौसिखिया
परिवारिकपरिवारइकाईपरिवार + इकाईपरिवार से संबंधित
धर्मस्थलधर्मस्थलधर्म + स्थलधर्म का स्थान
स्वतंत्रता संग्रामस्वतंत्रतासंग्रामस्वतंत्रता + संग्रामस्वतंत्रता के लिए संग्राम
सत्यवादीसत्यवादीसत्य + वादीसत्य का समर्थक
दृष्टान्तदृष्टान्तदृष्ट + अान्तदृष्ट का उदाहरण
समर्पणसमर्पितसमर्पित + णसमर्पित का क्रिया
संबंधितसंबंधइतिसंबंध + इतिसंबंध से संबंधित
अधिकारीअधिकारअधिकार + ईअधिकार का व्यक्ति
सच्चाईसचआईसच + आईसच्ची बातें
जागरूकताजागरूकताजागरूक + ताजागरूकता की स्थिति
किसानकिसआनकिस + आनकृषि से संबंधित व्यक्ति
विज्ञापनविज्ञापनविज्ञा + पनविज्ञापन
मातृत्वमातात्त्वमाता + त्त्वमातृत्व की स्थिति
विवाहिताविवाहइताविवाह + इताविवाहिता महिला
अकादमिकअकादमीइकअकादमी + इकअकादमी से संबंधित
प्रशासनिकप्रशासनइकप्रशासन + इकप्रशासनिक व्यक्ति
दर्शनशास्त्रदर्शनशास्त्रदर्शन + शास्त्रदर्शन के अध्ययन का शास्त्र
विवरणात्मकविवरणआत्मकविवरण + आत्मकविवरण से संबंधित
समान्यसमअन्यसम + अन्यसामान्य
साहित्यिकसाहित्यइकसाहित्य + इकसाहित्य से संबंधित

तत्पुरुष समास की रचना

तत्पुरुष समास की रचना हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह समास तब बनता है जब दो शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, जिसमें पहला शब्द (पूर्वपद) दूसरे शब्द (उत्तरपद) के किसी विशेष संबंध को दर्शाता है। तत्पुरुष समास की रचना निम्नलिखित प्रकार से होती है:

तत्पुरुष समास की रचना के प्रकार:

संज्ञा + संज्ञा:

उदाहरण:

  • राजपुत्र (राजा का पुत्र) – यहाँ ‘राजा’ और ‘पुत्र’ के मेल से ‘राजपुत्र’ बना है।
  • उद्योगपति (उद्योग का पति) – यहाँ ‘उद्योग’ और ‘पति’ के मेल से ‘उद्योगपति’ बना है।

संज्ञा + विशेषण:

उदाहरण:

  • धर्मभ्रष्ट (धर्म से भ्रष्ट) – यहाँ ‘धर्म’ और ‘भ्रष्ट’ के मेल से ‘धर्मभ्रष्ट’ बना है।
  • भयमुक्त (भय से मुक्त) – यहाँ ‘भय’ और ‘मुक्त’ के मेल से ‘भयमुक्त’ बना है।

संज्ञा + कृदंत:

उदाहरण:

  • रेखांकित (रेखा से अंकित) – यहाँ ‘रेखा’ और ‘अंकित’ के मेल से ‘रेखांकित’ बना है।
  • स्वरचित (स्व द्वारा रचित) – यहाँ ‘स्व’ और ‘रचित’ के मेल से ‘स्वरचित’ बना है।

तत्पुरुष समास के भेद

तत्पुरुष समास के विभिन्न भेद होते हैं, जो उसकी संरचना और अर्थ को निर्धारित करते हैं। तत्पुरुष समास में पूर्वपद (पहला पद) और उत्तरपद (दूसरा पद) के बीच विभिन्न प्रकार के संबंध होते हैं। यहां तत्पुरुष समास के प्रमुख भेद दिए गए हैं:

  • कर्म तत्पुरुष
  • करण तत्पुरुष
  • संप्रदान तत्पुरुष
  • अपादान तत्पुरुष
  • संबंध तत्पुरुष
  • अधिकरण तत्पुरुष

कर्म तत्पुरुष (चिह्न-‘को’)

कर्म तत्पुरुष समास (चिह्न-‘को’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के क्रिया या कार्य का लाभार्थी होता है। यह समास अक्सर कर्म की दिशा या संबंध को स्पष्ट करता है और इसमें विशेष रूप से ‘को’ कारकीय चिह्न का उपयोग होता है।

समस्तपदविग्रह
राजपुत्रराजा को पुत्र
धर्मपथधर्म को पथ
विद्यार्थीशिक्षक को विद्यार्थी
गृहिणीगृह को पत्नी
स्वामीभक्तस्वामी को भक्त
सेवकस्वामी को सेवक
विद्यापतिविद्या को पति
कृषकभूमि को कृषक
साधकसाधना को साधक
तत्त्वज्ञतत्त्व को ज्ञानी
शिष्यगुरु को शिष्य
पुस्तकालयपुस्तक कोालय
संगीतज्ञसंगीत को ज्ञानी
कर्मचारीकाम को कर्मचारी
भक्तभगवान को भक्त
नगरपालिकानगर को पालिका
शोधकशोध को शोधक
उपभोक्तावस्तु को उपभोक्ता
विद्वान्विद्या को विद्वान्

करण तत्पुरुष (चिह्न-‘से’/के द्वारा’)

करण तत्पुरुष समास (चिह्न-‘से’ या ‘के द्वारा’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के क्रिया का करण (उपकरण या साधन) होता है। यह समास अक्सर यह दर्शाता है कि किसी कार्य को करने के लिए कौन सा साधन या उपाय प्रयोग किया गया है।

समस्तपदविग्रह
लेखनीलेखन के द्वारा
संगीतज्ञसंगीत के द्वारा ज्ञानी
वाक्यकारवाक्य के द्वारा रचनाकार
विचारकविचार के द्वारा विचारशील
दृष्टांतदृष्टि के द्वारा उदाहरण
यंत्रज्ञयंत्र के द्वारा ज्ञानी
चित्रकारचित्र के द्वारा कारक
संगीतकारसंगीत के द्वारा संगीतज्ञ
कविकविता के द्वारा कवि
लेखकलेखन के द्वारा लेखक
कर्मचारीकर्म के द्वारा कार्यकर्ता
कलाकारकला के द्वारा कलाकार
निर्मातानिर्माण के द्वारा बनानेवाला
विज्ञानीविज्ञान के द्वारा ज्ञानी
संस्कृतज्ञसंस्कृत के द्वारा ज्ञानी
साहित्यकारसाहित्य के द्वारा लेखक
विज्ञापनविज्ञापन के द्वारा प्रचार
संशोधकसंशोधन के द्वारा शोधकर्ता
निर्देशकनिर्देशन के द्वारा निर्देशक

संप्रदान तत्पुरुष (चिह्न- के लिए)

संप्रदान तत्पुरुष समास (चिह्न-‘के लिए’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के क्रिया का प्राप्तकर्ता या लाभार्थी होता है। यह समास यह दर्शाता है कि किसी कार्य का लाभ या प्राप्तकर्ता कौन है।

समस्तपदविग्रह
राजपाठराजा के लिए पथ
पुस्तकालयपुस्तक के लिए स्थान
स्वतंत्रतास्वतंत्रता के लिए
अनुग्रहकृपा के लिए अनुग्रह
दानपात्रदान के लिए पात्र
आशीर्वादआशीर्वाद के लिए
उपहारउपहार के लिए
विधायकविधान के लिए व्यक्ति
स्मारकस्मरण के लिए चिह्न
अभिभावकबच्चों के लिए अभिभावक
सिखावनशिक्षा के लिए शिक्षण
शिक्षकविद्यार्थियों के लिए शिक्षक
विज्ञापनप्रचार के लिए विज्ञापन
आविष्कारकआविष्कार के लिए निर्माता
सेवकस्वामी के लिए सेवक
कविकविता के लिए कवि
साहित्यकारसाहित्य के लिए लेखक
समाचारजानकारी के लिए समाचार
निर्देशकनिर्देशन के लिए निर्देशक
संगठकसंगठन के लिए आयोजक

अपादान तत्पुरुष ( चिन्ह-‘से’ अलग होने के अर्थ में)

अपादान तत्पुरुष समास (चिह्न-‘से’ अलग होने के अर्थ में) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) से अलग होने या उसके विपरीत स्थिति का संकेत करता है। इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद के बीच ऐसा संबंध होता है जिससे यह स्पष्ट होता है कि पूर्वपद उत्तरपद से अलग या असंबद्ध है।

समस्तपदविग्रह
असत्यसत्य से
अविवाहितविवाह से
अभ्यस्तअभ्यास से
अपराधीअपराध से
अधूरापूरा से
अज्ञानीज्ञान से
असाधारणसाधारण से
अनपढ़पढ़ाई से
अस्वस्थस्वास्थ्य से
अस्थायीस्थायी से
अपराधअपराध से
अकल्पनीयकल्पना से
अप्रतिस्पर्धीप्रतिस्पर्धा से
अधिकारहीनअधिकार से
अमूल्यमूल्य से
अभ्यस्तअभ्यास से
अशुद्धशुद्ध से
अधीनस्वतंत्रता से
असमर्थसमर्थ से

संबंध तत्पुरुष (चिह्न-‘का, के, की’)

संबंध तत्पुरुष समास (चिह्न-‘का, के, की’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के साथ संबंध या स्वामित्व को दर्शाता है। यह समास दर्शाता है कि पूर्वपद उत्तरपद का स्वामी है या किसी प्रकार का संबंध है।

समस्तपदविग्रह
राजमहलराजा का महल
पुस्तकालयपुस्तक का स्थान
गृहस्थगृह का निवासी
कविकविता का रचनाकार
विद्यालयविद्या का स्थान
शिक्षकशिक्षा का दाता
दवारोग का इलाज
विधायकविधान का प्रतिनिधि
कृषककृषि का कार्यकर्ता
मंत्रीमंत्रालय का सदस्य
उपदेशकउपदेश का देने वाला
शिष्यगुरु का छात्र
संवाददातासंवाद का देने वाला
साहित्यकारसाहित्य का लेखक
पैथोलॉजिस्टपैथोलॉजी का विशेषज्ञ
आविष्कारकआविष्कार का निर्माता
अधिकारअधिकार का स्वामी
व्याख्याताव्याख्यान का देने वाला
रचनाकाररचना का निर्माता

अधिकरण तत्पुरुष (चिह्न-‘में, ‘पर’)

अधिकरण तत्पुरुष समास (चिह्न-‘में’, ‘पर’) में पहला पद (पूर्वपद) दूसरे पद (उत्तरपद) के स्थान, समय, या स्थिति का निर्धारण करता है। यह समास यह दर्शाता है कि पूर्वपद उत्तरपद के स्थान, समय, या स्थिति में है या उससे संबंधित है।

समस्तपदविग्रह
विद्यालयस्कूल में स्थान
पुस्तकालयपुस्तक के स्थान
संगीतकारसंगीत में दक्ष
आवासघर में स्थान
संगीतसंगीत पर आधारित
पार्कपार्क में
समाचारसमाचार पर आधारित
केंद्रकेंद्र में
कोर्सकोर्स में
सप्ताहसप्ताह में
कार्यशालाकार्यशाला पर
सदस्यसमूह में सदस्य
मंचमंच पर
फुटपाथसड़क पर फुटपाथ
आयोजनआयोजन पर
परिवर्तनपरिवर्तन पर
रिसर्चरिसर्च में
समयसमय पर आधारित
नाटकनाटक पर आधारित

कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास

कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास (अर्थात्, अव्ययीभाव समास) में कोई विशेष चिह्न या विभक्तियों का उपयोग नहीं होता है। इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद मिलकर एक नया अर्थ उत्पन्न करते हैं, जिसमें पूर्वपद का उपयोग उत्तरपद के गुण, विशेषता या संबंध को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

समस्तपदविग्रह
असत्यन सत्य
राजपुत्रराजा का पुत्र
धर्मभ्रष्टधर्म से भ्रष्ट
भयमुक्तभय से मुक्त
तुलसीकृततुलसी द्वारा कृत
स्वलिखितस्वयं द्वारा लिखित
अदृश्यन दृष्ट
बालकनयनों का बालक
चन्द्रमाचन्द्र का मह
धनवानधन वाला

विभिन्न समासों में अंतर

विभिन्न समासों में अंतर को स्पष्ट करने के लिए, हम निम्नलिखित समासों की तुलना करेंगे: द्वन्द्व समास, कर्मधारय समास, बहुव्रीहि समास, और द्विगु समास।

कर्मधारय तथा द्विगु समास में अंतर

विषयकर्मधारय समासद्विगु समास
परिभाषाऐसे समास जिसमें पहला पद (पूर्वपद) दूसरा पद (उत्तरपद) के गुण, विशेषता या संबंध को दर्शाता है।ऐसा समास जिसमें दो संख्याओं या विशेषणों का मेल होता है और एक नया शब्द बनता है।
रचनासंज्ञा + विशेषण (जैसे: वृद्धगति), संज्ञा + संज्ञा (जैसे: गौपालक)संज्ञा + संज्ञा (जैसे: द्वादशानन), संज्ञा + विशेषण (जैसे: पञ्चबन्धु)
उदाहरणवृद्धगति (वृद्ध की गति), गौपालक (गाय पालने वाला)द्वादशानन (द्वादश + अनन), पञ्चबन्धु (पञ्च + बन्धु)
विशेषताकर्मधारय समास में पूर्वपद का अर्थ उत्तरपद की विशेषता को दर्शाता है और यह अक्सर गुणसूचक होता है।द्विगु समास में संख्याओं या विशेषणों का संयोजन करके एक नया अर्थ उत्पन्न होता है।
उपयोगगुणसूचकता, संबंध, या विशेषता को व्यक्त करने के लिएगणना, संख्या, या गुणसूचकता को व्यक्त करने के लिए
उत्पन्न अर्थपूर्वपद और उत्तरपद के गुण या विशेषता के योग से एक नया अर्थ प्राप्त होता है।दो संख्याओं या गुणसूचक विशेषणों के मेल से नया अर्थ उत्पन्न होता है।

द्विगु तथा बहुव्रीहि समास में अंतर

विषयद्विगु समासबहुव्रीहि समास
परिभाषादो संख्याओं या विशेषणों के मेल से एक नया शब्द बनता है।ऐसा समास जिसमें पूर्वपद से नए शब्द का अर्थ प्रकट होता है, लेकिन पूर्वपद का विशेषता उत्तरपद में नहीं होती।
रचनासंज्ञा + संज्ञा का मेल या संज्ञा + विशेषण का मेलसंज्ञा + विशेषण का मेल या संज्ञा + क्रिया का मेल
उदाहरणद्विगु समास: द्वादशानन (द्वादश + अनन), पञ्चबन्धु (पञ्च + बन्धु)बहुव्रीहि समास: अदृश्यपुरुष (जिसका पुरुष अदृश्य है), सुपरिचित (जो सु परिचित है)
विशेषताशब्दों की संख्या और गुणसूचकता को जोड़ने से नए अर्थ की प्राप्ति होती है।पूर्वपद से विशेष गुण या पहचान का स्पष्ट दर्शक होता है, परंतु उत्तरपद की विशेषता नहीं दर्शायी जाती।
उपयोगसंख्या या गुण सूचक संज्ञा के लिए उपयोगी, जैसे – द्विगुण (द्वि + गुण)विशेषता या गुण को व्यक्त करने के लिए, जैसे – पृथ्वीपुत्र (जो पृथ्वी का पुत्र है)
प्रकारसंज्ञा + संज्ञा (द्विगु), संज्ञा + विशेषण (द्विगु)संज्ञा + विशेषण (बहुव्रीहि), संज्ञा + क्रिया (बहुव्रीहि)
उत्पन्न अर्थगणना या गुणसूचकता का नया अर्थविशेषता या गुण का निर्धारण करने के लिए नए अर्थ का निर्माण

समास Worksheet

MCQs

तत्पुरुष समास किस प्रकार के समास में आता है?

A) कर्मधारय
B) द्विगु
C) तत्पुरुष
D) बहुव्रीहि

“राजपुत्र” शब्द में कौन सा समास है?

A) द्विगु
B) तत्पुरुष
C) अव्ययीभाव
D) कर्मधारय

“धर्मभ्रष्ट” शब्द का विग्रह क्या होगा?

A) धर्म + भ्रष्ट
B) धर्म + भर्ष्ट
C) भृष्ट + धर्म
D) धर्म + भ्रष्ट

“स्वरचित” शब्द किस प्रकार के तत्पुरुष समास का उदाहरण है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा

“भयमुक्त” शब्द किस प्रकार का समास है?

A) द्वंद्व
B) अव्ययीभाव
C) तत्पुरुष
D) कर्मधारय

“रेखांकित” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + कृदंत

“विद्यापति” शब्द का विग्रह क्या होगा?

A) विद्या + पति
B) विद्या + पति
C) विद्या + पत
D) विद्या + पट

“गृहिणी” शब्द किस प्रकार के तत्पुरुष समास का उदाहरण है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा

“उद्योगपति” शब्द का विग्रह क्या होगा?

A) उद्योग + पति
B) उद्योग + पति
C) उद्योग + पत
D) उद्योग + पट

“शोधकृत” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + कृदंत

“धर्मवीर” शब्द का विग्रह क्या होगा?

A) धर्म + वीर
B) धर्म + वीर
C) धर्म + वीर
D) धर्म + वीर

“स्वामीभक्त” शब्द किस प्रकार का समास है?

A) द्वंद्व
B) अव्ययीभाव
C) तत्पुरुष
D) कर्मधारय

“साधक” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा

“पुस्तकालय” शब्द का विग्रह क्या होगा?

A) पुस्तक + अली
B) पुस्तक + आलय
C) पुस्तक +ालय
D) पुस्तक + आलय

“शिष्य” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा

“तत्त्वज्ञ” शब्द का विग्रह क्या होगा?

A) तत्त्व + ज्ञानी
B) तत्त्व + ज्ञेय
C) तत्त्व + ज्ञात
D) तत्त्व + ज्ञाय

“विद्वान्” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा

“कृषक” शब्द में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा

“नगरपालिका” शब्द का विग्रह क्या होगा?

A) नगर + पालिका
B) नगर + पालिक
C) नगर + पलिका
D) नगर + पालिक

“संगीतज्ञ” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?

A) संज्ञा + संज्ञा
B) संज्ञा + विशेषण
C) संज्ञा + कृदंत
D) विशेषण + संज्ञा

समास पर 50 महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर 

प्रश्नउत्तर
समास क्या है?समास शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें पूर्वपद और उत्तरपद मिलकर एक नया अर्थ देते हैं।
समास के कितने प्रकार होते हैं?समास के छह प्रमुख प्रकार होते हैं: द्वंद्व समास, अव्ययीभाव समास, तत्पुरुष समास, बहुव्रीहि समास, कर्मधारय समास, और द्विगु समास।
“राजपुत्र” किस प्रकार का समास है?“राजपुत्र” द्वंद्व समास है।
“धर्मभ्रष्ट” का विग्रह क्या होगा?धर्म + भ्रष्ट
“स्वरचित” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?संज्ञा + कृदंत
“भयमुक्त” किस प्रकार का समास है?अव्ययीभाव समास
“रेखांकित” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?संज्ञा + कृदंत
“विद्यापति” शब्द का विग्रह क्या होगा?विद्या + पति
“गृहिणी” किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?संज्ञा + संज्ञा
“उद्योगपति” का विग्रह क्या होगा?उद्योग + पति
“शोधकृत” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?संज्ञा + कृदंत
“धर्मवीर” शब्द का विग्रह क्या होगा?धर्म + वीर
“स्वामीभक्त” किस प्रकार का समास है?तत्पुरुष समास
“साधक” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?संज्ञा + संज्ञा
“पुस्तकालय” शब्द का विग्रह क्या होगा?पुस्तक + आलय
“शिष्य” किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?संज्ञा + संज्ञा
“तत्त्वज्ञ” शब्द का विग्रह क्या होगा?तत्त्व + ज्ञानी
“विद्वान्” किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?संज्ञा + विशेषण
“कृषक” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?संज्ञा + संज्ञा
“नगरपालिका” शब्द का विग्रह क्या होगा?नगर + पालिका
“संगीतज्ञ” किस प्रकार का समास है?संज्ञा + संज्ञा
“राजगृह” किस प्रकार का समास है?संज्ञा + संज्ञा
“तुलसीकृत” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?संज्ञा + कृदंत
“संगठन” किस प्रकार का समास है?कर्मधारय समास
“पुस्तकालय” का विग्रह क्या होगा?पुस्तक + आलय
“नागरपालिका” किस प्रकार का समास है?संज्ञा + संज्ञा
“स्वतंत्रता” किस प्रकार का समास है?अव्ययीभाव समास
“उपभोक्ता” का विग्रह क्या होगा?वस्तु + उपभोक्ता
“कर्मधारय” समास में कौन सा पद विशेषण का कार्य करता है?पहला पद (पूर्वपद)
“गृहस्थ” शब्द किस प्रकार का समास है?संज्ञा + संज्ञा
“साधक” का विग्रह क्या होगा?साधना + क
“उदाहरण” किस प्रकार का समास है?अव्ययीभाव समास
“संगीतज्ञ” का विग्रह क्या होगा?संगीत + ज्ञानी
“अध्यापक” शब्द किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?संज्ञा + विशेषण
“विभाजन” किस प्रकार का समास है?कर्मधारय समास
“अधिकार” शब्द किस प्रकार का समास है?संज्ञा + संज्ञा
“पुस्तकालय” में कौन सा तत्पुरुष समास का प्रकार है?संज्ञा + संज्ञा
“पंथ” का विग्रह क्या होगा?धर्म + पंथ
“राज्य” शब्द किस प्रकार का समास है?संज्ञा + संज्ञा
“धर्मपालक” का विग्रह क्या होगा?धर्म + पालक
“मूल्यांकन” शब्द का विग्रह क्या होगा?मूल्य + आंकन
“उपकरण” किस प्रकार का समास है?कर्मधारय समास
“धर्मविरोधी” किस प्रकार का समास है?अव्ययीभाव समास
“मुख्य” शब्द का विग्रह क्या होगा?मुख + य
“विशेषज्ञ” शब्द किस प्रकार का समास है?संज्ञा + संज्ञा
“सृजनात्मक” शब्द का विग्रह क्या होगा?सृजन + आत्मक
“योजना” किस प्रकार का समास है?कर्मधारय समास
“समर्पण” शब्द किस प्रकार का समास है?अव्ययीभाव समास
“स्वीकृति” का विग्रह क्या होगा?स्वीकृत + इति
“गृहस्थ” का विग्रह क्या होगा?गृह + स्थ

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