अव्यय हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण तत्व है और हिंदी व्याकरण की सही समझ के लिए इसका ज्ञान आवश्यक है। अव्यय वे शब्द होते हैं जो वाक्य में अपने मूलरूप में रहते हैं और इन पर लिंग, वचन, पुरुष, या कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। स्कूली परीक्षाओं में अव्यय से संबंधित प्रश्न छोटे से लेकर बड़े अंकों तक पूछे जाते हैं, इसलिए इसका सही ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण होता है। हिंदी व्याकरण में संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण जैसे तत्व रूप बदलते रहते हैं, लेकिन अव्यय हर स्थिति में स्थिर रहते हैं। इस ब्लॉग में अव्यय को विस्तार से समझाया गया है, जिससे पाठक इसे बेहतर तरीके से जान सकें और व्याकरण की विभिन्न अवधारणाओं को समझ सकें।
अव्यय किसे कहते हैं?
अव्यय ऐसे शब्द होते हैं जो किसी भी रूप-परिवर्तन के बिना रहते हैं, अर्थात् इन शब्दों में लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता। अव्यय शब्द सदैव अपरिवर्तित और अविकारी होते हैं।
उदाहरण के लिए:
- सर्वनाम (जैसे ‘मैं’, ‘तुम’, ‘वह’)
- संबंधवाचक (जैसे ‘कि’, ‘जब’, ‘जहाँ’)
- संयोजक (जैसे ‘और’, ‘या’, ‘लेकिन’)
- अधिकरण (जैसे ‘में’, ‘पर’, ‘से’)
अव्यय की परिभाषा
अव्यय वे शब्द होते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता है। ये शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते हैं और कभी भी अपने रूप में परिवर्तन नहीं करते। इसलिए, अव्यय शब्द अविकारी होते हैं।
उदाहरण स्वरूप:
- संयोजक: और, या, लेकिन
- संबंधवाचक: कि, जब, जहाँ
- अधिकरण: में, पर, से
- विस्मयादिबोधक: वाह, हाय, अरे
अव्यय के उदाहरण
हिन्दी के अव्यय शब्द: जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।
संस्कृत के अव्यय: अद्य (आज), ह्यः (बीता हुआ कल), श्वः (आने वाला कल), परश्वः (परसों), अत्र (यहां), तत्र (वहां), कुत्र (कहां), सर्वत्र (सब जगह), यथा (जैसे), तथा (तैसे), कथम् (कैसे), सदा (हमेशा), कदा (कब), यदा (जब), तदा (तब), अधुना (अब), कदापि (कभी भी), पुनः (फिर), च (और), न (नहीं), वा (या), अथवा (या), अपि (भी), तु (लेकिन), शीघ्रम् (जल्दी), शनैः (धीरे), धिक् (धिक्कार), विना (बिना), सह (साथ), कुतः (कहाँ से), नमः (नमस्कार), स्वस्ति (कल्याण हो), किम् (क्या) आदि।
अव्यय शब्दों के वाक्य प्रयोग के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- अभी मैं काम कर रहा हूँ।
- वहाँ बहुत भीड़ है।
- उधर कोई गाड़ी आ रही है।
- कब तुम घर लौटोगे?
- क्यों तुम देर से आए?
- ठीक है, मैं समझ गया।
- अरे, तुम यहाँ कैसे?
- जब वह आएगा, तब हम शुरू करेंगे।
- तब हम घर पर थे।
- अभी तक कुछ नहीं हुआ है।
- कहाँ तुम जा रहे हो?
- यहीं बैठो, मैं आता हूँ।
- सदा उसे याद रखो।
- अथवा तुम यह ले लो।
- पुनः प्रयास करो।
- चूँकि तुम व्यस्त हो, मैं बाद में आता हूँ।
- सर्वत्र शांति है।
- नहीं, मुझे नहीं चाहिए।
- शिवाय इसके कुछ नहीं है।
- साथ चलो, हम साथ में घूमेंगे।
अव्यय के भेद
अव्यय शब्दों को पाँच प्रमुख भेदों में विभाजित किया जाता है:
- क्रिया विशेषण अव्यय
- संबंधबोधक अव्यय
- समुच्चयबोधक अव्यय
- विस्मयादिबोधक अव्यय
- निपात अव्यय
क्रियाविशेषण अव्यय किसे कहते हैं?
क्रियाविशेषण अव्यय वे अव्यय शब्द होते हैं जो क्रिया की विशेषता, गुणवत्ता, या स्थिति को व्यक्त करते हैं। ये अव्यय शब्द क्रिया को विशेष रूप से वर्णित करते हैं, जैसे- जल्दी, अचानक, कल, अब, धीरे, आदि।
उदाहरण:
- वह जल्दी आया।
- हमें अचानक कॉल आया।
- मैं कल स्कूल गया।
- गाड़ी धीरे चल रही है।
क्रिया विशेषण अव्यय के भेद
क्रिया विशेषण अव्यय के भेद निम्नलिखित हैं:
- कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
- स्थानवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
- परिमाणवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
- रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय वे अविकारी शब्द होते हैं जो किसी क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध कराते हैं। ये शब्द क्रिया के स्थान को निर्दिष्ट करते हैं।
उदाहरण:
- वह यहाँ बैठा है।
- गाड़ी वहाँ खड़ी है।
- हम नीचे जा रहे हैं।
- किताब सामने रखी है।
- बच्चे आगे खेल रहे हैं।
- कुर्सी ऊपर है।
- पत्रिका भीतर रखी है।
- बगीचा बाहर है।
कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय वे अविकारी शब्द होते हैं जो किसी क्रिया के होने का समय बतलाते हैं। इन शब्दों के माध्यम से हम क्रिया के समय को निर्दिष्ट करते हैं।
उदाहरण:
- परसों
- आज
- कल
- अभी
- पहले
- कभी
- जल्द
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय वे अविकारी शब्द होते हैं जो किसी क्रिया के परिमाण या संख्या का बोध कराते हैं। ये शब्द क्रिया की मात्रा या परिमाण को स्पष्ट करते हैं।
उदाहरण:
- बहुत
- थोड़ा
- अधिक
- कम
- अधिकतर
- पूरी तरह
- कुछ
- अधिकतर
रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय वे अविकारी शब्द होते हैं जो किसी क्रिया की रीति या तरीके का बोध कराते हैं। ये शब्द क्रिया के करने का तरीका या विधि बताते हैं।
उदाहरण:
- धीरे
- जल्दी
- सही
- बुरी तरह
- सावधानी से
- सही ढंग से
- मजे से
- ध्यानपूर्वक
संबंधबोधक अव्यय (Avyay) किसे कहते हैं?
संबंधबोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्द से दिखाते हैं। ये शब्द वाक्य में विभिन्न अंशों के बीच संबंध स्थापित करते हैं।
उदाहरण:
- कि (यह वही जगह है जहाँ हमने मुलाकात की थी।)
- जब (हम जब यहाँ आए थे, सब कुछ बदल चुका था।)
- जहाँ (वह जगह जहाँ हमें पहली बार मिले थे।)
- जिससे (वह व्यक्ति जिससे मैंने बात की थी, नहीं आया।)
संबंधबोधक अव्यय के भेद
संबंधबोधक अव्यय के भेद निम्नलिखित हैं:
- स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द किसी क्रिया या संज्ञा के स्थान को दर्शाते हैं। ये शब्द वाक्य में स्थान का बोध कराते हैं। उदाहरण- यहाँ, वहाँ, ऊपर, नीचे, सामने, बीच, आगे, पीछे, निकट
- दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द दिशा का बोध कराते हैं और वाक्य में दिशा संबंधी जानकारी प्रदान करते हैं। उदाहरण- ओर, समीप, तरफ, प्रति, निकट
- कालवाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द समय का बोध कराते हैं और वाक्य में समय या काल की जानकारी देते हैं। उदाहरण- पहले, बाद, उपरांत, अभी, कल
- साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द किसी क्रिया के साधन या माध्यम को व्यक्त करते हैं। उदाहरण- द्वारा, जरिये, सहा, माध्यम
- कारणवाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द किसी क्रिया के कारण या वजह को दर्शाते हैं। उदाहरण- कारण, हेतु, वास्ते, लिए
- सीमावाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द सीमा का बोध कराते हैं और वाक्य में किसी चीज़ की सीमा या अंत को दिखाते हैं। उदाहरण- तक, पर्यन्त, भर, मात्र
- विरोधसूचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द प्रतिकूलता या विरोध का बोध कराते हैं। उदाहरण- उल्टे, विरुद्ध, प्रतिकूल, विपरीत
- समतासूचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द समानता या तुलनात्मकता का बोध कराते हैं। उदाहरण- अनुसार, समान, जैसा, वैसा, तुल्य
- हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द कारण या अपवर्जन का बोध कराते हैं। उदाहरण- रहित, अथवा, सिवा, अतिरिक्त
- सहचरसूचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द सहचरता या साथ का बोध कराते हैं। उदाहरण- साथ, संग, समेत
- विषयवाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द किसी विशेष विषय का बोध कराते हैं। उदाहरण- विषय, बाबत, लेख
- संग्रहवाचक संबंधबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द संग्रह का बोध कराते हैं और किसी चीज़ के एकत्रित होने या सीमित होने का संकेत देते हैं। उदाहरण- समेत, भर, तक
समुच्चयबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
करने का कार्य करते हैं। ये अव्यय विभिन्न तत्वों के बीच समुच्चय (संबंध) का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- और: वह एक अच्छा विद्यार्थी और धैर्यवान भी है।
- तथा: आप यह काम पूरा कर लें तथा मुझे सूचित करें।
- या: आप चाय लीजिए या कॉफी, जैसे आपकी इच्छा हो।
- लेकिन: वह मेहनती है, लेकिन उसका परिणाम अच्छा नहीं आया।
समुच्चय बोधक अव्यय के भेद
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद इस प्रकार हैं:
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
- व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय वह अव्यय होते हैं जो दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं या अलग करते हैं। इन्हें विभिन्न भेदों में बांटा जा सकता है:
संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: यह अव्यय शब्द दो या अधिक वाक्यों, शब्दों या वाक्यांशों को जोड़ते हैं।
उदाहरण:
- और: राम और सीता पाठशाला जा रहे हैं।
- तथा: वह पुस्तकें पढ़ता है तथा चित्रकारी भी करता है।
- एवं: गणित एवं विज्ञान मेरे प्रिय विषय हैं।
विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द विभाजन या विकल्प का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- परन्तु: राम तो आया, परन्तु श्याम नहीं।
- या: तुम काम कर सकते हो या पढ़ाई।
- चाहे-चाहे: चाहे तुम जाओ, चाहे मैं जाऊँ।
विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द विकल्प या चयन का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- या: तुम काम कर सकते हो या पढ़ाई।
- अथवा: मैं जाऊँगा अथवा कैलाश जाएगा।
- अन्यथा: जल्दी चलो, अन्यथा देर हो जाएगी।
विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द विरोध या प्रतिकूलता का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- पर: श्याम ने उसे रोका था पर वह नहीं रुका।
- किन्तु: सोहन पाठशाला गया था किन्तु पहुँचा नहीं था।
- लेकिन: उसने कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली।
परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द दो उपवाक्यों को जोड़कर उनके परिणाम का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- अतः: मैं अंग्रेजी में दुर्बल हूँ, अतः आप मेरी सहायता करें।
- इसलिए: अब रात होने लगी है, इसलिए दोनों अपनी-अपनी जगह से उठे।
- फलस्वरूप: उसने मेहनत की, फलस्वरूप उसे सफलता मिली।
वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द अपने द्वारा जुड़ने वाले वाक्यों या वाक्यांशों में से एक को त्यागने का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- अथवा: तुमने अथवा उसने गेंद मारी है।
- या: क्या तुम चाय लोगे या कॉफी?
- न: न तुमने, न तुम्हारे भाई ने मेरी सहायता की।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय उन अव्ययों को कहते हैं जो किसी वाक्य के प्रधान से आश्रित उपवाक्यों को जोड़ते हैं। ये अव्यय वाक्य के विभिन्न हिस्सों के बीच सम्बन्ध स्थापित करते हैं और विभिन्न प्रकार के बोध प्रकट करते हैं। व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय के चार प्रमुख भेद होते हैं:
कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द वाक्य के पहले भाग के कारण को स्पष्ट करते हैं, या दूसरे भाग को पहली बात का समर्थन करते हैं।
उदाहरण:
- क्योंकि: तुम पर कोई भरोसा नहीं करता क्योंकि तुम झूठ बोलते हो।
- इसलिए कि: वह मुझे पसंद है इसलिए कि वह सुंदर है।
- चूँकि: चूँकि बारिश हो रही है, हम बाहर नहीं जा सकते।
ताकि: उसने मेहनत की ताकि परीक्षा में अच्छे अंक ला सके।
संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द घटना के संकेत या परिस्थिति की स्थिति का बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- यदि: यदि तुम पढ़ाई करोगे, तो परीक्षा में अच्छे अंक आ सकते हैं।
- तो: तुम मेहनत करो, तो सफलता मिल सकती है।
- यद्यपि: यद्यपि उसे बहुत काम था, वह आया।
- तथापि: मौसम खराब है, तथापि हम बाहर जा रहे हैं।
उद्देश्यसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द वाक्य के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हैं और बताते हैं कि किसी क्रिया का उद्देश्य क्या है।
उदाहरण:
- ताकि: वह मेरे पास आया था ताकि सहायता मांग सके।
- जिससे: जिससे माँ-बाप गर्व कर सकें, उसने कठिन मेहनत की।
- किंतु: तुम समय पर आओ किंतु हमें नुकसान होगा।
स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द वाक्य के मुख्य भाग का अर्थ स्पष्ट करते हैं और बताते हैं कि वह किस प्रकार की स्थिति या रूप में है।
उदाहरण:
- जैसे: वह इस तरह डर रहा है जैसे उसने ही चोरी की हो।
- अथवा: तुम्हारा उत्तर सही है अथवा तुम्हें ध्यान से देखना होगा।
- यानी: उन्होंने विजय प्राप्त की, यानी वे मुकाबले में सफल रहे।
विस्मयादिबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
विस्मयादिबोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो विभिन्न भावनाओं जैसे हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य, या भय को प्रकट करते हैं। ये शब्द विशेष रूप से भावनात्मक अभिव्यक्ति में प्रयोग होते हैं और अक्सर वाक्य में एक विशेष प्रकार के भाव को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
उदाहरण:
- अरे: अरे, यह तो कितना सुंदर है!
- वाह: वाह, आपने बहुत अच्छा काम किया है!
- हे: हे भगवान! यह क्या हो गया?
- ओह: ओह, मैं भूल गया था कि आज तुम्हारा जन्मदिन है।
- अफसोस: अफसोस, तुम वहां नहीं जा सके।
विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद
विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद निम्नलिखित हैं:
शोकबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो शोक, दुःख, या विपत्ति की स्थिति को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- हाय ! – किसी दुखद स्थिति पर शोक व्यक्त करने के लिए।
- बाप रे बाप ! – अत्यधिक दुःख या चिंता प्रकट करने के लिए।
- हे राम ! – बड़ी चिंता या दुख को व्यक्त करने के लिए।
- ओह ! – आकस्मिक दुःख या अप्रत्याशित घटना पर आश्चर्य या दुख।
- उफ़ ! – थकावट या निराशा को व्यक्त करने के लिए।
- त्राहि-त्राहि ! – अत्यधिक कष्ट या शोक प्रकट करने के लिए।
- आह ! – पीड़ा या दुख व्यक्त करने के लिए।
- हा ! – सामान्य दुःख या चिंता को व्यक्त करने के लिए।
तिरस्कारबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो तिरस्कार, अपमान, या घृणा को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- छि: ! – घृणा या तिरस्कार व्यक्त करने के लिए।
- थू-थू – अत्यधिक तिरस्कार या नफरत प्रकट करने के लिए।
- धिक्कार ! – तिरस्कार और आलोचना के लिए।
- हट ! – अस्वीकार और तिरस्कार के लिए।
- धिक् ! – तिरस्कार और अपमान के लिए।
- धत ! – चिढ़ और तिरस्कार व्यक्त करने के लिए।
- चुप ! – चुप रहने का आदेश और तिरस्कार के लिए।
स्वीकृतिबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो किसी बात या स्थिति की स्वीकृति या सहमति को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- अच्छा ! – स्वीकृति और समझ को व्यक्त करने के लिए।
- ठीक ! – सहमति और स्वीकार्यता के लिए।
- हाँ ! – सामान्य स्वीकृति और पुष्टि के लिए।
- जी हाँ ! – अधिक औपचारिक और जोर देकर स्वीकृति व्यक्त करने के लिए।
- बहुत अच्छा ! – अत्यधिक स्वीकृति और प्रशंसा के लिए।
- जी ! – छोटी स्वीकृति और आदर व्यक्त करने के लिए।
विस्मयादिबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो विस्मय, आश्चर्य, या अप्रत्याशितता को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- अरे ! – आश्चर्य या विस्मय व्यक्त करने के लिए।
- क्या ! – असामान्य या अप्रत्याशित स्थिति पर आश्चर्य व्यक्त करने के लिए।
- ओह ! – आश्चर्य या विस्मय प्रकट करने के लिए।
- सच ! – विश्वास और आश्चर्य व्यक्त करने के लिए।
- हैं ! – आश्चर्य या अविश्वास व्यक्त करने के लिए।
- ऐ ! – ध्यान आकर्षित करने या आश्चर्य व्यक्त करने के लिए।
- ओहो ! – विस्मय या आश्चर्य प्रकट करने के लिए।
- वाह ! – प्रशंसा और आश्चर्य व्यक्त करने के लिए।
संबोधनबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो किसी व्यक्ति को पुकारने या संबोधित करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
उदाहरण:
- हो ! – किसी को पुकारने या ध्यान आकर्षित करने के लिए।
- अजी ! – किसी को संबोधित करने के लिए, आमतौर पर आदर या चिढ़ के साथ।
- ओ ! – संबोधन या ध्यान आकर्षित करने के लिए।
- रे ! – किसी को चिढ़ाने या पुकारने के लिए।
- री ! – किसी महिला या लड़की को पुकारने के लिए।
- अरे ! – किसी का ध्यान आकर्षित करने या पुकारने के लिए।
- अरी ! – किसी महिला को पुकारने के लिए।
- हैलो ! – आधुनिक भाषा में सामान्य संबोधन के लिए।
- ऐ ! – ध्यान आकर्षित करने के लिए।
हर्षबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो हर्ष, खुशी, या प्रसन्नता को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- वाह-वाह ! – हर्ष और प्रशंसा व्यक्त करने के लिए।
- धन्य ! – हर्ष और आभार व्यक्त करने के लिए।
- अति सुन्दर ! – अत्यधिक प्रसन्नता और प्रशंसा व्यक्त करने के लिए।
- अहा ! – खुशी और संतोष व्यक्त करने के लिए।
- शाबाश ! – सफलता या अच्छे कार्य के लिए हर्ष प्रकट करने के लिए।
- ओह ! – खुशी या संतोष व्यक्त करने के लिए।
भयबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो भय, चिंता, या डर को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- बाप रे बाप ! – भय और चिंता प्रकट करने के लिए।
- ओह ! – भय या चिंता व्यक्त करने के लिए।
- हाय ! – चौंकने या डर प्रकट करने के लिए।
- उई माँ ! – अत्यधिक डर या चिंता प्रकट करने के लिए।
- त्राहि-त्राहि – अत्यधिक भय और चिंता प्रकट करने के लिए।
आशीर्वादबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो आशीर्वाद या शुभकामनाएँ व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- दीर्घायु हो ! – किसी की लंबी उम्र की शुभकामना देने के लिए।
- जीते रहो ! – शुभकामनाएँ और आशीर्वाद व्यक्त करने के लिए।
अनुमोदनबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो किसी बात या स्थिति की अनुमोदना या सहमति को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- हाँ, हाँ ! – किसी बात को सही मानने या स्वीकार करने के लिए।
- बहुत अच्छा ! – अनुमोदन और प्रशंसा के लिए।
- अवश्य ! – सहमति और स्वीकृति के लिए।
विदासबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो विदाई या अलविदा को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- अच्छा ! – विदाई का संकेत देने के लिए।
- अच्छा जी ! – विदाई या अलविदा के लिए।
- टा-टा ! – विदाई के लिए, खासकर जब इन्फॉर्मल स्थिति में उपयोग होता है।
विवशताबोधक अव्यय: ये अव्यय शब्द या ध्वनियाँ होती हैं जो विवशता, इच्छा या हसरत को व्यक्त करती हैं।
उदाहरण:
- काश ! – इच्छा या लाचारी व्यक्त करने के लिए।
- कदाचित् ! – असंभावना या आशंका प्रकट करने के लिए।
- हे भगवान ! – विवशता और चिंता व्यक्त करने के लिए।
निपात अव्यय किसे कहते हैं?
निपात अव्यय (Particles) उन शब्दों को कहते हैं जो वाक्य में विशेष अर्थ या भावनात्मक अभिव्यक्ति जोड़ते हैं, लेकिन स्वयं किसी वस्तु या क्रिया को संदर्भित नहीं करते। ये अव्यय वाक्य में विशेष अर्थ या संकेत जोड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं और वाक्य की संरचना को प्रभावित नहीं करते।
जैसे- ही,भी,तक।
निपात अव्यय के भेद
निपात अव्यय के भेद और उनके उपयोग निम्नलिखित हैं:
सकारात्मक निपात: ये अव्यय वाक्य में सकारात्मकता या सहमति प्रकट करते हैं।
उदाहरण:
- हाँ – “हाँ, मैं तुम्हारी बात मानता हूँ।”
- सही – “यह सही है।”
नकारात्मक निपात: ये अव्यय वाक्य में नकारात्मकता या असहमति प्रकट करते हैं।
उदाहरण:
- नहीं – “नहीं, मैं नहीं आऊँगा।”
- कभी नहीं – “मैं कभी नहीं भूलूँगा।”
निषेधात्मक निपात: ये अव्यय निषेध या मना करने का भाव प्रकट करते हैं।
उदाहरण:
- मत – “तुम मत जाओ।”
- नहीं – “यह नहीं करना चाहिए।”
प्रश्नबोधक निपात: ये अव्यय प्रश्न या पूछताछ का भाव प्रकट करते हैं।
उदाहरण:
- क्या – “क्या तुम आ रहे हो?”
- कहाँ – “कहाँ जा रहे हो?”
विस्मयादिबोधक निपात: ये अव्यय विस्मय, आश्चर्य या अन्य भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
उदाहरण:
- अरे – “अरे! ये क्या हुआ?”
- ओह – “ओह! कितनी सुंदर जगह है।”
बलदायक निपात: ये अव्यय वाक्य में बल, जोर या अतिरिक्तता को व्यक्त करते हैं।
उदाहरण:
- ही – “वह ही इस काम को करेगा।”
- सिर्फ – “सिर्फ तुम ही इसे समझ सकते हो।”
तुलनात्मक निपात: ये अव्यय तुलनात्मकता या तुलना का भाव प्रकट करते हैं।
उदाहरण:
- जैसे – “वह जैसे थे, वैसे ही हैं।”
- अधिक – “यह अधिक अच्छा है।”
अवधारणबोधक निपात: ये अव्यय अवधारण, स्थिति या सीमा को स्पष्ट करते हैं।
उदाहरण:
- तक – “रात तक मैं यहाँ रहूँगा।”
- अभी – “अभी मैं काम कर रहा हूँ।”
आदरबोधक निपात: ये अव्यय सम्मान, आदर या विनम्रता प्रकट करते हैं।
उदाहरण:
- जी – “जी हाँ, मुझे बताइए।”
- महोदय – “महोदय, कृपया ध्यान दें।”
संस्कृत के अव्यय
संस्कृत अव्यय | अर्थ |
अद्य | आज |
ह्यः | बीता हुआ कल |
श्वः | आने वाला कल |
परश्वः | परसों |
अत्र | यहां |
तत्र | वहां |
कुत्र | कहां |
सर्वत्र | सब जगह |
यथा | जैसे |
तथा | तथा |
कथम् | कैसे |
सदा | हमेशा |
कदा | कब |
यदा | जब |
तदा | तब |
अधुना | अब |
कदापि | कभी भी |
पुनः | फिर |
च | और |
न | नहीं |
वा | या |
अथवा | या |
अपि | भी |
तु | लेकिन, तो |
शीघ्रम् | जल्दी |
शनैः | धीरे |
धिक् | धिक्कार |
विना | बिना |
सह | साथ |
कुतः | कहां से |
नमः | नमस्कार |
स्वस्ति | कल्याण हो |
किम् | क्या (संदर्भ में), कहा |
Avyay Worksheet
आशा है कि आपको यह ब्लॉग “Avyay in Hindi” पसंद आया होगा। यदि आप कोट्स पर और ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं, तो iaspaper के साथ जुड़े रहें।
FAQs
अव्यय क्या होता है?
अव्यय वे शब्द होते हैं जिन पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ये शब्द वाक्य के अन्य अंशों से स्वतंत्र होते हैं और वाक्य के अर्थ को स्पष्ट करने या जोड़ने का काम करते हैं।
अव्यय के कितने प्रकार होते हैं?
संस्कृत में अव्यय के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि स्थानबोधक, कालबोधक, संबंधबोधक, प्रयोजनबोधक, आदि।
अव्यय की पहचान कैसे करें?
अव्यय की पहचान इसके लिंग, वचन, और कारक पर निर्भर न होने से की जाती है। ये शब्द सामान्यतः वाक्य के अर्थ को स्पष्ट करने, जोड़ने या पूछने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
अव्यय के उदाहरण क्या हैं?
कुछ सामान्य अव्यय उदाहरणों में ‘अद्य’ (आज), ‘श्वः’ (आने वाला कल), ‘यथा’ (जैसे), ‘च’ (और), ‘न’ (नहीं) आदि शामिल हैं।
अव्यय का प्रयोग वाक्य में कैसे होता है?
अव्यय वाक्य में जोड़ने, स्थान, काल, या स्थिति को स्पष्ट करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। जैसे, ‘अत्र’ (यहां) और ‘तत्र’ (वहां) स्थान को दर्शाते हैं।
अव्यय और अन्य शब्दों में क्या अंतर है?
अव्यय शब्द वाक्य के अन्य हिस्सों से स्वतंत्र होते हैं और इनका कोई वचन, लिंग, या कारक पर प्रभाव नहीं पड़ता। अन्य शब्दों पर ये प्रभाव पड़ता है।
कालबोधक अव्यय क्या होते हैं?
कालबोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो समय की स्थिति या काल को व्यक्त करते हैं, जैसे ‘अद्य’ (आज), ‘श्वः’ (आने वाला कल) आदि।
स्थानबोधक अव्यय के उदाहरण क्या हैं?
स्थानबोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो स्थान को दर्शाते हैं, जैसे ‘अत्र’ (यहां), ‘तत्र’ (वहां), ‘कुत्र’ (कहां) आदि।
प्रश्नबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
प्रश्नबोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो प्रश्न पूछने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, जैसे ‘कथम्’ (कैसे), ‘कदा’ (कब), ‘कुत्र’ (कहां) आदि।
निपात अव्यय और अन्य अव्यय में क्या अंतर है?
निपात अव्यय विशेष रूप से वाक्य में अतिरिक्त भाव या बल देने के लिए प्रयोग होते हैं, जैसे ‘भी’, ‘ही’, ‘सिर्फ’ आदि। अन्य अव्यय जैसे कालबोधक, स्थानबोधक, आदि विशेष अर्थ को व्यक्त करते हैं।