Atishyokti Alankar – आसान तरीके से समझें और पहचानें

वर्तमान समय में, स्कूलों, कॉलेजों, और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी व्याकरण और अलंकारों से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। इनमें प्रमुख अलंकार जैसे उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, मानवीकरण, अनुप्रास, यमक, और श्लेष बार-बार प्रश्नों का हिस्सा होते हैं। इन अलंकारों का अध्ययन करना न केवल काव्य और साहित्य की सुंदरता को समझने में सहायक होता है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता की कुंजी साबित हो सकता है।

अतिशयोक्ति अलंकार एक महत्वपूर्ण अलंकार है जिसका प्रयोग किसी वस्तु, व्यक्ति या गुण को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। इस अलंकार के माध्यम से लेखक या कवि किसी विशेषता को इतनी बड़ी और प्रभावशाली बना देते हैं कि वह सामान्य अनुभव से परे हो जाती है। उदाहरण के रूप में, “उसकी मुस्कान से चाँद भी शरमा जाता है” या “उसकी हँसी से आँगन भी गूँज उठता है” जैसे वाक्य अतिशयोक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन वाक्यों में वस्तुओं और गुणों की महानता को अतिशयोक्ति के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है।

अतिशयोक्ति अलंकार को समझकर और उसका अभ्यास करके, परीक्षार्थी न केवल अपनी भाषा की समझ को गहरा कर सकते हैं बल्कि परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं।

अतिश्योक्ति अलंकार क्या है?

अतिश्योक्ति अलंकार (Atishyokti Alankar) एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें वस्तु या विषय की महत्ता, महत्व या गुण का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया जाता है। यह अलंकार काव्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न करता है और पाठक या श्रोता को अधिक प्रभावित करता है। अतिशयोक्ति का तात्पर्य है किसी वस्तु या गुण की विशेषता को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करना।

उदाहरण के लिए, यदि कोई कवि कहता है “उसके हँसने से पूरा आकाश रोशन हो गया,” तो यह अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग है। यहाँ पर हँसने की इतनी अधिक महत्ता या प्रभाव को व्यक्त किया गया है कि वह आकाश को भी रोशन कर देता है, जो वास्तविकता से परे है लेकिन काव्य में एक विशेष प्रभाव उत्पन्न करता है।

इस प्रकार, अतिशयोक्ति अलंकार काव्य में भावनाओं और चित्रण की गहराई को बढ़ाता है और काव्य को अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनाता है।

अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा

अतिश्योक्ति अलंकार (Atishyokti Alankar) एक ऐसा अलंकार है जिसमें किसी व्यक्ति, वस्तु, या घटना का वर्णन अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता है। इसका उद्देश्य काव्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न करना और पाठक या श्रोता की कल्पना को उत्तेजित करना होता है। इसमें वर्णन की सीमा लोक समाज की सामान्य धारणाओं और मर्यादाओं से परे हो जाती है, जिससे वस्तु या घटना की महत्ता और प्रभाव को अत्यधिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है। अतिश्योक्ति अलंकार से काव्य में विशेष चमत्कार और आकर्षण उत्पन्न होता है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी के बारे में कहा जाए कि “उसकी मुस्कान से समस्त संसार खिल उठा,” तो यह अतिश्योक्ति अलंकार है क्योंकि यह मुस्कान की महत्ता और प्रभाव को वास्तविकता से कहीं अधिक बढ़ा-चढ़ाकर व्यक्त करता है।

अतिशयोक्ति अलंकार के भेद

अतिशयोक्ति अलंकार के विभिन्न भेद निम्नलिखित हैं:

  • रूपकातिशयोक्ति: इसमें किसी वस्तु या गुण का वर्णन उस रूपक या प्रतीक के माध्यम से किया जाता है जो सामान्य वास्तविकता से बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत होता है। उदाहरणस्वरूप, किसी की सुंदरता को इस प्रकार वर्णित किया जाता है जैसे कि वह ‘सपनों की रानी’ हो।
  • सं सम्बन्धातिशयोक्ति: इसमें वस्तु या घटना के संदर्भ में उसके संबंधित तत्वों को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाता है। जैसे कि किसी के समर्पण को इस तरह व्यक्त करना कि वह ‘संसार के सभी समर्पणों की तुलना में सर्वोच्च है’।
  • भेदकातिशयोक्ति: इसमें वस्तु या व्यक्ति के भेद या विशेषताओं को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ा कर वर्णित किया जाता है। जैसे कि एक नेता के नेतृत्व गुणों को इस तरह से प्रस्तुत करना कि वह ‘सभी नेताओं से सर्वश्रेष्ठ है’।
  • चपलातिशयोक्ति: इसमें किसी वस्तु या गुण के चपलता (विचलन) को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णित किया जाता है। जैसे कि किसी की दिमागी चपलता को इस प्रकार वर्णित किया जाता है कि वह ‘सबसे तेज और चतुर है’।
  • अतिक्रमातिशयोक्ति: इसमें किसी वस्तु या गुण की सीमा को पार करके उसका अत्यधिक वर्णन किया जाता है। जैसे कि किसी के साहस को इस प्रकार वर्णित करना कि ‘वह हर स्थिति में असंभव को भी संभव बना देता है’।
  • असंबन्धातिशयोक्ति: इसमें वस्तु या घटना के असंबंधित तत्वों को जोड़कर अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है। जैसे कि किसी की प्रसन्नता को इस प्रकार व्यक्त करना कि ‘उसकी खुशी से आकाश और पृथ्वी भी झिलमिला उठते हैं’।

अतिश्योक्ति अलंकार के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण 

उदाहरणव्याख्या
“उसकी आँखों की चमक से तारे भी फीके लगते हैं।”आँखों की चमक को अतिशयोक्ति के माध्यम से इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि तारे भी फीके लगते हैं।
“उसके दिल का प्यार समस्त सागर की गहराई से भी अधिक है।”दिल के प्यार को सागर की गहराई से अधिक बताया गया है, जिससे प्यार की विशालता को अत्यधिक रूप से दर्शाया गया है।
“उसकी मुस्कान से पूरा संसार रोशन हो जाता है।”मुस्कान के प्रभाव को इतना बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है कि वह पूरे संसार को रोशन कर देती है।
“उसका साहस पर्वतों को भी हिला सकता है।”साहस की शक्ति को पर्वतों को हिला देने के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कि वास्तविकता से परे है।
“उसकी आवाज इतनी जोरदार है कि आकाश भी गूंज उठता है।”आवाज की ताकत को इस प्रकार बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाया गया है कि आकाश भी उसकी आवाज से गूंज उठता है।
“उसके पैरों की धड़कन से धरती भी थर्रा उठती है।”कदमों की धड़कन को अतिशयोक्ति के माध्यम से इतना शक्तिशाली बताया गया है कि धरती भी थर्रा उठती है।
“उसकी हँसी से पूरा घर भर गया।”हँसी की खुशी और प्रभाव को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है कि वह पूरा घर भर जाती है।
“उसके चरणों की ध्वनि से महासागर भी लहराता है।”चरणों की ध्वनि को महासागर को लहराने जैसा प्रस्तुत किया गया है, जो कि अतिशयोक्ति है।
“उसका प्यार तो सूरज की किरणों से भी गर्म है।”प्यार की गर्मी को सूरज की किरणों से भी अधिक बताया गया है, जिससे प्यार की तीव्रता को दर्शाया गया है।
“उसकी आँखों की चमक से रात भी दिन की तरह हो जाती है।”आँखों की चमक को रात को दिन की तरह बनाने के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
“उसकी बातें सुनकर पत्ते भी हँसने लगते हैं।”बातें करने की क्षमता को इस प्रकार बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है कि पत्ते भी हँसने लगते हैं।
“उसकी मौज से बादल भी गरजने लगते हैं।”मौज की ताकत को बादल के गरजने के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कि अतिशयोक्ति है।
“उसका ज्ञान तो समुद्र की गहराई से भी अधिक है।”ज्ञान की गहराई को समुद्र की गहराई से अधिक बताया गया है, जिससे ज्ञान की विशालता को दर्शाया गया है।
“उसकी उपस्थिति से आँगन फूलों की तरह खिल उठता है।”उपस्थिति के प्रभाव को इस प्रकार बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है कि आँगन फूलों की तरह खिल उठता है।
“उसकी बातों से सूरज भी हँसने लगता है।”बातों की प्रभावशीलता को सूरज के हँसने के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कि अतिशयोक्ति है।
“उसका साहस पर्वतों की ऊँचाई को भी छू सकता है।”साहस को पर्वतों की ऊँचाई से भी अधिक बताते हुए उसकी शक्ति को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है।

अतिशयोक्ति अलंकार के अन्य उदाहरण

उदाहरणव्याख्या
“उसकी बातों से समुद्र भी हिल उठता है।”बातों की ताकत को इतना बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है कि समुद्र भी हिल जाता है।
“उसकी मुस्कान से चाँद भी शरमा जाता है।”मुस्कान की खूबसूरती को अतिशयोक्ति के माध्यम से इस रूप में प्रस्तुत किया गया है कि चाँद भी शरमा जाता है।
“उसके शब्दों की गूंज से पहाड़ भी टूट सकते हैं।”शब्दों की ताकत को इतनी प्रभावशाली बताया गया है कि वह पहाड़ों को भी तोड़ सकती है।
“उसकी आवाज से हवा भी थम जाती है।”आवाज की ताकत को इस प्रकार बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है कि हवा भी उसकी आवाज के प्रभाव से थम जाती है।
“उसका हंसना तो जन्नत की खुशी से भी अधिक है।”हंसने की खुशी को जन्नत की खुशी से भी अधिक बताया गया है, जो कि अतिशयोक्ति है।
“उसकी प्यारी बातों से आकाश भी चमक उठता है।”प्यारी बातों का प्रभाव इतना बढ़ा-चढ़ाकर व्यक्त किया गया है कि आकाश भी चमक उठता है।
“उसकी आँखों की गहराई से समस्त ब्रह्मांड भी कम लगता है।”आँखों की गहराई को ब्रह्मांड से भी अधिक बताया गया है, जिससे आँखों की गहराई को अतिशयोक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
“उसका प्यार इतना विशाल है कि आकाश भी उसकी छाँव में समा जाता है।”प्यार की विशालता को इस रूप में प्रस्तुत किया गया है कि आकाश भी उसकी छाँव में समा जाता है।
“उसकी उपस्थिति से धरती भी सज जाती है।”उपस्थिति के प्रभाव को इस प्रकार बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है कि धरती भी सज जाती है।
“उसके साहस से पर्वत भी डर के मारे कांप उठते हैं।”साहस की शक्ति को इस रूप में प्रस्तुत किया गया है कि पर्वत भी डर के मारे कांप उठते हैं।
“उसके आशीर्वाद से चाँद भी चाँदनी से भर जाता है।”आशीर्वाद के प्रभाव को इस रूप में प्रस्तुत किया गया है कि चाँद भी चाँदनी से भर जाता है।
“उसकी आँखों की चमक से सूरज भी झिलमिलाने लगता है।”आँखों की चमक को इस प्रकार बढ़ा-चढ़ाकर व्यक्त किया गया है कि सूरज भी झिलमिलाने लगता है।
“उसकी हँसी से आँगन भी गूँज उठता है।”हँसी की खुशी और प्रभाव को इस प्रकार व्यक्त किया गया है कि आँगन भी गूँज उठता है।
“उसके गीतों की मिठास से फूल भी शरमा जाते हैं।”गीतों की मिठास को इस रूप में बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है कि फूल भी शरमा जाते हैं।
“उसकी प्रशंसा से समस्त जगत भी लहालोट हो जाता है।”प्रशंसा के प्रभाव को इस रूप में प्रस्तुत किया गया है कि समस्त जगत भी लहालोट हो जाता है।

Atishyokti Alankar से जुड़े MCQs

अतिशयोक्ति अलंकार किस प्रकार के अलंकार से संबंधित है?

(a) शब्दालंकार
(b) अर्थालंकार
(c) रसालंकार
(d) रंगालंकार

सही उत्तर: (b) अर्थालंकार

“उसकी आँखों की चमक से तारे भी फीके लगते हैं।” में किस प्रकार का अलंकार है?

(a) रूपकातिशयोक्ति
(b) सम्बन्धातिशयोक्ति
(c) अतिक्रमातिशयोक्ति
(d) चपलातिशयोक्ति

सही उत्तर: (a) रूपकातिशयोक्ति

निम्नलिखित में से कौन सा वाक्य अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण नहीं है?

(a) “उसका साहस पर्वतों को भी हिला सकता है।”
(b) “उसकी बातों से समुद्र भी हिल उठता है।”
(c) “उसके पास सुंदरता की कमी है।”
(d) “उसकी हँसी से आँगन भी गूँज उठता है।”

सही उत्तर: (c) “उसके पास सुंदरता की कमी है।”

“उसकी उपस्थिति से धरती भी सज जाती है।” में किस प्रकार का अतिशयोक्ति अलंकार प्रयोग किया गया है?

(a) भेदकातिशयोक्ति
(b) चपलातिशयोक्ति
(c) असम्बन्धातिशयोक्ति
(d) अतिक्रमातिशयोक्ति

सही उत्तर: (d) अतिक्रमातिशयोक्ति

अतिशयोक्ति अलंकार का मुख्य उद्देश्य क्या है?

(a) कविता में रिदम जोड़ना
(b) शब्दों का खेल करना
(c) भावनाओं और चित्रण को बढ़ाना
(d) लय और गेयता बढ़ाना

सही उत्तर: (c) भावनाओं और चित्रण को बढ़ाना

“उसके शब्दों की गूंज से पहाड़ भी टूट सकते हैं।” में किस प्रकार का अतिशयोक्ति अलंकार है?

(a) रूपकातिशयोक्ति
(b) सम्बन्धातिशयोक्ति
(c) चपलातिशयोक्ति
(d) असम्बन्धातिशयोक्ति

सही उत्तर: (b) सम्बन्धातिशयोक्ति

“उसकी मुस्कान से चाँद भी शरमा जाता है।” में किस प्रकार का अतिशयोक्ति अलंकार प्रयोग किया गया है?

(a) रूपकातिशयोक्ति
(b) अतिक्रमातिशयोक्ति
(c) चपलातिशयोक्ति
(d) असम्बन्धातिशयोक्ति

सही उत्तर: (a) रूपकातिशयोक्ति

“उसकी हँसी से आँगन भी गूँज उठता है।” का मुख्य उद्देश्य क्या है?

(a) हँसी के प्रभाव को बढ़ाना
(b) आँगन की स्थिति को व्यक्त करना
(c) हँसी की कमी को दर्शाना
(d) आँगन की सजावट को बताना

सही उत्तर: (a) हँसी के प्रभाव को बढ़ाना

“उसका प्यार इतना विशाल है कि आकाश भी उसकी छाँव में समा जाता है।” में किस प्रकार का अलंकार प्रयोग किया गया है?

(a) भेदकातिशयोक्ति
(b) चपलातिशयोक्ति
(c) अतिक्रमातिशयोक्ति
(d) असम्बन्धातिशयोक्ति

सही उत्तर: (c) अतिक्रमातिशयोक्ति

“उसके गीतों की मिठास से फूल भी शरमा जाते हैं।” में किस प्रकार का अतिशयोक्ति अलंकार है?

(a) रूपकातिशयोक्ति
(b) सम्बन्धातिशयोक्ति
(c) चपलातिशयोक्ति
(d) असम्बन्धातिशयोक्ति

सही उत्तर: (b) सम्बन्धातिशयोक्ति

आशा है कि आपको यह ब्लॉग “Atishyokti Alankar ke Udaharan” पसंद आया होगा। यदि आप कोट्स पर और ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं, तो iaspaper के साथ जुड़े रहें।

FAQs 

अतिशयोक्ति अलंकार क्या है?

अतिशयोक्ति अलंकार वह अलंकार है जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति का वर्णन अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता है। इसमें वास्तविकता से परे जाकर गुण, विशेषताएँ या प्रभावों को अतिशयोक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

अतिशयोक्ति अलंकार का मुख्य उद्देश्य क्या है?

अतिशयोक्ति अलंकार का मुख्य उद्देश्य काव्य या साहित्य में भावनाओं और चित्रण की गहराई और प्रभाव को बढ़ाना है। यह पाठक या श्रोता के मन पर गहरा प्रभाव डालता है।

अतिशयोक्ति अलंकार के कितने प्रकार होते हैं?

अतिशयोक्ति अलंकार के मुख्यतः छह प्रकार होते हैं:
रूपकातिशयोक्ति
सम्बन्धातिशयोक्ति
भेदकातिशयोक्ति
चपलातिशयोक्ति
अतिक्रमातिशयोक्ति
असम्बन्धातिशयोक्ति

“उसकी मुस्कान से चाँद भी शरमा जाता है।” में किस प्रकार का अतिशयोक्ति अलंकार है?

यह वाक्य रूपकातिशयोक्ति का उदाहरण है, जिसमें मुस्कान की खूबसूरती को चाँद की तुलना से अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है।

“उसके शब्दों की गूंज से पहाड़ भी टूट सकते हैं।” का क्या अर्थ है?

इस वाक्य में शब्दों की ताकत और प्रभाव को अतिशयोक्ति के माध्यम से व्यक्त किया गया है कि शब्दों की गूंज इतनी शक्तिशाली है कि वह पहाड़ों को भी तोड़ सकती है।

“उसकी हँसी से आँगन भी गूँज उठता है।” में किस प्रकार का अतिशयोक्ति अलंकार है?

यह सम्बन्धातिशयोक्ति का उदाहरण है, जिसमें हँसी की खुशी और प्रभाव को इस रूप में प्रस्तुत किया गया है कि आँगन भी गूँज उठता है।

अतिशयोक्ति अलंकार का उपयोग कहाँ किया जाता है?

अतिशयोक्ति अलंकार का उपयोग काव्य, साहित्य, गीत, और भाषणों में किया जाता है ताकि भावनाओं और विचारों को प्रभावशाली और प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।

“उसका प्यार इतना विशाल है कि आकाश भी उसकी छाँव में समा जाता है।” में किस प्रकार का अतिशयोक्ति अलंकार है?

यह अतिक्रमातिशयोक्ति का उदाहरण है, जिसमें प्यार की विशालता को आकाश की छाँव से भी अधिक बताया गया है।

क्या अतिशयोक्ति अलंकार का उपयोग केवल काव्य में ही होता है?

नहीं, अतिशयोक्ति अलंकार का उपयोग केवल काव्य में ही नहीं बल्कि भाषण, लेख, और अन्य साहित्यिक रचनाओं में भी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

अतिशयोक्ति अलंकार की पहचान कैसे की जाती है?

अतिशयोक्ति अलंकार की पहचान इस बात से की जाती है कि वर्णित विशेषताओं, गुणों, या प्रभावों को वास्तविकता से परे बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है, जिससे कि उनकी शक्ति और प्रभाव को अधिक संवेदनशील और स्पष्ट किया जा सके।

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