Anupras Alankar – परिचय, भेद और आसान उदाहरण

अलंकार का अर्थ होता है “आभूषण”। जैसे आभूषण एक स्त्री के सौंदर्य में वृद्धि करते हैं, वैसे ही अलंकार कविता की सुंदरता को बढ़ाते हैं। इन्हें विद्वानों ने अलंकार नाम दिया है क्योंकि ये कविता को लयात्मकता और आकर्षण प्रदान करते हैं। वर्तमान समय में, स्कूलों, कॉलेजों और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी व्याकरण और अलंकारों से संबंधित प्रश्न सामान्य रूप से पूछे जाते हैं। अलंकार मुख्य रूप से आठ प्रकार के होते हैं: उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिश्योक्ति, मानवीकरण, अनुप्रास, यमक और श्लेष। इस ब्लॉग में अनुप्रास अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। अनुप्रास अलंकार तब होता है जब किसी वाक्य या कविता में समान ध्वनि वाले वर्णों की आवृत्ति होती है, जिससे कविता में संगीतात्मकता और लय प्राप्त होती है। यह जानकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में आपके लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगी।

अनुप्रास अलंकार क्या है?

अनुप्रास अलंकार का होना किसी काव्य रचना में तब पाया जाता है जब किसी वर्ण (अक्षर) की बार-बार आवृत्ति होती है, जिससे कविता में एक मधुर ध्वनि और सौंदर्य उत्पन्न होता है। अनुप्रास अलंकार में शब्दों के अर्थ की बजाय ध्वनि की प्रमुखता होती है। 

उदाहरण के लिए:

“चलता चक्की देख के, दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय।”

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा (Anupras Alankar)

अनुप्रास अलंकार काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण अलंकार है, जिसका उपयोग कविता की ध्वनि-सौंदर्य को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह शब्द “अनु” और “प्रास” से मिलकर बना है, जिसमें “अनु” का अर्थ है आवृत्ति या पुनरावृत्ति और “प्रास” का अर्थ है वर्ण या अक्षर। सरल शब्दों में, अनुप्रास अलंकार तब होता है जब किसी कविता या छंद में एक ही ध्वनि या वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती है, जिससे उस कविता में एक विशेष लय, मधुरता और सौंदर्य उत्पन्न होता है।

अनुप्रास अलंकार का उद्देश्य कविता को ध्वन्यात्मक रूप से आकर्षक बनाना होता है। इसमें किसी विशेष व्यंजन या स्वर की पुनरावृत्ति होती है, जो कविता के अर्थ को अधिक स्पष्ट और प्रभावी बनाती है। इसके माध्यम से कविता में ध्वनि के माध्यम से एक विशेष ताल या गति का निर्माण होता है, जो पाठक या श्रोता के मन को अधिक प्रभावित करता है।

उदाहरण के लिए:

“वह देखो जल में जलन है, जलधि में भी जलाल।
जल की जलन बुझाए कैसे, हो जलनेवाला हाल?”

इस उदाहरण में “जल” ध्वनि की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार उत्पन्न हो रहा है। यहाँ “जल” का बार-बार प्रयोग कविता की लय और प्रभाव को बढ़ा रहा है।

अनुप्रास अलंकार के भेद

अनुप्रास अलंकार के मुख्यत: 5 भेद होते हैं : 

  1. छेकानुप्रास अलंकार
  2. वृत्यनुप्रास अलंकार
  3. लाटानुप्रास अलंकार
  4. अनन्त्यानुप्रास अलंकार
  5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार

छेकानुप्रास अलंकार

छेकानुप्रास अलंकार (Consonantal Alliteration) तब होता है जब किसी वाक्यांश में अनुक्रमिक रूप से अनेक व्यंजनों की आवृत्ति एक बार होती है। इस अलंकार में व्यंजनों का उपयोग उसी अनुक्रम में किया जाता है, जिससे एक लयात्मकता और ध्वनि की सौंदर्यता होती है।

उदाहरण: 

  • “रात रानी की रौशनी में, रंग बिखरे हैं बेमिसाल।”

वृत्यनुप्रास अलंकार

वृत्यनुप्रास अलंकार (Alliteration) तब होता है जब किसी वाक्यांश में एक ही व्यंजन की आवृत्ति होती है, यानी एक ही ध्वनि का बार-बार उपयोग होता है। इस अलंकार में व्यंजन वर्णों की आवृत्ति स्वरूपतः होती है, क्रमतः नहीं। इसका उद्देश्य ध्वनि की सुंदरता और लयात्मकता को बढ़ाना है।

उदाहरण:

  • “सपने सजाते हैं, सपनों में सजीव साक्षात्कार।”

लाटानुप्रास अलंकार

लाटानुप्रास अलंकार (Pun) तब होता है जब किसी कविता या वाक्य में शब्द या वाक्यांश की आवृत्ति होती है, लेकिन उनके अर्थ या भाव में भिन्नता होती है। यह अलंकार शब्दों के दोगुने अर्थ या विभिन्न भावनाओं को उजागर करता है, जिससे साहित्यिक अभिव्यक्ति और भी समृद्ध होती है।

उदाहरण:

  • “सूरज की किरणों से चमकती धरती, धरती की गोद में खिलते फूल।”

अनन्त्यानुप्रास अलंकार

अन्त्यानुप्रास अलंकार (Rhyme) तब होता है जब किसी वाक्य या शब्द के अंत में तुक मिलती है, अर्थात् एक समान ध्वनि का प्रयोग होता है। यह अलंकार कविता या गीत में ध्वनि के मेल को बढ़ाता है और उसे अधिक आकर्षक बनाता है। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

उदाहरण:

“नदिया की धारा, बहती जाए।
प्रेम की भाषा, सबको भाए।”

श्रुत्यानुप्रास अलंकार

श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Euphony) तब होता है जब कविता या लेख में ऐसे वर्णों की आवृत्ति होती है जो कानों को मधुर और सुखद लगते हैं। यह अलंकार शब्दों की ध्वनियों की सुखदता पर आधारित होता है, जिससे कविता की ध्वन्यात्मक सुंदरता बढ़ जाती है।

उदाहरण:

  • “बदली-बदली छाई चाँदनी, चाँदनी चुराई दिल को।”

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण अर्थ सहित

उदाहरणअर्थ
चाँदनी चाँद पर चाँदनी छाईचाँदनी का चमक चाँद पर फैल गई है।
प्यारे पंख पंखुडियों पे पसरेप्यारे पंख फूल की पंखुड़ियों पर बिछे हुए हैं।
सूरज की सनसनी से सजी सुबहसूरज की रोशनी से सुबह बहुत खूबसूरत हो गई है।
खगों की कथा कबीरा कहेपक्षियों की कहानी कबीरा ने कही है।
मधुर मनोहर मनमोहक मोतीसुंदर और आकर्षक मोती।
सुंदरता की सौगात संजोईसुंदरता की अनमोल भेंट संजोई हुई।
तारों की तान ताने बगियातारों की खनक बगिया में गूंज रही है।
रात का रंग रहस्यमयी रूपरात का रंग एक रहस्यमयी रूप धारण करता है।
रंग-बिरंगे रेशमी रुमालरंग-बिरंगे रेशमी कपड़े के रुमाल।
सपनों की संगीनी सुंदर सेसपनों की प्यारी संगिनी सुंदर है।
गीतों की गूंज गहरी गुफा मेंगीतों की आवाज गहरी गुफा में गूंज रही है।
फूलों की फिजा फसलों मेंफूलों की खुशबू फसलों के बीच में फैली हुई है।
चंचल चिड़ियाँ चहक रही हैंचंचल चिड़ियाँ खुशी से चहक रही हैं।
रंगों की रागनी रंगीन रूमालरंगों की संगीतात्मकता रंगीन रुमाल पर दिखती है।
नदी की नर्म नर्म धारानदी की कोमल धारा।
प्रेम का प्याला पिया मन नेमन ने प्रेम का प्याला पी लिया है।
सपनों की सहेली सुंदरसपनों की प्यारी और सुंदर सहेली।
मधुर मिलन की मीठी बातेंमधुर मिलन के समय की मीठी बातें।
वो हरियाली हर दिल को हरासहरियाली हर दिल को आकर्षित करती है।
मधुर मनोहर मनमोहक दृश्यसुंदर और आकर्षक दृश्य।
सूरज की संजीवनी सौरभसूरज की ताजगी और खुशबू।
संग-संग संगीनी संगणसंग-संग संगणी का साथ।
चाँदनी की चमक चाँद परचाँदनी की चमक चाँद पर पड़ती है।
कलियों की खूबसूरती की कशिशकलियों की सुंदरता की आकर्षण।
सपनों के संग संग सांझसपनों के साथ सांझ का मिलन।
रात का रंग रहस्यमयीरात का रंग एक रहस्यमयी स्वरूप प्रस्तुत करता है।
सपनों की सोहबत सुंदरसपनों की संगत बहुत सुंदर है।
धूप की दुलार भरी डालीधूप की गर्माहट भरी डाली।
फूलों की फिजा फरेबफूलों की सुगंध झूठा आकर्षण पैदा करती है।

आशा है कि आपको यह ब्लॉग “Anupras Alankar” पसंद आया होगा। यदि आप कोट्स पर और ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं, तो iaspaper के साथ जुड़े रहें।

FAQs 

छेकानुप्रास अलंकार क्या होता है?

छेकानुप्रास अलंकार तब होता है जब किसी वाक्यांश में अनुक्रमिक रूप से अनेक व्यंजनों की आवृत्ति एक बार होती है। इसमें व्यंजनों का वही अनुक्रम उपयोग में लाया जाता है, जिससे ध्वनि की लयात्मकता उत्पन्न होती है।

वृत्यनुप्रास अलंकार का उदाहरण क्या है?

वृत्यनुप्रास अलंकार में एक ही व्यंजन की आवृत्ति होती है। उदाहरण: “सपनों की सच्चाई” – यहाँ ‘स’ ध्वनि की आवृत्ति है।

श्रुत्यानुप्रास अलंकार क्या है?

श्रुत्यानुप्रास अलंकार तब होता है जब कानों को मधुर लगने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है। इसमें वर्णों की ध्वनि की मधुरता और सुमधुरता प्रमुख होती है।

अन्त्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण क्या हैं?

अन्त्यानुप्रास अलंकार तब होता है जब किसी वाक्य या शब्द के अंत में तुक मिलती है। उदाहरण: “चाँदनी रात में चमकती चाँदनी।”

लाटानुप्रास अलंकार कैसे काम करता है?

लाटानुप्रास अलंकार में एक ही शब्द या वाक्यांश की आवृत्ति होती है, लेकिन उनके अर्थ या भाव में भिन्नता होती है। उदाहरण: “पानी की प्यास बुझाओ, प्यास की राहत लाओ।”

छेकानुप्रास अलंकार का उपयोग क्यों किया जाता है?

छेकानुप्रास अलंकार का उपयोग ध्वनि की लयात्मकता और सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह पाठ को संगीतात्मक और आकर्षक बनाता है।

वृत्यनुप्रास अलंकार में किस प्रकार की ध्वनि का उपयोग होता है?

वृत्यनुप्रास अलंकार में एक ही व्यंजन की आवृत्ति होती है। इस अलंकार में ध्वनि का निरंतरता और विशेषता बढ़ाई जाती है।

श्रुत्यानुप्रास अलंकार के लिए कौन से वर्ण अधिक महत्वपूर्ण होते हैं?

श्रुत्यानुप्रास अलंकार के लिए वे वर्ण महत्वपूर्ण होते हैं जो कानों को मधुर लगते हैं, जैसे स्वर और कुछ विशेष व्यंजन।

अन्त्यानुप्रास अलंकार का महत्व क्या है?

अन्त्यानुप्रास अलंकार का महत्व यह है कि यह कविता या वाक्य में एक तुक और लयात्मकता प्रदान करता है, जिससे पढ़ने या सुनने में आनंद आता है।

लाटानुप्रास अलंकार के किस प्रकार के उदाहरण होते हैं?

लाटानुप्रास अलंकार के उदाहरण उन वाक्यों में होते हैं जहाँ एक ही शब्द या वाक्यांश की आवृत्ति होती है, लेकिन उनका अर्थ अलग-अलग होता है। उदाहरण: “सपनों की बातें, हकीकत की बातें।”

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Scroll to Top