हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन के लिए हिंदी वर्णमाला का ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिंदी वर्णमाला, जिसे हिंदी Varnamala भी कहा जाता है, एक प्रणाली है जिसमें हिंदी के सभी अक्षर व्यवस्थित होते हैं। इसमें स्वर और व्यंजन दोनों शामिल होते हैं, जो मिलकर शब्दों और वाक्यों का निर्माण करते हैं। हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं। स्वर वे अक्षर होते हैं जिनका उच्चारण स्वायत्त रूप से होता है, जबकि व्यंजन वे अक्षर हैं जिनके उच्चारण के लिए स्वर की आवश्यकता होती है। इस ब्लॉग में हम हिंदी वर्णमाला की संरचना, इसके अक्षरों की संख्या, और स्वर-व्यंजन के बारे में विस्तार से जानेंगे।
वर्णमाला किसे कहते हैं?
वर्णमाला एक ऐसी प्रणाली है जिसमें भाषा के अक्षरों को व्यवस्थित रूप से क्रमबद्ध किया जाता है। यह व्यवस्था भारतीय भाषाओं में स्वर और व्यंजन के वर्गीकरण पर आधारित होती है। स्वर वे अक्षर होते हैं जिनके उच्चारण में कोई अवरोध नहीं होता, जैसे अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। ये अक्षर स्वतंत्र रूप से उच्चारित होते हैं और उनकी ध्वनि में किसी प्रकार की रुकावट नहीं होती।
वर्णमाला में व्यंजन वे अक्षर होते हैं जिनके उच्चारण में स्वर के साथ कुछ अवरोध होता है, जैसे क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह। व्यंजन सामान्यतः स्वर के साथ मिलकर शब्दों का निर्माण करते हैं और विभिन्न ध्वनियों का संयोजन बनाते हैं। वर्णमाला की व्यवस्था भाषा की मानकीकरण और सही उच्चारण को सुनिश्चित करती है। यह लेखन और पढ़ाई में सुविधा प्रदान करती है, जिससे भाषा के विभिन्न स्वर और व्यंजन आसानी से समझे और प्रयोग किए जा सकते हैं। इसके माध्यम से भाषा का प्रभावी संचार संभव होता है और शिक्षा के क्षेत्र में मानकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होती है।
हिंदी वर्णमाला के प्रकार
हिंदी वर्णमाला के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं:
- स्वर (Vowels)
- व्यंजन (Consonants)
स्वर
हिंदी वर्णमाला में स्वर (Vowels) भाषा के महत्वपूर्ण अंग होते हैं, जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है और इन्हें किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती। स्वर भाषा की ध्वनि और अर्थ को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हिंदी वर्णमाला में वर्तमान में स्वरों की कुल संख्या 11 है। हालांकि, पहले स्वरों की संख्या 14 थी, जिसमें ऋ और लृ दोनों शामिल थे। वर्तमान में, हिंदी में स्वरों की संख्या निम्नलिखित है:
स्वर | मात्रा |
अ | – |
आ | ा |
इ | ि |
ई | ी |
उ | ु |
ऊ | ू |
ऋ | ृ |
ए | े |
ऐ | ै |
ओ | ो |
औ | ौ |
स्वर के प्रकार
हिंदी वर्णमाला में स्वर के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं, जिन्हें उनके उच्चारण की अवधि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:
- ह्रस्व स्वर (Short Vowels)
- दीर्घ स्वर (Long Vowels)
- प्लुत स्वर (Extended Vowels)
ह्रस्व स्वर (Short Vowels)
ह्रस्व स्वर वे स्वरों होते हैं जिनके उच्चारण में कम समय लगता है, लगभग एक मात्रा के बराबर। ये स्वरों के सबसे संक्षिप्त और तेजी से बोले जाने वाले रूप होते हैं। हिंदी में ह्रस्व स्वर निम्नलिखित हैं:
स्वर | उदाहरण शब्द |
अ | अमर, अदरक |
इ | इमली, इंग्लिश |
उ | उम्र, उमस |
दीर्घ स्वर (Long Vowels)
दीर्घ स्वर वे स्वरों होते हैं जिनके उच्चारण में एक ह्रस्व स्वर के मुकाबले अधिक समय लगता है, लगभग दो मात्राओं के बराबर। ये स्वरों के लंबे और स्पष्ट उच्चारण वाले रूप होते हैं। हिंदी में दीर्घ स्वर निम्नलिखित हैं:
स्वर | उदाहरण शब्द |
आ | आम, आसमान |
ई | ईश्वर, ईंट |
ऊ | ऊँट, ऊर्जा |
ऋ | ऋण, ऋतु |
ए | एक, केक |
ऐ | ऐसा, ऐनक |
ओ | ओस, नौसिखिया |
औ | और, औषधि |
प्लुत स्वर (Extended Vowels)
प्लुत स्वर वे स्वरों होते हैं जिनके उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है, लगभग तीन मात्राओं के बराबर। प्लुत स्वर का प्रयोग विशेष रूप से अभिव्यक्ति या उत्तेजना के समय किया जाता है। हिंदी में प्लुत स्वर का उदाहरण निम्नलिखित हैं:
स्वर | उदाहरण शब्द |
अ | अरे, बाप रे! |
ई | रे मोहना! |
स्वरों का वर्गीकरण
हिंदी व्याकरण में स्वरों का वर्गीकरण उनके विभिन्न गुणों और उच्चारण की विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। निम्नलिखित तालिकाओं में इन वर्गीकरणों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है:
जिह्वा की ऊचाई के आधार पर
वर्गीकरण | स्वर | उदाहरण |
विवृत | आ | आम, आराम |
अर्द्ध विवृत | ऐ, औ | ऐनक, और |
अर्द्ध संवृत | ए, ओ | एक, सो |
संवृत | इ, ई, उ, ऊ | इमली, ईश्वर, उम्र, ऊँट |
जिह्वा की उत्थापित भाग के आधार पर
वर्गीकरण | स्वर | उदाहरण |
अग्रस्वर | इ, ई, ए, ऐ | इमली, ईश्वर, एक, ऐसा |
मध्य स्वर | अ | अमर, अदरक |
पश्चस्वर | आ, उ, ऊ, ओ, औ | आम, उम्र, ऊँट, सो, और |
ओष्ठों की स्थिति के आधार पर
वर्गीकरण | स्वर | उदाहरण |
प्रसृत | इ, ई, ए, ऐ | इमली, ईश्वर, एक, ऐसा |
वर्तुल | उ, ऊ, ओ, औ | उम्र, ऊँट, सो, और |
अर्धवर्तुल | आ | आम, आराम |
जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर
वर्गीकरण | स्वर | उदाहरण |
शिथिल | अ, इ, उ | अमर, इमली, उम्र |
कठोर | आ, ई, ऊ | आम, ईश्वर, ऊँट |
व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में व्यंजन उन ध्वनियों को कहते हैं जिनके उच्चारण के लिए स्वर की सहायता की आवश्यकता होती है। व्यंजन स्वरों के साथ मिलकर शब्दों का निर्माण करते हैं और वे स्वर के साथ मिलकर पूरी ध्वनि व्यवस्था को पूरा करते हैं। हिंदी में कुल 33 व्यंजन होते हैं।
व्यंजन दो तरह से लिखे जाते हैं:
खड़ी पाई के साथ: ये व्यंजन स्वर “अ” के साथ मिलकर उच्चारित होते हैं और सामान्यतः शब्दों में इस प्रकार प्रयोग होते हैं। उदाहरण के लिए:
व्यंजन | उदाहरण |
क | क + अ = का |
ख | ख + अ = खा |
ग | ग + अ = गा |
घ | घ + अ = घा |
च | च + अ = चा |
ज | ज + अ = जा |
झ | झ + अ = झा |
ञ | ञ + अ = ञा |
ट | ट + अ = टा |
ठ | ठ + अ = ठा |
ड | ड + अ = डा |
ढ | ढ + अ = ढा |
त | त + अ = ता |
थ | थ + अ = था |
द | द + अ = दा |
ध | ध + अ = धा |
न | न + अ = ना |
प | प + अ = पा |
फ | फ + अ = फै |
ब | ब + अ = बा |
भ | भ + अ = भा |
म | म + अ = मा |
य | य + अ = या |
ल | ल + अ = ला |
व | व + अ = वा |
श | श + अ = शा |
ष | ष + अ = षा |
स | स + अ = सा |
क्ष | क्ष + अ = क्षा |
त्र | त्र + अ = त्रा |
ज्ञ | ज्ञ + अ = ज्ञा |
बिना खड़ी पाई के साथ: ये व्यंजन स्वर “अ” के बिना उच्चारित होते हैं और विशिष्ट ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन व्यंजनों का प्रयोग विशेष स्थितियों में होता है, जैसे शब्दों के बीच या विशेष ध्वनियों के लिए।
व्यंजन | उदाहरण |
ङ | ङ + (स्वर) = अंग (यह व्यंजन अक्सर संज्ञा के रूप में प्रयुक्त होता है, जैसे अंग) |
छ | छ + (स्वर) = छाँव (स्वर के साथ मिलकर प्रयोग में आता है) |
ट | ट + (स्वर) = टकर (स्वर के साथ मिलकर प्रयोग में आता है) |
ठ | ठ + (स्वर) = ठंडा (स्वर के साथ मिलकर प्रयोग में आता है) |
ड | ड + (स्वर) = डमरू (स्वर के साथ मिलकर प्रयोग में आता है) |
ढ | ढ + (स्वर) = ढोल (स्वर के साथ मिलकर प्रयोग में आता है) |
द | द + (स्वर) = दार (स्वर के साथ मिलकर प्रयोग में आता है) |
र | र + (स्वर) = राजा (स्वर के साथ मिलकर प्रयोग में आता है) |
व्यंजन के प्रकार
हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों का वर्गीकरण उनके उच्चारण के स्थान और प्रकार के आधार पर किया जाता है। व्यंजनों को निम्नलिखित तीन मुख्य प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
- स्पर्श व्यंजन (Stop Consonants)
- अन्तस्थ व्यंजन (Nasal Consonants)
- ऊष्म व्यंजन (Aspirated Consonants)
स्पर्श व्यंजन (Stop Consonants)
ये व्यंजन उच्चारण के दौरान बोलने वाले अंगों के संपर्क से उत्पन्न होते हैं। उदाहरण के लिए, “क” ध्वनि उच्चारित करते समय जीभ और तालु के संपर्क से ध्वनि उत्पन्न होती है।
वर्ग | व्यंजन |
क | क, ख, ग, घ, ङ |
च | च, छ, ज, झ, ञ |
ट | ट, ठ, ड, ढ, ण |
त | त, थ, द, ध, न |
प | प, फ, ब, भ, म |
अन्तस्थ व्यंजन (Nasal Consonants)
ये व्यंजन उच्चारण के दौरान ध्वनि एक स्थान पर स्थिर रहती है और बोलने वाले अंगों की गति न्यूनतम होती है। उदाहरण के लिए, “य” ध्वनि में जीभ की स्थिति स्थिर रहती है।
व्यंजन उदाहरण
व्यंजन | उदाहरण |
य | याम, यंत्र |
र | रंग, रोटी |
ल | लाना, लोक |
व | वकील, वायू |
ऊष्म व्यंजन (Aspirated Consonants)
ये व्यंजन उच्चारण के दौरान ध्वनि के गर्मी और खुलापन का प्रभाव पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, “श” ध्वनि का उच्चारण करते समय गर्मी का अहसास होता है।
व्यंजन | उदाहरण |
श | शेर, शांति |
ष | षट्कोण, क्षेत्र |
स | सब, संजीवनी |
ह | हाथ, हवा |
व्यंजन का वर्गीकरण
हिंदी व्यंजनों का वर्गीकरण उनकी ध्वनि की प्रकृति और उच्चारण के आधार पर विभिन्न प्रकारों में किया जाता है। यहाँ पर प्रमुख वर्गीकरण के विवरण दिए गए हैं:
उच्चारण स्थान के आधार पर:
उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण उनके ध्वनि उत्पन्न होने के स्थान के अनुसार किया जाता है। इस आधार पर, व्यंजन कंठ, तालु, मध्यवर्गीय, दंत, और ओष्ठ के स्थानों पर उच्चारित होते हैं।
वर्ग | व्यंजन | उदाहरण |
कंठ्य | क, ख, ग, घ, ङ | कक्षा, घर, अंग |
तालव्य | च, छ, ज, झ, ञ | चमच, झील, ज्ञान |
मध्यवर्गीय | ट, ठ, ड, ढ, ण | टमाटर, ढोल, णद |
दंत्य | त, थ, द, ध, न | तरबूज, धन, नद |
ओष्ठ्य | प, फ, ब, भ, म | पंखा, फूल, मन |
ध्वनि की प्रकृति के आधार पर:
ध्वनि की प्रकृति के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण उनके ध्वनि उत्पादन की प्रक्रिया और स्वर-डोर के प्रयोग के आधार पर किया जाता है। इस आधार पर, व्यंजन अघोष, घोष, अल्पप्राण, और महाप्राण में विभाजित होते हैं।
अघोष
ये व्यंजन उच्चारण के दौरान स्वर-डोर का उपयोग नहीं करते, केवल अंगों के संपर्क से ध्वनि उत्पन्न होती है।
वर्ग | प्रथम व्यंजन | द्वितीय व्यंजन | उदाहरण |
क | क | ख | क, ख |
च | च | छ | च, छ |
ट | ट | ठ | ट, ठ |
त | त | थ | त, थ |
प | प | फ | प, फ |
घोष
ये व्यंजन उच्चारण के दौरान स्वर-डोर का उपयोग करते हैं, जिससे ध्वनि अधिक स्पष्ट और गहरी होती है।
वर्ग | तृतीय व्यंजन | चतुर्थ व्यंजन | पंचम व्यंजन | उदाहरण |
क | ग | घ | ङ | ग, घ, ङ |
च | ज | झ | ञ | ज, झ, ञ |
ट | ड | ढ | ण | ड, ढ, ण |
त | द | ध | न | द, ध, न |
प | ब | भ | म | ब, भ, म |
अल्पप्राण
इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय ध्वनि में हल्का प्राणविलास होता है, और हवा का थोड़ा बल प्रयोग होता है।
वर्ग | प्रथम व्यंजन | तृतीय व्यंजन | पंचम व्यंजन | उदाहरण |
क | क | ग | ङ | क, ग, ङ |
च | च | ज | ञ | च, ज, ञ |
ट | ट | ड | ण | ट, ड, ण |
त | त | द | न | त, द, न |
प | प | ब | म | प, ब, म |
महाप्राण
इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय ध्वनि में प्राणविलास अधिक होता है, और हवा का अधिक बल प्रयोग होता है।
वर्ग | द्वितीय व्यंजन | चतुर्थ व्यंजन | उदाहरण |
क | ख | घ | ख, घ |
च | छ | झ | छ, झ |
ट | ठ | ढ | ठ, ढ |
त | थ | ध | थ, ध |
प | फ | भ | फ, भ |
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