पत्र लेखन – जानिए प्रकार और उदाहरण के साथ

पत्र लिखना स्कूल में एक बहुत अच्छा अनुभव होता है। यह न केवल आपकी लेखनी की कला को सुधारता है, बल्कि परीक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पत्र लेखन का अभ्यास लगभग सभी कक्षाओं में किया जाता है, और अच्छे अंक पाने के लिए यह जरूरी है कि आप इसे सही तरीके से करें।

पत्र लेखन एक कला है, और परीक्षा में अंक प्राप्त करने के लिए इसे सही तरीके से करना महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छा पत्र लिखने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए। इसमें पत्र का सही फॉर्मेट, विषय की स्पष्टता, और उचित भाषा का उपयोग शामिल है।

इस ब्लॉग में पत्र लेखन से संबंधित सभी जरूरी नियम, कुछ प्रश्न और फॉर्मेट दिए गए हैं। इससे आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। पत्र लेखन के अभ्यास से न केवल आपकी लिखने की क्षमता बेहतर होती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि आप सही तरीके से और प्रभावशाली ढंग से अपनी बातें प्रस्तुत कर सकें।

पत्र लेखन क्या है?

पत्र लेखन संवाद का एक साधन है, जिसमें एक व्यक्ति अपने विचार, भावनाएँ या सूचनाएँ लिखित रूप में दूसरे व्यक्ति को भेजता है। यह औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार का हो सकता है। पत्र को भेजने से पहले सही शब्दों और व्याकरण का ध्यान रखना जरूरी होता है। पत्र में शुरुआत में सम्बोधन होता है, फिर मुख्य विषय लिखा जाता है और अंत में शुभकामनाएँ या धन्यवाद के साथ पत्र समाप्त होता है। पत्र लेखन का उपयोग व्यक्तिगत, व्यावसायिक, और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो संवाद को प्रभावी बनाता है।

पत्र लेखन कैसे लिखते हैं?

पत्र लेखन के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:

  • प्रारंभ (सम्बोधन): पत्र की शुरुआत में आप जिसे पत्र लिख रहे हैं, उसका संबोधन करें। उदाहरण के लिए, “प्रिय मित्र” या “आदरणीय महोदय”।
  • भूमिका: पत्र की शुरुआत में कुछ पंक्तियों में अपनी बात की भूमिका या परिचय दें। यहाँ आप पत्र लिखने का कारण बता सकते हैं।
  • मुख्य विषय: यह पत्र का मुख्य भाग होता है, जहाँ आप अपनी बात विस्तार से लिखते हैं। जो भी जानकारी या संदेश आप देना चाहते हैं, उसे साफ और स्पष्ट शब्दों में लिखें।
  • समापन: मुख्य विषय के बाद, पत्र को अच्छे ढंग से समाप्त करें। इसमें आप अपनी भावनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत कर सकते हैं, जैसे “आपका मित्र” या “सादर”।
  • नाम और हस्ताक्षर: अंत में, अपना नाम और हस्ताक्षर करें।

पत्र लेखन की उपयोगिता अथवा महत्व

पत्र लेखन की उपयोगिता और महत्व कई पहलुओं में देखी जा सकती है:

  • संवाद का माध्यम: पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण संवाद माध्यम है, जिससे लोग एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं, चाहे वे कितनी भी दूर क्यों न हों। यह विचारों और भावनाओं को साझा करने का एक व्यक्तिगत तरीका है।
  • औपचारिक और अनौपचारिक संचार: पत्र लेखन का उपयोग औपचारिक (जैसे, कार्यालय पत्र, आवेदन पत्र) और अनौपचारिक (जैसे, मित्रों या परिवार को लिखे गए पत्र) दोनों प्रकार के संचार के लिए किया जा सकता है। यह विभिन्न परिस्थितियों में संवाद को व्यवस्थित और प्रभावी बनाता है।
  • प्रमाण और दस्तावेजीकरण: लिखित पत्र एक महत्वपूर्ण प्रमाण होता है, जिसे भविष्य के संदर्भ के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। यह किसी भी विवाद या जानकारी की पुष्टि के लिए उपयोगी होता है।
  • व्यक्तिगत स्पर्श: पत्र लेखन में एक व्यक्तिगत स्पर्श होता है, जिससे प्राप्तकर्ता को विशेष महसूस होता है। यह रिश्तों को मजबूत करने में मदद करता है।
  • साहित्यिक और रचनात्मक कौशल: पत्र लिखना व्यक्ति के भाषा, व्याकरण, और रचनात्मकता को बढ़ाने में सहायक होता है। यह एक साहित्यिक अभ्यास भी हो सकता है, जो लेखन कौशल को निखारता है।

पत्र लेखन के आवश्यक तत्व 

पत्र लेखन के आवश्यक तत्व निम्नलिखित हैं:

  • प्रेषक का पता: पत्र लिखने वाले का पता सबसे ऊपर बाएँ कोने में लिखा जाता है। यह पत्र के औपचारिकता के अनुसार अनिवार्य हो सकता है।
  • तारीख: पत्र के ऊपर दाईं ओर पत्र लिखने की तारीख लिखी जाती है। इससे पत्र का समय स्पष्ट होता है।
  • प्राप्तकर्ता का पता: औपचारिक पत्रों में, प्राप्तकर्ता का पता प्रेषक के पते के नीचे लिखा जाता है।
  • सम्बोधन: पत्र की शुरुआत में प्राप्तकर्ता के लिए एक सम्बोधन लिखा जाता है, जैसे “प्रिय मित्र” (अनौपचारिक) या “आदरणीय महोदय” (औपचारिक)।
  • पत्र का शरीर (मुख्य भाग): यह पत्र का मुख्य भाग होता है, जिसमें आप अपनी बात रखते हैं। इसे परिचय, मुख्य विषय, और समापन में विभाजित किया जा सकता है।
  • समापन वाक्य: मुख्य विषय के बाद पत्र को समाप्त करने के लिए एक समापन वाक्य लिखा जाता है, जैसे “आपका शुभेच्छु” या “धन्यवाद”।
  • हस्ताक्षर और नाम: पत्र के अंत में प्रेषक का नाम और हस्ताक्षर होते हैं। औपचारिक पत्रों में, यह अनिवार्य होता है।

पत्र लेखन की विशेषताएं

पत्र लेखन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • स्पष्टता: पत्र में विचार और संदेश स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किए जाते हैं। प्राप्तकर्ता को बिना किसी भ्रम के पत्र का उद्देश्य समझ में आना चाहिए।
  • संक्षिप्तता: पत्र संक्षिप्त और बिंदुवार होना चाहिए। अनावश्यक जानकारी से बचा जाता है, जिससे पत्र पढ़ने में आसान और प्रभावी होता है।
  • व्याकरण और वर्तनी: सही व्याकरण और वर्तनी का उपयोग पत्र को प्रभावी बनाता है। यह पत्र की औपचारिकता और लेखक की समझदारी को दर्शाता है।
  • शिष्टता और विनम्रता: पत्र के लहजे में शिष्टता और विनम्रता होनी चाहिए। यह विशेष रूप से औपचारिक पत्रों में महत्वपूर्ण है, जहाँ आदर और सम्मान का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
  • व्यवस्थित प्रारूप: पत्र का प्रारूप व्यवस्थित और सुगठित होना चाहिए। इसमें उचित सम्बोधन, परिचय, मुख्य विषय, और समापन वाक्य शामिल होते हैं।
  • व्यक्तिगत स्पर्श: विशेष रूप से अनौपचारिक पत्रों में, पत्र का एक व्यक्तिगत और आत्मीय स्पर्श होता है, जो प्राप्तकर्ता के साथ एक भावनात्मक संबंध बनाता है।
  • संप्रेषणीयता: पत्र में विचारों और भावनाओं का प्रभावी ढंग से संप्रेषण होना चाहिए, जिससे प्राप्तकर्ता उसे समझ सके और प्रतिक्रिया दे सके।
  • उद्देश्यपरकता: पत्र का एक निश्चित उद्देश्य होना चाहिए, चाहे वह सूचना देना हो, सुझाव देना हो, या कोई अनुरोध करना हो। उद्देश्य के अनुसार ही पत्र की भाषा और शैली चुनी जाती है।

औपचारिक और अनौपचारिक पत्र में अंतर

यहाँ औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों के बीच अंतर को एक तालिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है:

विशेषताऔपचारिक पत्रअनौपचारिक पत्र
उद्देश्यव्यावसायिक, शैक्षिक या आधिकारिक संवादव्यक्तिगत संवाद, जैसे मित्रों या परिवार से बातें करना
लहजा (टोन)शिष्ट, औपचारिक और सम्मानजनकसरल, आत्मीय और अनौपचारिक
संवाद की शैलीसंक्षिप्त, सीधी, और संरचितआरामदायक और अधिक व्यक्तिगत
प्रारंभ (सम्बोधन)“आदरणीय महोदय,” या “श्रीमान,”“प्रिय मित्र,” या “प्रिय माता-पिता,”
समापन वाक्य“धन्यवाद,” “सादर,” “भवदीय,”“आपका मित्र,” “प्यार के साथ,”
भाषाऔपचारिक और व्याकरणिक रूप से सहीसरल, बोलचाल की भाषा
लम्बाईसंक्षिप्त और विषय पर केंद्रितलम्बा हो सकता है, बिना किसी निश्चित संरचना के
संरचनानिश्चित संरचना, जिसमें सम्बोधन, परिचय, मुख्य भाग, और समापन शामिल हैंसंरचना लचीली, परिचय और समापन को शामिल कर सकते हैं, लेकिन अनिवार्य नहीं है
उदाहरणआवेदन पत्र, व्यावसायिक पत्र, शैक्षिक पत्रमित्रों, परिवार को लिखा गया पत्र, निजी नोट्स

अनौपचारिक पत्रों को लिखने के उद्देश्य

अनौपचारिक पत्र लिखने के विभिन्न उद्देश्य हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • व्यक्तिगत संबंध बनाए रखना: अनौपचारिक पत्र दोस्तों, परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखने के लिए लिखे जाते हैं। यह भावनात्मक जुड़ाव को सुदृढ़ करता है और आपसी संबंधों को बनाए रखता है।
  • जानकारी साझा करना: अनौपचारिक पत्रों के माध्यम से आप अपने जीवन की घटनाओं, उपलब्धियों, या किसी खास घटना के बारे में जानकारी साझा कर सकते हैं, जैसे यात्रा की कहानी या कोई खुशखबरी।
  • सहानुभूति और समर्थन: किसी के दुख, परेशानी या कठिन समय में सहानुभूति और समर्थन व्यक्त करने के लिए अनौपचारिक पत्र लिखे जाते हैं। इससे प्राप्तकर्ता को सांत्वना और आश्वासन मिलता है।
  • धन्यवाद और सराहना: किसी के द्वारा किए गए किसी अच्छे काम, उपहार, या सहायता के लिए धन्यवाद देने और सराहना प्रकट करने के लिए अनौपचारिक पत्र उपयोगी होते हैं।
  • उत्सव और आयोजन: व्यक्तिगत अवसरों जैसे जन्मदिन, सालगिरह, या अन्य उत्सवों की शुभकामनाएँ देने और निमंत्रण भेजने के लिए अनौपचारिक पत्र लिखा जा सकता है।
  • सामान्य बातचीत: कभी-कभी, अनौपचारिक पत्र एक सामान्य बातचीत का हिस्सा होते हैं, जिसमें आप अपने विचार, अनुभव, और भावनाएँ साझा करते हैं।
  • सम्बंधों को नया जीवन देना: पुराने दोस्तों या रिश्तेदारों से संपर्क फिर से शुरू करने और पुराने रिश्तों को पुनर्जीवित करने के लिए अनौपचारिक पत्र लिखा जा सकता है।

औपचारिक पत्रों को लिखने के लिए कौन- कौन से तत्व आवश्यक है?

औपचारिक पत्र लिखने के लिए निम्नलिखित तत्व आवश्यक होते हैं:

  • प्रेषक का पता: पत्र के सबसे ऊपर बाएँ कोने में प्रेषक का पूरा पता लिखा जाता है। यह पत्र की औपचारिकता और पहचान को सुनिश्चित करता है।
  • तारीख: प्रेषक के पते के नीचे दाईं ओर पत्र की तारीख लिखी जाती है। यह पत्र की समय-सीमा को दर्शाता है।
  • प्राप्तकर्ता का पता: पत्र के मुख्य भाग से पहले, प्राप्तकर्ता का पूरा पता लिखा जाता है, जो पत्र की सही डिलीवरी के लिए आवश्यक है।
  • सम्बोधन: पत्र की शुरुआत में औपचारिक सम्बोधन लिखा जाता है, जैसे “आदरणीय महोदय,” या “प्रिय श्रीमान,” जो पत्र की औपचारिकता को बनाए रखता है।
  • प्रस्तावना (भूमिका): पत्र की शुरुआत में संक्षेप में पत्र लिखने का कारण बताया जाता है। यह प्रस्तावना पत्र के उद्देश्य को स्पष्ट करती है।
  • मुख्य भाग (शरीर): इसमें पत्र का मुख्य विषय या जानकारी विस्तार से प्रस्तुत की जाती है। यह भाग स्पष्ट और संगठित होना चाहिए।
  • समापन वाक्य: पत्र के अंत में एक औपचारिक समापन वाक्य होता है, जैसे “धन्यवाद,” “सादर,” या “भवदीय,” जो पत्र को समाप्त करता है।
  • हस्ताक्षर और नाम: पत्र के अंत में प्रेषक का हस्ताक्षर और नाम लिखा जाता है। हस्ताक्षर औपचारिकता को बढ़ाता है और नाम प्रेषक की पहचान को सुनिश्चित करता है।
  • संलग्नक (यदि कोई हो): अगर पत्र के साथ कोई दस्तावेज़ संलग्न है, तो उसे पत्र के अंत में उल्लेखित किया जाता है, जैसे “संलग्नक: रिज़र्वेशन की प्रति।”

औपचारिक पत्र के भाग

औपचारिक पत्र के प्रमुख भाग निम्नलिखित होते हैं:

  • प्रेषक का पता: पत्र के सबसे ऊपर बाएँ कोने में प्रेषक का पूरा पता लिखा जाता है। इसमें प्रेषक का नाम, सड़क का पता, शहर और पिनकोड शामिल होते हैं।
  • तारीख: प्रेषक के पते के नीचे दाईं ओर, पत्र की तारीख लिखी जाती है। यह पत्र के लिखे जाने का समय दर्शाती है।
  • प्राप्तकर्ता का पता: पत्र के मुख्य भाग से पहले, प्राप्तकर्ता का पूरा पता लिखा जाता है। इसमें प्राप्तकर्ता का नाम, पद, कंपनी या संस्था का नाम, और पूरा पता शामिल होता है।
  • सम्बोधन: पत्र की शुरुआत में औपचारिक सम्बोधन लिखा जाता है, जैसे “आदरणीय महोदय,” “प्रिय श्रीमान,” या “माननीय मंत्री।”
  • परिचय (प्रस्तावना): पत्र की शुरुआत में संक्षेप में पत्र लिखने का उद्देश्य बताया जाता है। यह पत्र की दिशा और उद्देश्य को स्पष्ट करता है।
  • मुख्य भाग (शरीर): यह पत्र का प्रमुख भाग होता है, जिसमें आप विस्तार से अपना संदेश, जानकारी या अनुरोध प्रस्तुत करते हैं। यह भाग स्पष्ट और व्यवस्थित होना चाहिए।
  • समापन वाक्य: पत्र के अंत में एक औपचारिक समापन वाक्य होता है, जैसे “धन्यवाद,” “सादर,” या “भवदीय,” जो पत्र को समाप्त करता है।
  • हस्ताक्षर और नाम: पत्र के अंत में प्रेषक का हस्ताक्षर और नाम लिखा जाता है। हस्ताक्षर पत्र की औपचारिकता को बढ़ाता है और नाम प्रेषक की पहचान को सुनिश्चित करता है।
  • संलग्नक (यदि कोई हो): अगर पत्र के साथ कोई दस्तावेज़ संलग्न है, तो पत्र के अंत में इसे उल्लेखित किया जाता है, जैसे “संलग्नक: रिज़र्वेशन की प्रति।”

अनौपचारिक पत्र के भाग

अनौपचारिक पत्र के भाग निम्नलिखित होते हैं:

  • तारीख: पत्र की शुरुआत में दाईं ओर तारीख लिखी जाती है। यह पत्र के लेखन का समय दर्शाती है और अनौपचारिक पत्रों में यह अपेक्षाकृत लचीला हो सकता है।
  • संम्बोधन: पत्र की शुरुआत में, आप प्राप्तकर्ता को एक व्यक्तिगत तरीके से संबोधित करते हैं, जैसे “प्रिय मित्र,” “प्रिय माता-पिता,” या “प्रिय बहन।”
  • परिचय: पत्र की शुरुआत में, आप संक्षेप में बताएं कि आप क्यों लिख रहे हैं। यह आमतौर पर बहुत सरल और अनौपचारिक होता है।
  • मुख्य भाग: पत्र का यह भाग आपके विचारों, समाचारों, या संदेश को विस्तार से प्रस्तुत करता है। इसमें व्यक्तिगत अनुभव, घटनाएँ, या भावनाएँ शामिल होती हैं। यह भाग आपके रिश्ते की प्रकृति के अनुसार व्यक्तिगत और आत्मीय होता है।
  • समापन वाक्य: पत्र के अंत में एक संक्षेप में समापन वाक्य होता है, जिसमें आप अच्छे विचार व्यक्त कर सकते हैं, जैसे “आपका मित्र,” “सादर,” या “प्यार के साथ।”
  • हस्ताक्षर: पत्र के अंत में अपना नाम लिखें। यह अनौपचारिक पत्रों में अक्सर केवल पहला नाम या उपनाम होता है।

औपचारिक पत्र का फॉर्मेट

अनौपचारिक-पत्र का फॉर्मेट

पत्र प्रेषक 

पत्र लेखन में कई महत्वपूर्ण अंग और बातें होती हैं। इसे स्पष्ट करने के लिए, यहाँ पत्र भेजने वाले (प्रेषक) और पत्र प्राप्त करने वाले (प्राप्तकर्ता) के बारे में जानकारी और पत्र लेखन के विभिन्न अंगों की सूची दी गई है:

प्रेषक का नाम और तारीख:

  • प्रेषक का नाम और पत्र की तारीख को दाएँ कोने में लिखा जाता है।
  • यह जानकारी पत्र की औपचारिकता को दर्शाती है।

पत्र प्राप्तकर्ता का नाम और पता:

  • प्राप्तकर्ता का नाम
  • उनका पदनाम
  • कार्यालय का नाम
  • स्थान
  • शहर, जिला और पिनकोड

पत्र लेखन के भाग:

  • विषय संकेत: पत्र के विषय को स्पष्ट रूप से संक्षेप में लिखा जाता है ताकि पत्र का उद्देश्य तुरंत समझ में आ सके।
  • संबोधन: औपचारिक पत्रों में सम्बोधन का प्रयोग किया जाता है, जैसे “आदरणीय महोदय,” “प्रिय मित्र।” बड़ों के लिए संबोधन जैसे “पूज्य,” “मान्यवर,” “आदरणीय,” “माननीय” का प्रयोग होता है।
  • अभिवादन: कार्यालय और व्यावसायिक पत्रों में अभिवादन का प्रयोग नहीं किया जाता। व्यक्तिगत पत्रों में “सादर,” “नमस्ते,” “नमस्कार,” “प्रणाम” जैसे अभिवादन शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
  • मुख्य सामग्री: पत्र के मुख्य भाग में पत्र लिखने का उद्देश्य और विषय विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है।
  • समापन: पत्र के अंत में समापन सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जैसे “आपका,” “आपका प्रिय,” “आपका आज्ञाकारी,” “स्नेही,” “भवदीय।”
  • हस्ताक्षर और नाम: समापन के बाद प्रेषक का हस्ताक्षर और पूरा नाम लिखा जाता है।
  • संलग्नक: अगर कोई दस्तावेज़ संलग्न है, तो उसका उल्लेख किया जाता है, जैसे “संलग्नक: रिज़र्वेशन की प्रति।”
  • पुनश्च: पत्र के अंत में यदि कोई अतिरिक्त जानकारी या संलग्नक हो, तो उसे पुनश्च शीर्षक के तहत लिखा जाता है।
संबंधसंबोधनअभिवादनसमापन
दादा, पिताश्रद्धेय दादाजीसादर चरण स्पर्शआपका आज्ञाकारी, स्नेहाभिलाषी
पुत्र, पुत्रीचिरंजीव, प्रियसुखी रहोहितैषी, शुभ चिंतक
माता, दादी, नानीआदरणीय …… जीसादर नमस्कार चरण वंदनाआपका आज्ञाकारी, स्नेहाभिलाषी
छोटा भाई, बहनप्यारे, प्रियशुभाशीर्वाद, सौभाग्यवतीहितैषी, शुभ चिंतक
मित्रमित्रवर, प्रिय, स्नेहीस्नेह, मधुर स्मृतिदर्शनाभिलाषी, तुम्हारा अभिन्न मित्र
बड़ा भाई, बहनआदरणीय भाई साहब, आदरणीय बहन जीसादर प्रणामआपका आज्ञाकारी, स्नेहाभिलाषी

पत्र लेखन के प्रकार

पत्र लेखन के दो मुख्य प्रकार होते हैं: 

  • औपचारिक पत्र 
  • अनौपचारिक पत्र

औपचारिक पत्र लेखन हिंदी

औपचारिक पत्र उन पत्रों को कहते हैं जो किसी संस्थान, कंपनी, या सरकारी कार्यालय को भेजे जाते हैं, और जिनमें व्यक्तिगत या पारिवारिक संबंध शामिल नहीं होते। इन पत्रों में पेशेवर और औपचारिक भाषा का प्रयोग होता है। यहाँ औपचारिक पत्रों के विभिन्न प्रकार और उनके उपयोग का विवरण दिया गया है:

प्रार्थना पत्र: प्रार्थना पत्र विद्यालय, कॉलेज, या अन्य संस्थानों में किसी समस्या या विशेष अनुरोध के लिए लिखा जाता है।

  • उपयोग: अवकाश, शुल्क मुक्ति, आर्थिक सहायता, छात्रवृत्ति के लिए अनुरोध।
  • उदाहरण: “प्रधानाचार्या, विद्यालय में छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र।”

आवेदन पत्र: यह पत्र नौकरी के लिए आवेदन, किसी पद के लिए नियुक्ति, या किसी विशेष अवसर के लिए आवेदन करने के लिए लिखा जाता है।

  • उपयोग: नौकरी के लिए आवेदन, संस्थान में प्रवेश के लिए आवेदन।
  • उदाहरण: “मान्यवर, मैं आपकी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद के लिए आवेदन करना चाहता हूँ।”

बधाई पत्र: यह पत्र किसी के विशेष उपलब्धि या सफलता पर बधाई देने के लिए लिखा जाता है।

  • उपयोग: किसी अधिकारी या साथी की सफलता, पुरस्कार, या विशेष उपलब्धि पर बधाई देना।
  • उदाहरण: “प्रिय श्री शर्मा, आपको पदोन्नति की बधाई।”

शुभकामना पत्र: जब किसी को नई यात्रा, पदोन्नति, या जीवन की किसी नई शुरुआत पर शुभकामनाएँ दी जाती हैं।

  • उपयोग: यात्रा, पदोन्नति, या अन्य महत्वपूर्ण अवसर पर शुभकामनाएँ।
  • उदाहरण: “प्रिय मित्र, आपकी नई नौकरी के लिए शुभकामनाएँ।”

व्यावसायिक पत्र: यह पत्र व्यापारिक या व्यावसायिक लेन-देन के लिए लिखा जाता है।

  • उपयोग: व्यापारिक प्रस्ताव, फैशन शो, या व्यावसायिक संवाद।
  • उदाहरण: “मान्यवर, हमें आपके नए प्रोडक्ट्स देखने की खुशी है।”

शिकायती पत्र: जब किसी समस्या या कठिनाई के बारे में शिकायत करने के लिए पत्र लिखा जाता है।

  • उपयोग: किसी सेवा की कमी, उत्पाद की खराब गुणवत्ता पर शिकायत।
  • उदाहरण: “प्रिय ग्राहक सेवा, आपके उत्पाद में समस्याएँ आ रही हैं।”

धन्यवाद पत्र: यह पत्र किसी विशेष अवसर, कार्यक्रम, या सहायता के लिए धन्यवाद देने के लिए लिखा जाता है।

  • उपयोग: किसी कार्यक्रम, विशेष उत्सव, या सहायता के लिए आभार व्यक्त करना।
  • उदाहरण: “प्रिय श्री जोशी, आपके सहयोग के लिए धन्यवाद।”

सांत्वना पत्र: जब किसी दुर्घटना या हादसे के कारण दुख प्रकट करने के लिए पत्र लिखा जाता है।

  • उपयोग: किसी के परिवार में किसी सदस्य के निधन या दुर्घटना पर सांत्वना देना।
  • उदाहरण: “प्रिय श्रीमती शर्मा, आपके पति के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएँ।”

संपादकीय पत्र: समाचार पत्र के संपादक को किसी मुद्दे पर अपनी बात पहुँचाने के लिए लिखा जाता है।

  • उपयोग: किसी सार्वजनिक मुद्दे पर राय या सुझाव देना।
  • उदाहरण: “प्रिय संपादक, मैं आपकी पत्रिका में प्रकाशित लेख के बारे में अपनी राय देना चाहता हूँ।”

जब आप औपचारिक पत्र लिखते हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है:

पत्र का प्रारूप

  • पत्र को एक निश्चित प्रारूप में लिखें। यह प्रारूप पत्र की औपचारिकता को बनाए रखने में मदद करता है।
  • पत्र प्रेषक का पता: पत्र के शीर्ष पर दाएँ कोने में अपना पता लिखें।
  • तारीख: पत्र के ऊपर दाएँ कोने में लिखें।
  • पत्र प्राप्तकर्ता का पता: पत्र के बाएँ कोने में प्राप्तकर्ता का नाम, पद, और पता लिखें।

संबोधन

  • पत्र के आरंभ में सही संबोधन का उपयोग करें, जैसे “प्रिय श्री शर्मा”, “मान्यवर”, या “आदरणीय महोदय/महोदया”।
  • संबोधन का चयन पत्र के प्राप्तकर्ता के पद और संबंध के आधार पर करें।

मुख्य सामग्री

  • पत्र की मुख्य सामग्री स्पष्ट और संक्षिप्त होनी चाहिए।
  • विषय को सीधे तरीके से पेश करें और सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल करें।
  • पेशेवर और औपचारिक भाषा का प्रयोग करें।

समापन और हस्ताक्षर

  • पत्र के अंत में उचित समापन शब्दों का प्रयोग करें, जैसे “आपका आज्ञाकारी”, “सादर”, या “भवदीय”।
  • समापन शब्दों के नीचे अपना पूरा नाम और हस्ताक्षर करें।

ध्यानपूर्वक भाषा का प्रयोग

  • औपचारिक भाषा का प्रयोग करें और किसी भी प्रकार की अनौपचारिकता से बचें।
  • भाषा स्पष्ट, संक्षिप्त, और पेशेवर होनी चाहिए।

शुद्धता और सही वर्तनी

  • पत्र की वर्तनी और व्याकरण की जांच करें।
  • कोई भी गलत वर्तनी या व्याकरण की त्रुटियाँ पत्र की औपचारिकता को प्रभावित कर सकती हैं।

संलग्नक और विवरण

  • यदि पत्र में कोई संलग्नक (जैसे दस्तावेज़ या रिपोर्ट) है, तो उसे स्पष्ट रूप से उल्लेख करें।
  • संलग्नक की सूची पत्र के अंत में “संलग्नक” या “संलग्न” शब्द के साथ दें।

पत्र की लंबाई

  • पत्र को संक्षिप्त और बिंदुवार रखें। अनावश्यक विवरण से बचें और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें।

औपचारिक पत्र लिखते समय निम्नलिखित अंगों का ध्यान रखना आवश्यक होता है:

  • पत्र प्राप्तकर्ता का पदनाम तथा पता: पत्र के बाएँ कोने में प्राप्तकर्ता का नाम, उनका पदनाम (जैसे प्रमुख, सचिव), और उनका पता (शहर, पिनकोड) लिखें।
  • विषय: पत्र के ऊपर, प्राप्तकर्ता के नाम के नीचे एक वाक्य में विषय को लिखें, जैसे “वेतन वृद्धि के लिए आवेदन”।
  • संबोधन: पत्र की शुरुआत में उचित संबोधन का उपयोग करें, जैसे “महोदय”, “मान्यवर”, “प्रिय श्री शर्मा” आदि।
  • विषय-वस्तु
    • पहला अनुच्छेद: अपनी समस्या या पत्र के मुख्य उद्देश्य को स्पष्ट रूप से बताएं।
    • दूसरा अनुच्छेद: आप उनसे क्या अपेक्षा रखते हैं, यह लिखें और पत्र को धन्यवाद के साथ समाप्त करें।
  • हस्ताक्षर व नाम: पत्र के अंत में “भवदीय” या “भवदीया” के नीचे अपना हस्ताक्षर करें और उसके नीचे अपना पूरा नाम लिखें।
  • प्रेषक का पता: पत्र के दाएँ कोने में अपना पता (शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड) लिखें।
  • दिनांक: पत्र के ऊपर, दाएँ कोने में, अपने पते के नीचे दिनांक लिखें।

10वीं कक्षा में विज्ञान लेने के लिए आवेदन पत्र

नौकरी के लिए पत्र लेखन

बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए पत्र लेखन

शिकायती पत्र

मोहल्ले की सफाई हेतु पत्र

औपचारिक पत्र लेखन

औपचारिक पत्र लेखन निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित होता है:

  • प्रेषक का पता और दिनांक: पत्र के ऊपर दाएँ कोने में सबसे पहले पत्र लिखने वाले का पता और दिनांक होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि पत्र किस स्थान से और किस दिन लिखा गया है।
  • प्रेषिती का अभिवादन: पत्र जिसे लिखा जा रहा है, उसके नाम और पद के अनुसार सही अभिवादन या संबोधन लिखना चाहिए। यह पत्रप्रेषक और प्रेषिती के रिश्ते पर निर्भर करता है कि हमें किस तरह के शब्दों का उपयोग करना है।
  • संबोधन के उदाहरण
    • पिता को पत्र लिखते समय ‘पूज्य पिताजी’ जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं।
    • शिक्षक या गुरुजन को पत्र लिखते समय ‘आदरणीय’ या ‘श्रद्धेय’ जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं।
    • छोटे भाई या बहन को पत्र लिखते समय ‘प्रियवर’ या ‘चिरंजीव’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।
  • संदर्भ और विषय: पत्र में एक स्पष्ट विषय या संदर्भ होना चाहिए, जो पत्र का मुख्य मुद्दा बताता है। इसे संक्षिप्त और स्पष्ट तरीके से लिखना चाहिए।
  • मुख्य सामग्री: पत्र की मुख्य सामग्री को दो या तीन अनुच्छेदों में बाँटा जाना चाहिए:
    • पहला अनुच्छेद: समस्या, अनुरोध या जानकारी का विवरण।
    • दूसरा अनुच्छेद: अपेक्षाएँ, सुझाव या समाधान के बारे में जानकारी और पत्र का समापन।
  • समापन और अभिवादन: पत्र की समाप्ति के लिए समापन सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जैसे ‘भवदीय’, ‘आपका आज्ञाकारी’, या ‘सादर’। इसके बाद, हस्ताक्षर और पूरा नाम लिखा जाता है।
  • संलग्नक: यदि पत्र में कोई संलग्नक (Attachments) हैं, तो उन्हें अंत में सूचीबद्ध करें। यह दर्शाता है कि पत्र के साथ अतिरिक्त दस्तावेज़ भेजे गए हैं।
  • संतुलित भाषा का प्रयोग: औपचारिक पत्र में भाषा संजीदा और व्यावसायिक होनी चाहिए। इसमे औपचारिक शब्दों और वाक्यांशों का प्रयोग किया जाता है।
  • स्पष्टता और संक्षिप्तता: पत्र को संक्षेप और स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए, जिससे पाठक को बिना किसी भ्रम के पत्र का संदेश समझ में आ सके।
  • फॉर्मेट और पेशेवरता: पत्र का फॉर्मेट सही होना चाहिए और पेशेवर दिखना चाहिए। इसके लिए उचित मार्जिन, लाइन स्पेसिंग, और अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए।

अनौपचारिक पत्र लेखन

अनौपचारिक पत्र लेखन वह पत्र होता है जिसे हम परिवार के सदस्यों, दोस्तों या करीबी संबंधियों को लिखते हैं। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत संवाद और भावनाओं को व्यक्त करना होता है। इसमें औपचारिकता की कमी होती है और अधिकतर सहजता और दोस्ताना स्वरूप में लिखा जाता है। यहाँ अनौपचारिक पत्र लेखन के कुछ मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है:

  • प्रेषक का पता और दिनांक: पत्र के ऊपर दाएँ कोने में प्रेषक का पता और दिनांक लिखा जाता है। इससे प्राप्तकर्ता को पता चलता है कि पत्र कहाँ से और किस दिन आया है।
  • प्राप्तकर्ता का अभिवादन: पत्र के बाएँ कोने में प्राप्तकर्ता के नाम के अनुसार अभिवादन लिखा जाता है। जैसे:
  • प्रिय मित्र
  • प्यारे भाई
  • प्रिय बहन
  • मुख्य सामग्री: पत्र की मुख्य सामग्री में उन विषयों को लिखा जाता है जिनके बारे में आप बात करना चाहते हैं। यह व्यक्तिगत अनुभव, जानकारी, या भावनात्मक बातें हो सकती हैं। इसे आमतौर पर एक सहज और दोस्ताना ढंग से लिखा जाता है।
  • संबंधित बातें और प्रश्न: पत्र में आप प्राप्तकर्ता से संबंधित बातें पूछ सकते हैं या उनके हाल-चाल जान सकते हैं। यह व्यक्तिगत संबंध को मजबूत बनाने का एक तरीका होता है।
  • समापन: पत्र के अंत में आप प्यार या मित्रता की भावना के साथ समापन करते हैं। इसे आप सरल और स्नेहपूर्ण शब्दों में कर सकते हैं, जैसे:
  • स्नेहपूर्वक
  • आपका स्नेही
  • ढेर सारा प्यार
  • हस्ताक्षर और नाम: पत्र के अंत में अपने हस्ताक्षर करें और इसके नीचे अपना पूरा नाम लिखें।

विदेश यात्रा पर जाने वाले मित्रों को शुभकामना के लिए पत्र

एक मित्र को एक साथ यात्रा की योजना बनाने के बारे में उत्तर में पत्र

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FAQs

औपचारिक पत्र क्या है?

औपचारिक पत्र एक आधिकारिक या पेशेवर पत्र होता है जो किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए लिखा जाता है, जैसे नौकरी के लिए आवेदन या शिकायत।

अनौपचारिक पत्र क्या है?

अनौपचारिक पत्र व्यक्तिगत संबंधों के लिए लिखा जाता है, जैसे मित्रों या परिवार को पत्र, और इसमें मित्रता या व्यक्तिगत भावनाएं प्रकट होती हैं।

औपचारिक पत्र में कौन-कौन से भाग होते हैं?

औपचारिक पत्र में प्रेषक का पता, दिनांक, प्राप्तकर्ता का पता, विषय, संबोधन, मुख्य सामग्री, समापन, हस्ताक्षर और प्रेषक का नाम शामिल होते हैं।

अनौपचारिक पत्र के मुख्य अंग कौन से होते हैं?

अनौपचारिक पत्र में प्रेषक का पता, तारीख, संबोधन, मुख्य सामग्री, समापन और प्रेषक का नाम शामिल होते हैं।

औपचारिक पत्र में संबोधन कैसे किया जाता है?

औपचारिक पत्र में संबोधन ‘महोदय’, ‘माननीय’, या प्राप्तकर्ता की पदवी के अनुसार किया जाता है।

अनौपचारिक पत्र में संबोधन कैसे किया जाता है?

अनौपचारिक पत्र में संबोधन ‘प्रिय’, ‘स्नेही’, या व्यक्तिगत रिश्ते के अनुसार किया जाता है।

आवेदन पत्र क्या होता है?

आवेदन पत्र एक औपचारिक पत्र होता है जो किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए लिखा जाता है, जैसे नौकरी के लिए या किसी सेवा की मांग करने के लिए।

शिकायती पत्र कैसे लिखा जाता है?

शिकायती पत्र में समस्या का विवरण, संबंधित पक्ष से अपेक्षाएं और समाधान की मांग होती है, साथ ही सही तरीके से सम्बोधन और समापन शामिल होते हैं।

विदेश यात्रा पर शुभकामना पत्र कैसे लिखा जाता है?

विदेश यात्रा पर शुभकामना पत्र में मित्र या परिवार को यात्रा के लिए शुभकामनाएँ और अच्छे अनुभव की कामना की जाती है।

पत्र प्रेषक क्या होता है?

पत्र प्रेषक वह व्यक्ति होता है जो पत्र लिखता और भेजता है।

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